आयु कर्म विŸां च विद्या निधन मेव च। पंचैतानि सृज्यंते गर्भस्थयैव देहिनः।। -चाणक्य नीति आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति की आयु, उसका कर्म, धन, विद्या एवं मृत्यु ये पांच बातें विधाता व्यक्ति को मां के गर्भ में भेजते ही निश्चित कर देते हैं। विद्याभ्यास में आने वाली बाधाओं को लेकर अक्सर छात्रगण चिंतित रहते हैं, जो स्वाभाविक है।
इन बाधाओं से मुक्ति और बचाव हेतु वे तरह-तरह के उपाय भी करते हैं, किंतु उचित उपाय के ज्ञान के अभाव के कारण इन उपायों का पूरा-पूरा लाभ नहीं ले पाते और वांछित सफलता से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में रत्न उनकी सहायता कर सकते हैं। ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार जन्म लग्न के पंचम एवं नवम भाव के स्वामियों को बलवान बनाकर बाधाएं दूर की जा सकती हैं। वांछित फल प्राप्त करने हेतु नीचे दिए गए विवरण के अनुरूप उक्त ग्रहों को बलवान बनाने के लिए उनका रत्न धारण कर उनके बीजमंत्रों का जप करना चाहिए।
- मेष लग्न के लिए सूर्य पंचमेश तथा गुरु नवमेश होता है। यदि इस लग्न में जन्मे जातकों की शिक्षा बाधाग्रस्त हो, तो उन्हें सोने में कम से कम सवा पांच रत्ती का माणिक्य तथा पुखराज धारण करना चाहिए। माणिक्य रविवार को सीधे हाथ की अनामिका में और पुखराज गुरुवार को उसी हाथ की तर्जनी में धारण करें। यदि रत्न धारण नहीं कर सकें, तो सूर्य एवं गुरु के निम्नोक्त बीज मंत्रों का एक-एक माला जप प्रतिदिन करें। सूर्य का बीज मंत्र: ¬ ”ीं ”ौं सूर्याय नमः। गुरु बीज मंत्र: ¬ एंे क्लीं बृहस्पतये नमः।
- वृष लग्न में जन्मे जातकों के लिए बुध पंचमेश एवं शनि नवमेश (भाग्येश) होता है। अतः इन जातकों को विद्याभ्यास में आने वाली बाधा को दूर करने हेतु चांदी में पन्ना एवं नीलम धारण करना चाहिए। पन्ना बुधवार को सीधे हाथ की अनामिका में तथा नीलम मध्यमा में धारण करें। इसके अतिरिक्त बुध एवं शनि के निम्नलिखित बीजमंत्रों का एक-एक माला जप प्रतिदिन करें। बुध मंत्र: ¬ ऐं श्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः, शनि बीज मंत्र: ¬ ऐं ”ीं श्रीं शनैश्चराय नमः।
- मिथुन लगन के जातकों के लिए शुक्र पंचमेश तथा शनि नवमेश होता है। उन्हें हीरा तथा नीलम धारण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शुक्र तथा शनि के बीजमंत्रों का एक-एक माला जप नियमित रूप से करें। नीलम धारण करने की विधि तथा शनि के बीजमंत्र का उल्लेख ऊपर किया गया है। हीरा कम से कम दो रŸाी का शुक्रवार को कनिष्ठिका अर्थात् बुध की उंगली में चांदी की अंगूठी में धारण करें। शुक्र का बीजमंत्र: ¬ ”ीं श्रीं शुक्राय नमः।
- कर्क लग्न के जातक विद्याभ्यास में आने वाली बाधाओं से मुक्ति हेतु पंचमेश मंगल का रत्न मूंगा तथा नवमेश गुरु का रत्न पुखराज धारण करें तथा दोनों ग्रहों के बीजमंत्रों का एक-एक माला जप प्रतिदिन करें। गुरु के बीज मंत्र एवं पुखराज धारण की विधि का उल्लेख ऊपर किया गया है। मूंगा सिंदूरी रंग का तांबे या सोने की अंगूठी में मंगलवार को अनामिका में धारण करें। मंगल का बीजमंत्र नीचे दिया गया है। मंगल का बीज मंत्र: ¬ हूं श्रीं भौमाय नमः।
- सिंह लग्न के जातक पंचमेश गुरु एवं नवमेश मंगल का रत्न क्रमशः पीला पुखराज एवं सिंदूरी मूंगा धारण करें और दोनों ग्रहों के बीजमंत्रों का एक-एक माला जप नियकित रूप से करें। दोनों ग्रहों के बीज मंत्रों तथा मूंगा एवं पुखराज धारण की विधि का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
- कन्या लग्न वाले पंचमेश शनि एवं नवमेश शुक्र का रत्न क्रमशः नीलम एवं हीरा ऊपर बताई गई विधि के अनुसार धारण करें। इसके अतिरिक्त शुक्र एवं शनि के ऊपर वर्णित बीज मंत्रों का एक-एक माला जप प्रतिदिन करें।
- तुला लग्न में जन्मे जातक पंचमेश शनि तथा नवमेश बुध का रत्न क्रमशः नीलम एवं पन्ना धारण करें तथा शनि एवं बुध के बीज मंत्रों का नियमित रूप से जप करें।
- वृश्चिक लग्न वाले पंचमेश गुरु एवं नवमेश चंद्रमा के रत्न क्रमशः पीला पुखराज एवं मोती धारण करें तथा गुरु एवं चंद्र के बीज मंत्रों का जप प्रतिदिन करें। गुरु के बीज मंत्र का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है और चंद्र का बीज मंत्र इस प्रकार हैः ¬ ऐं क्लीं सोमाय नमः।
- धनु लग्न मे जन्मे जातकों के लिए मंगल पंचमेश तथा सूर्य नवमेश है। अतः उन्हें माणिक्य एवं मूंगा रत्न धारण करना चाहिए तथा मंगल और सूर्य के बीज मंत्रों का एक-एक माला प्रतिदिन करना चाहिए। दोनों ग्रहों के मंत्र एवं रत्न धारण की विधि का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है।
- मकर लग्न में जन्मे जातक पंचमेश शुक्र तथा भाग्येश बुध के रत्न क्रमशः हीरा एवं पन्ना धारण करें तथा दोनों ग्रहों के बीज मंत्रों का एक माला जप प्रतिदिन करें।
- कुंभ लग्न में जन्मे जातकों के लिए पंचमेश बुध एवं नवमेश शुक्र है। उन्हें बुध एवं शुक्र का रत्न क्रमशः पन्ना एवं हीरा धारण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त दोनों ग्रहों के बीज मंत्रों का एक-एक माला जप प्रतिदिन करें।
- मीन लग्न में जन्मे जातकों के लिए चंद्र पंचमेश तथा मंगल नवमेश होता है। अतः उन्हें मोती एवं मूंगा धारण करना तथा चंद्र और मंगल के बीज मंत्रों का एक-एक माला जप नियमित रूप से करें। इस तरह अलग-अलग लग्नों में जन्मे जातक अपने-अपने पंचमेश एवं नवमेश ग्रहों के रत्न धारण कर और उनके बीज मंत्रों का नियमित रूप से जप कर विद्याभ्यास के मार्ग में आने वाली बाधाओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इन ग्रहों की वस्तुओं के दान से भी वांछित फल की प्राप्ति होती है।