शाश्वत सौंदर्य
शाश्वत सौंदर्य

शाश्वत सौंदर्य  

आभा बंसल
व्यूस : 5157 | नवेम्बर 2010

कई बार ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं जो हमारे जीवन की दशा और दिशा दोनों को हानि पहुंचा कर हमें अंदर तक इतना झकझोर देती हैं कि हमें घटना के घटित होने से पूर्व का समय एक टूटा हुआ सपना सा लगने लगता है। अप्रतिम सौंदर्य की धनी कल्पना के जीवन में भी कुछ ऐसा ही हुआ और पलक झपकते ही उसका सौंदर्य खाक हो गया। आखिर ऐसा कैसा ग्रह योग था जो उसे यह दिन देखना पड़ा। आइए देखें। शा रीरिक और आत्मिक सौंदर्य पर चर्चा की जाए तो बहुत से व्यक्ति आत्मिक सुंदरता की प्रशंसा कर सकते हैं। परंतु शारीरिक सौंदर्य के पक्ष में वोट देने वाले अधिक ही होंगे। क्योंकि किसी भी व्यक्ति से पहली मुलाकात में हम उसके शारीरिक आकर्षण से ही प्रभावित होते हैं। उसकी आत्मा की अच्छाइयां तो धीरे-धीरे बाद में ही पता चलती हैं। समाज में कुरूप और विकलांग व्यक्तियों को न केवल परायों बल्कि अपनों की भी अवहेलना झेलनी पड़ती है।

दो सगी बहनों में भी सुंदर वाली बेटी मां बाप व अन्य सदस्यों की ज्यादा लाडली होती है और कम सुंदर को उतनी तवज्जो नहीं मिलती। परंतु ऐसा सभी के साथ होना जरूरी नहीं है। बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जो व्यक्ति की आंतरिक सुंदरता को पहचानते हैं और शारीरिक रूप उनके लिए गौण बन जाता है। अभी कुछ दिन पहले मैंने ‘विवाह’ फिल्म देखी उसमें हीरो और हिरोइन का विवाह निश्चित हुआ है दोनो ही एक दूसरे को बहुत चाहते हैं पर ठीक विवाह से एक दिन पहले हीरोइन एक ऐक्सीडेंट में बुरी तरह जल जाती है और विवाह मंडप के बजाए अस्पताल पहुंच जाती है। परंतु हीरो जो अपनी होने वाली पत्नी से सच्चा प्यार करता है, अस्पताल जाकर वहीं पर उसकी मांग भरता है और उसका पूरा इलाज करवाता है और अपनी पत्नी को पूरा मान, सम्मान और वह संबल देता है जिसकी उसको उस वक्त बहुत जरूरत थी। यह तो एक फिल्म है परंतु असल जिंदगी में भी ऐसा ही हादसा कल्पना के साथ हुआ। कल्पना बहुत ही सुंदर और छरहरे बदन की थी।

उसका विवाह शहर के बहुत बड़े व धनाढ्य परिवार में हुआ था। उसके पति सास ससुर सभी उनका बहुत ख्याल रखते और उसको जी जान से चाहते थे। उसको अपने घर की लक्ष्मी बताते हुए नहीं थकते थे। पति का कारोबार दिनों दिन उन्नति कर रहा था और कल्पना का घर महल की तरह बड़ा और सुंदर था। विवाह के पश्चात दो वर्ष में कल्पना दो अत्यंत सुंदर बच्चों की मां बन गई। कल्पना को तरह-तरह की मोमबत्तियां बनाने का शौक था। वह कलात्मक तरीके से अलग-अलग डिजाइनों की मोमबत्तिया बनाती और अपने खास मित्रों कों गिफ्ट करती क्योंकि अपने हाथ से बनाई गई वस्तु को गिफ्ट करने का मजा कुछ और ही होता है और पाने वाला भी ज्यादा ही आनन्दित महसूस करता है। दीपावली पर कल्पना ने बहुत से सुंदर डिजाइनों की मोमबत्ती बनाने का आयोजन कर लिया था।

उसने सभी डिजाइनों पर बहुत मेहनत की थी और वह वहुत खुश थी कि इस बार उसकी बहुत प्रशंसा होगी और वह सभी लोगांे की लिस्ट भी फाइनल कर रह थी जिन-जिनको उसके विशेष गिफ्ट सेट गिफ्ट के तौर पर जाने थे। उसके पति अखिलेश भी उस लिस्ट में रोज एक दो नाम जोड़ देते थे। उन्हें भी कल्पना की कृति पर नाज था और वे बहुत ही गर्व से सबको बताते थे कि उनकी कल्पना की कल्पना कितनी सुंदर है। कल्पना ने तीन चार लोगों को काम पर लगा रखा था। मोम को बड़े कढ़ाए में गर्म किया जा रहा था तथा उनको सांचों ही में डालना था। तभी अचानक कैसे उसके छोटे बेटे की बाॅल वहां पर आकर गिरी और बेटा उसके पीछे-पीछे तीर की तरह दौड़ता हुआ वहां आ गया।

कल्पना किसी होने वाली आशंका में चीखती हुई वहां पहुंची और बेटे को धक्का दिया पर पता नहीं कैसे उसकी साड़ी कढ़ाई के कुंडे से उलझ गई और खौलते हुए तेल ने कल्पना के शरीर पर पानी की तरह गिरकर उसे पूरा नहला दिया। घर पर नौकरों के अलावा कोई नहीं था। नौकरों को काटो तो खून नहीं जैसी स्थिति हो गई उन्हें एकदम समझ ही नहीं आया कि क्या करें। कल्पना मदद के लिए बाहर की ओर भागी जिससे कि शरीर की खाल पिघल-पिघल कर नीचे गिर गई। खौलते हुए तेल ने उसके सुंदर शरीर को जला कर खाक कर दिया था। कल्पना दर्द से बुरी तरह चिल्ला रही थी। उसे उसके पति चार्टेड प्लेन से उसे मुंबई ले गये पर इस बीच उसकी हालत बहुत बिगड़ गई थी और वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी। मुंबई में बीच कैण्डी अस्पताल में वह 6 महीने तक रही और बड़े से बड़े डाॅक्टर ने उसका इलाज किया और अनेक आॅपरेशन भी हुये।

कल्पना का आधा शरीर बुरी तरह से जल गया था। आपरेशन के बाद एक टांग कुछ छोटी हो गई। पूरी त्वचा सिकुड़ गई थी। प्लास्टिक सर्जरी में स्किन ग्राफ्टिंग की गई पर तब भी सारा शरीर ठीक नहीं हो पाया त्वचा झुलसी सी ही रही और अब संक्रमण का खतरा सदा ही बना रहता है। बहुत जल्दी इन्फैक्शन हो जाता है और बहुत ही साॅफ्ट कपड़े पहनने पड़ते हैं। कल्पना के इलाज पर कई करोड़ रुपया खर्च हुआ पर अखिलेश जी ने पूरे तन मन और धन से कल्पना की सेवा की। जिसके फलस्वरूप कल्पना आज सकुशल है और अपने बच्चों के साथ सुखी जिंदगी जी रही है। शारीरिक दुख और जले की टीस तो शायद ही कभी खत्म होगी पर पति और बच्चों का साथ व सबका प्यार शायद उसके लिए सबसे बड़ा सुख है और अखिलेश भी कल्पना का पहले से भी अधिक ध्यान रखते हैं। क्योंकि अब उन्हें शरीर की बजाय उसकी आत्मा से अधिक प्यार है।

आइये जानें कल्पना की जन्मकुंडली में स्थित ग्रहों की जुबानी जिन्होंने कल्पना के सुंदर शरीर को जला कर खाक कर दिया। कल्पना की जन्मकुंडली में लग्नेश शुक्र छठे भाव अर्थात रोग स्थान में मंगल के नक्षत्र में स्थित है और अकारक मंगल और अष्टमेश गुरु व शनि की दृष्टि में है। सप्तमेश मंगल द्वादशेश होकर अपनी नीच राशि में शनि की दृष्टि में राहु के साथ स्थित हैं। नवांश में भी मंगल अष्टम भाव में केतु और शुक्र के साथ स्थित हैं। चतुर्थ भाव का स्वामी सूर्य अग्नि तत्व ग्रह होते हुए अग्नि तत्व ग्रह मंगल की राशि में स्थित है और द्वितीयेश मारकेश बुध अस्त होकर बैठे हैं। सूर्य और बुध दोनों राहु की दृष्टि में है। गुरु अष्टमेश और लाभेश होकर केंद्र स्थान में मंगल की दृष्टि में है तथा नवांश में नीच राशि में चले गये हैं। राजयोग कारक शनि अपने घर में भाग्य स्थान में चंद्र एवं केतु के साथ राहु और मंगल को देख रहे हैं।

चंद्रमा और शनि की युति से विष योग बनता है। इस कुंडली में भी विष योग की दृष्टि मंगल और राहु को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है। मंगल सूर्य अधिष्ठित राशि का स्वामी होने से तथा राहु की युति के कारण अग्नि का मूर्त स्वरूप बन गया है। शनि भी केतू अधिष्ठित राशि का स्वामी होने से अग्नि का प्रभाव शुक्र पर डाल रहे हैं अर्थात लग्नेश शुक्र पर मंगल, शनि, राहु, केतु तथा सूर्य सभी पाप ग्रहों का कुप्रभाव है। केंद्रस्थ गुरु ने ही जान बख्श दी है। कुंडली में अग्नि, वायु और जल तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाले समस्त ग्रह पीड़ित हैं।

मंगल व राहु की युति अंगारक योग का निर्माण करती है। कल्पना का मंगल न केवल अकारक है अपितु नीच राशि का होने के अतिरिक्त शनि के साथ परस्पर दृष्टि योग का निर्माण करके और भी अधिक कुप्रवृत्ति और कुप्रभाव वाला होकर विध्वंसात्मक राहु के साथ प्रबल अंगारक योग का निर्माण कर रहा है और इस प्रबल अंगारक योग का तांडव लग्नेश शुक्र, जीवन रक्षक गुरु के साथ-साथ कुंडली के समस्त ग्रहों को कुप्रभावित कर रहा है।

केंद्रस्थित बलवान गुरु ने जीवन रक्षा तो की परंतु पीड़ित गुरु अंगारक योग के तांडव को न रोक सका और परिणामस्वरूप कल्पना को अपने अप्रतिम रूप, सौंदर्य, यौवन, स्वस्थ शरीर व जीवन की खुशियों से हाथ धोना पड़ा। गोचर में दुर्घटना के समय जन्मांग के दशमस्थ अष्टमेश गुरु पर मंगल, शनि और राहु की पूर्ण दृष्टि थी तथा सूर्य गुरु के ऊपर ही चल रहे थे। अर्थात घटना वाले दिन गोचर के शनि, मंगल, सूर्य व राहु आदि सभी पाप ग्रहों का जन्मकुंडली के अष्टमेश पर कुप्रभाव होने के कारण अष्टमेश गुरु अष्टम भाव की रक्षा करने में कुछ चूक गया और अग्नि, वायु और जल के मिश्रित योग से पिघले हुए गर्म मोम से कल्पना का शरीर जल गया। गोचर के सभी पाप ग्रहों का प्रभाव दशानाथ गुरु पर होने के कारण अष्टमेश गुरु की दशा अत्यंत अशुभ सिद्ध हुई।

आर्थिक रूप से कल्पना का ससुराल बहुत ही धनाढ्य परिवार है और उन्होंने उस पर पानी की तरह पैसा बहाया क्योंकि कल्पना की कुंडली के अनुसार भी लाभेश गुरु लाभ स्थान को देख रहे हैं और चतुर्थेश व पंचमेश सूर्य और बुध सप्तम में बैठ कर राज योग का निर्माण कर रहे हैं। पराशर के सिद्धांत के अनुसार प्राकृतिक शुभ ग्रह लग्न, चंद्र एवं सूर्य से केंद्र में बलवान स्थिति में है तथा आयु कारक ग्रह शनि बलवान होने से पूर्ण आयु का योग है। कल्पना की कुंडली में गुरु लग्न से केंद्र में चंद्रमा से शुक्र केंद्र में तथा सूर्य से भी गुरु केंद्र में हैं तथा राहु, मंगल तृतीय में हैं। इसीलिए इतनी भयंकर दुर्घटना होने के बाद भी वह बच गई और अकारक ग्रह गुरु की दशा चलने के कारण वह अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई है और अभी भी शारीरिक कष्ट से जूझ रही है। लेकिन कल्पना अत्यंत ही सहनशील और बहादुर है।

उसको बीमारी के दौरान अखिलेश तथा अपने पूरे परिवार का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ और बाद में भी वे न केवल उसके स्वास्थ्य का ख्याल रखते हैं। बल्कि मनोरंजन की दृष्टि से उसे पूरे यूरोप, यू.एस. और अन्य देशें में भी घुमाने ले गये अखिलेश ने कल्पना के आत्मिक सौंदर्य को ज्यादा महत्व दिया न कि शारीरिक सौंदर्य को क्योंकि आत्मिक सौंदर्य ही शाश्वत होता है।



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