पांव बोले: किस्मत के राज खोले
पांव बोले: किस्मत के राज खोले

पांव बोले: किस्मत के राज खोले  

व्यूस : 8730 | जुलाई 2009
पांव बोले: किस्मत के राज खोले डा. नरेश कुमार उदासी मनुष्य के जीवन की दिशा और दशा निर्धारण में हाथों की तरह ही पैरों की भूमिका भी अहम होती है। उसके व्यक्तित्व का विकास या ”ास जिस तरह हाथों पर निर्भर करता है, कमोवेश उसी तरह पैरों पर भी निर्भर करता है। पैरों का आकार, उनका हर भाग और कोण, रंग, उष्णता, अंगूठे, उंगलियां और उनमें विद्यमान विभिन्न चिह्न जहां एक ओर मनुष्य के पूर्व जन्म और अतीत में घटित घटनाओं का उद्घाटन करते हैं, वहीं दूसरी ओर भविष्य के गर्भ में छिपी घटनाओं का राज भी खोलते हैं। किसी जातक या जातका के दाएं पैर के विश्लेषण से उसके अतीत और उस पर पुरुष प्रभाव का पता चलता है, जबकि बाएं पैर के अध्ययन से उसके वर्तमान और उस पर स्त्री प्रभाव की जानकारी मिलती है। जिस तरह मनुष्य के संवेगों, भावनाओं, अनुभूतियों आदि का संबंध शरीर के अन्य विभिन्न भागों से होता है, उसी तरह इन सबका जुड़ाव पैरों से भी होता है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनके जातक अपने पैरों के शुभ और अनुकूल चिह्नों के बल पर सफलता के शिखर पर पहुंचे हैं, जबकि इसके विपरीत जिनके पैरों के चिह्न अनुकूल नहीं थे, उन्हें शिखर पर होते हुए भी पतन की गहराइयों में जाते देर नहीं लगी। यहां कुछ ऐसे लोगों के पैरों के आकार, रंग, चिह्नों आदि का विश्लेषण प्रस्तुत है, जो आज अपने अपने क्षेत्र में सफलता के शीर्ष पर हैं। इंदौर के एक ट्रैवेल कंपनी के स्वामी तथा 23 मार्च को इंदौर में हुए तृतीय अनंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष एवं वास्तु सम्मेलन के संरक्षक पं. श्रीराम शर्मा के दाएं पैर का है। इसमें भाग्यरेखा तथा बड़ा ध्वज दोनों छोटे त्रिपुंड से जुड़े हुए हैं। पहला त्रिपुंड चिह्न भाग्यरेखा से जुड़ा हुआ है। इसमें मध्यरेखा और गुरु तथा शनि का त्रिशूल चिह्न भी है। इन सारे शुभ चिह्नों तथा उनकी शुभ स्थितियों ने श्री शर्मा को व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता के शीर्ष पर पहुंचाया। उदासी संप्रदाय के प्रयाग स्थित अखाड़े के महंत श्री श्री शंकरदास उदासीन का है। इसमें पाॅइंट नं. 1 पर उत्तम पùचिह्न तथा पाॅइंट नं. 2 पर गुरु और शनि के नीचे शुभ सूक्ष्म रेखाएं हैं। पाॅइ्रट नं. 3 पर एक बड़ा मत्स्य तथा पाॅइंट नं. 4 पर बड़ा ध्वज चिह्न है। इन सारे शुभ चिह्नों के कारण महंत जी अत्यंत सौम्य तथा करुणा के सागर हैं जिन्हें घमंड छू तक नहीं गया है। उदासी संप्रदाय के प्रयाग अखाड़े के ही एक अन्य महंत श्री श्री महेश्वर दास उदासीन का है। इसमें पाॅइंट नं. 1 पर गुरु और शनि का हीरक चिह्न, पाॅइंट नं. 2 पर शनि के स्थान पर हीरक चिह्न, पाॅइंट नं. 3 पर हीरक चिह्न को स्पर्श करती रेखा और पाॅइंट नं. 4 पर सुंदर घड़ी की दिशा में घूमती सूक्ष्म रेखा का चक्र है जो आगे बढ़कर महादेव के पिंड के आकार का हो गया है। पाॅइंट नं. 5 पर बड़े ध्वज तथा उसके नीचे पाॅइंट नं. 6 पर छह रेखाओं से बने तारे का चिह्न है। इसके अतिरिक्त पाॅइंट नं. 7 पर शुभ स्वस्तिक चिह्न है। इन शुभ चिह्नों कारण ही जातक इस महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचने में सफल रहे। एक साध्वी के पैर का है। इस पैर के चिह्न संकेत देते हैं कि इसमें राजयोग है। इसमें पाॅइंट नं. 1 पर अंकित अंगूठे पर तथा पाॅइंट नं. 2 पर गुरु के स्थान के नीचे पùचिह्न, है। इसके अतिरिक्त पाॅइंट नं. 3 पर गुरु की उंगली तथा पाॅइंट नं. 4 पर शनि की उंगली पर और पाॅइंट नं. 5 पर शनि तथा गुरु के पर्वत के नीचे सूक्ष्म रेखाओं के चिह्न हैं। साथ ही पाॅइंट नं. 6 पर ध्वज चिह्न तथा पाॅइंट नं. 7 पर एक बड़ा मत्स्य चिह्न है। ये सारे चिह्न राजयोग के सूचक हैं। इन्हीं शुभ चिह्नों के कारण साध्वी में सभी सात्विक गुण विद्यमान हैं। इस तरह इन तथ्यों से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि किसी व्यक्ति के सफल या असफल होने में हाथों की रेखाओं, चिह्नों आदि की तरह ही पैरों की रेखाओं, चिह्नों आदि की भूमिका भी अहम होती है। ये चिह्न यदि शुभ हों, तो जातक का जीवन समृद्ध और सुखी होता है, पर यदि अशुभ हों, तो उसकी उन्नति के मार्ग में बाधाएं आती हैं और उसे वांछित सफलता नहीं मिल पाती।



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