चैरासी रत्न एवं उनका प्रभाव
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चैरासी रत्न एवं उनका प्रभाव  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 11615 | फ़रवरी 2015

1. माणिक्य (Ruby): माणिक्य विश्व का सबसे महंगा रत्न है। यह कठोर, पारदर्शी और चमकदार होता है। इसका वास्तविक रंग लाल है किंतु, यह रक्तवर्णी, जामुनी, काला या सफेद भी होता है। श्रेष्ठ माणिक्य चिकना, पारदर्शी, पानीदार या कबूतर के रक्त की भांति गहरा लाल होता है। हथेली में माणिक्य हल्का गर्म प्रतीत होता है। असली माणिक्य की आभा (दूधक) घूमती हुई सी दिखाई देती है तथा नकली की अपेक्षा कम चमकदार होता है। माणिक्य की खानें बर्मा, श्रीलंका, केन्या, अफगानिस्तान, भारत, चीन और अफ्रीका में हैं। बर्मा (मोगोका) का माणिक्य सर्वोत्तम माना जाता है। ज्योतिष में माणिक्य सूर्य ग्रह का परिचायक है तथा औषध रूप में क्षय, पक्षाघात, हर्निया, उदर-शूल, घाव और विष प्रभाव आदि से बचाव में काम आता है।

2. पन्ना (Emerald): पन्ना पारदर्शक, चमकदार और नर्म रत्न है। यह स्वर्ण, गुलाबी, बोतली, मोरपंखी, आसमानी, जल-तेल, कमोदनी, श्वेत आदि रंगों में पाया जाता है। इसका वास्तविक रंग हरा है। पन्ने को नजदीक से देखने पर आंखों को कुछ शीतलता प्रतीत होती है। प्रकाश के सम्मुख रखने पर पन्ने का प्रतिबिंब भी हरा ही दिखाई देगा। यह भार में कुछ हल्का प्रतीत होता है। पन्ना ब्राजील, कोलंबिया, जांबिया, रूस, मेडागास्कर द्वीप, साइबेरिया, अमेरिका, अफ्रीका, भारत और पाकिस्तान में पाया जाता है ब्राजील का पन्ना श्रेष्ठ माना जाता है। पन्ना बुध ग्रह का प्रतिनिधि है। यह ज्वर, सन्निपात, दमा, मिरगी, पागलपन, आंत्रशोथ, नजर, मूठ, जादू-टोना आदि में धारण किया जाता है।

3. नीलम (Blue Sapphire): नीला, लाल, श्वेत, हरा, बैंगनी, श्याम, आसमानी आदि रंगों में पाया जाता है। श्रेष्ठ नीलम चिकना, चमकदार, पारदर्शी, किरणें परावर्तित करने वाला तथा तिनके से चिपकने वाला होता है। जम्मू का नीलम श्रेष्ठ होता है। नीलम शनि ग्रह का परिचायक है। यह भाग्य वृद्धि के लिए तथा आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचने के लिए धारण किया जाता है।

4. हीरा (Diamond): हीरा रत्नों का राजा है। इसका सर्वोत्तम गुण कठोरता और दुर्लभता है। वास्तविक रंग श्वेत होता है किंतु क्रीम, भूरा, पीला, काला, तैलिया, मैलिया, नीना, हरा मटमैला, लाल, कत्थई आदि रंगों में भी हीरा पाया जाता है। दंतला, तकू, कसला, कुरंगी एवं सिम्मा इसकी जातियां हैं। हीरा हथेली मे कुछ ठंडा प्रतीत होता है। पानी में यह तैरने लगता है तथा पानी में डूबोने पर इसमें से किरणे निकलती हैं, हीरे की खानें भारत, कांगो, बोर्नियो, अमेरिका, न्यू साउथ वेल्स, दक्षिण अफ्रिका, बेल्जियम, आस्ट्रेलिया, बर्मा, हिमालय, नेपाल, गोलकुंडा और गंगा के कछारों में हैं। ज्योतिष में हीरा शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है तथा औषध रूप में यह धातु दौर्बल्य को दूर करता है।

5. पुखराज (Topaz): श्रेष्ठ पुखराज रंगहीन, स्वच्छ, स्थूल, भारी, पारदर्शी और चमकीला होता है। यह पीला, हरा, लाल, गुलाबी, नीला, बैंगनी, तेलिया, केसर, स्वर्ण, हल्दी, नींबू आदि रंगों में देखा गया है। पुखराज को श्वेत रूई अथवा कपडे़ पर रखने से इसमें से नीले रंग की आभा निकलती दिखाई देती है। गर्म करने पर रंग सफेद हो जाता है। पुखराज विष-विरोधी है। इसकी खानें बर्मा, श्रीलंका, रूस, आयरलैंड, स्काटलैंड, ब्राजील, मीनाजेरी, भारत, अफ्रीका आदि देशों में हैं। पुखराज गुरु ग्रह का प्रतिनिधि है तथा धन-यश-आयु वृद्धि में काम आता है।

6. मोती (Pearl): मोती श्वेत, क्रीम, नीला, काला, हरा, बैंगनी, लाल, गुलाबी, जामुनी, पीला, आसमानी आदि रंगों में पाया जाता है। गज, सर्प, शंख, शूकर, मीन, मेघ और सीप मुक्ता आदि इसकी दुर्लभ जातियां हैं। श्रेष्ठ मोती सफेद रंग का भार में हल्का, स्निग्ध, निर्मल, प्रकाशमान, छाया उत्पन्न करने वाला और गोल होता है। मोती को घी में डालने पर घी पिघलने लगता है। इसमें छिद्र करने पर दोनों ओर से समान होता है। अम्ल के प्रभाव में मोती झाग देने लगता है और धान की भूसी में रगड़ने से इसकी चमक बढ़ जाती है। बसरे का मोती श्रेष्ठ होता है। मोती फारस की खाड़ी, श्रीलंका, बेनजुएला, मेक्सिको, आस्टेªलिया, बंगाल की खाड़ी, बसरा, श्याम आदि स्थानों में पाया जाता है।

ज्योतिष में मोती चंद्रमा का परिचायक है। यह मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है। औषध रूप में मोती हृदय रोग, मूच्र्छा, मिरगी, उन्माद, पथरी, ज्वर, उदर रोग तथा जीवन रक्षा में काम आता है।

7. मंूगा (Coral): प्रवाल, मंगल। इसका मुख्य रंग लाल है किंतु सिंदूरी, गुलाबी, श्वेत, पांडुई, भूरा, धूसर आदि रंगों में भी पाया जाता है। समुद्रों में आइसिस कीड़े द्वारा बनाया गया घर ही मूंगे की जड़ या झाड़ कहलाता है। असली मूंगे पर पानी की बूंद ज्यों की त्यों टिकी रहती है-फैलती नहीं। अम्ल के प्रभाव में मूंगा झाग देने लगता है। रक्त में रखने पर रक्त जमने लगता है। दूध में डालने पर लाल रंग की किरणें निकलती हैं। श्रेष्ठ मूंगा लाल, चिकना, चमकदार और भारी होता है। यह भूमध्य सागर के तटवर्ती देशों अल्जीरिया, टयूनिशिया, कोरल, इटली, ईरान की खाड़ी, आस्ट्रेलिया, हिंद महासागर, सजनिया, मार्सलीज, कोर्सिका और स्पेन में पाया जाता है। मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। यह भूत-प्रेत, तूफान, बिजली, छाया-माया आदि बाधाओं के प्रभाव को नष्ट करने में विशेष काम आता है।

8. गोमेद (Gargoon, Zircon): गोमेद, राहु। इसका वास्तविक रंग गोमूत्र जैसा है। यह शहद, ब्रांडी, लाल, पीला, नारंगी, श्वेत, नीला, भूरा, उलूक नेत्र आदि रंगों में पाया जाता है। श्रेष्ठ गोमेद गोमूत्र की आभायुक्त, भारी, प्रकाशमान, मृदु, चिकना, गादपरत रहित, पारदर्शी होता है। सिलोनी गोमेद उत्तम माना जाता है। गोमूत्र में गोमेद का रंग 24 घंटों में बदल जाता है। दूध में डालने पर दूध ही गोमेद जैसे रंग का नजर आता है। कसौटी पर घिसने से गोमेद को खरोंच नहीं आती तथा इसकी चमक पूर्ववत् बनी रहती है। गोमेद चीन, श्याम, बर्मा, न्यूजीलैंड, थाईलैंड आस्ट्रेलिया, भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। गोमेद राहु का प्रतिनिधि है। औषध रूप में यह गरमी, तिल्ली, बवासीर, पांडु, नकसीर, ज्वर, दुर्घटना, त्वचा रोग आदि में काम आता है।

9. लहसुनिया (Cat's eye): इसका वास्तविक रंग बिल्ली और आंख जैसा माना गया है किंतु यह पीला, काला, श्वेत, हरा, क्रीम, जर्द, सुनहरी, धूम्र, हड्डी, मिट्टी आदि रंगों में भी मिलता है। श्रेष्ठ लहसुनिया चमकीला, चिकना, भारी और स्पष्ट डोरे (सूत) वाला होता है। लहसुनिये पर चलती हुई धारियां (सूत) संख्या में एक, दो और ढाई तक पायी जाती हैं। ये सूत जितने अधिक स्पष्ट होंगे उतनी ही लहसुनिये की उत्तमता बढ़ेगी। कनक क्षेत्र का और ढाई सूत का लहसुनिया उत्तम माना गया है। लहसुनिये को हड्डी पर रखने से 24 घंटों में आर-पार छेद हो जाता है। अंधेरे में बिल्ली की आंख की तरह चमकता है। यह भूटान, नेपाल, श्रीलंका, भारत, ईरान, बर्मा और श्याम में पाया जाता है। यह केतु ग्रह का परिचायक है। यह शत्रु-भय आदि का नाश कर वंश-वृद्धि करता है। औषध रूप में मधुमेह, उपदंश, नामर्दी और पाचन विकारों में लाभप्रद है।

10. सुनहला (Golden Topaz): सुनहला, सुनहरी, पीला, श्वेत, नीबुई और धूम्रवर्णी आदि रंगों में पाया जाता है। यह पूर्ण पारदर्शी, चमकदार, भार में हल्का और मृदु रत्न है। तुर्किस्तान, हिमालय तथा क्षिप्रा नदी के तटवर्ती प्रदेशों में पाया जाता है।

11. कटहला (Amethyst): यह बैंगनी, नीला, श्वेत (दुरंगा भी) आदि रंगों में पाया जाने वाला पारदर्शी, स्निग्ध, नर्म और चमकदार रत्न है। इसकी खानें ब्राजील, अफ्रीका और भारत में हैं। अफ्रीकी कटहला उत्तम माना जाता है।

12. धुनहला (Smoky Topaz): धुएं जैसे रंग का यह रत्न पारदर्शी, नर्म और चमकीला होता है। हिमालय, विंध्य और गंगा के कछारों में पाया जाता है।

13. गारनेट, रक्तमणि (Garnet): लाल, सुर्ख, गुलाबी, कत्थई आदि रंगों में पाया जाने वाला नर्म, पानीदार, पारदर्शी रत्न है। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका अफ्रीका आदि देशों में मिलता है।

14. बैरूज (Aquamarine) यह हरा, पीला, नीला, आसमानी आदि रंगों में पाया जाता है। समुद्री जल की भांति कांतियुक्त, पारदर्शी, हल्का व नर्म रत्न है। यह भारत में पाया जाता है।

15. काका नीली ;स्ंसपजमद्ध नीला-काला मिश्रित वर्ण का मृदु, हल्का, पानीदार, पारदर्शी रत्न है। यह भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अफ्रीका और श्रीलंका में पाया जाता है।

16. मरगज ;।नमवजनतपदम ळतममद स्ंकमद्ध रू हरा, नीला, श्वेत आदि रंगों में मिलने वाला अर्ध पारदर्शी, हल्का सुन्न रत्न है। इसमें रंग छितरा हुआ (छींट-छींट) रहता है।

17. नरम, लालड़ी ;ैचपदंस तनइलद्ध रू लाल, गुलाबी, कत्थई रंगों में पाया जाने वाला, लोचदार, आभायुक्त, पारदर्शी, नरम रत्न है। यह माणिक्य की खान में ही मिलता है किंतु माणिक्य नहीं होता। देखने में माणिक्य जैसा लगता है। बर्मा, श्रीलंका, भारत, केनिया, अफ्रीका में पाया जाता है।

18. रूपाड़ा ;ठसववक ैजवदमद्ध रू दूर से देखने पर माणिक्य सदृश, लाल-गुलाबी रंग का, दलदलयुक्त, भारी, अपारदर्शी, रुक्ष कांति का गुम रत्न है।

19. लाजवत्र्त ;समचपेद्ध रू नीले रंग का अपारदर्शी, चमकदार, सोने-चांदी के छींटों से युक्त, नरम रत्न है। इस पर सफेद धब्बे भी देखे जाते हैं। यह कुष्ठ रोग में काम आता है।

20. फिरोजा ;ज्नतुनवपेमद्ध: यह आसमानी रंग का चमकदार, गुम रत्न है। ईरानी फिरोजा श्रेष्ठ होता है। यह वात रोगों में लाभकारी है।

21. पेरिडोट ;च्मतपकवजएैंदक ैजवदमद्ध: इसे घृतमणि तथा जबरजद्द भी कहते हैं। यह हरा, तोता पंखी आदि रंगों में पाया जाने वाला मुलायम, नर्म, पानीदार रत्न है। इस पर पिस्ता के समान छींटे पाए जाते हैं। औषध रूप में यह नजर मिरगी में बहुत काम आता है।

22. दाना फिरंग ;ज्ञपदकदमल ैजवदमए डंसं ापजमद्ध: यह गहरे हरे रंग में मैलापन लिए, लहरदार अथवा भंवरदार, अपारदर्शी पत्थर है। यह गुर्दे के रोगों में लाभदायक होता है।

23. मून स्टोन ;डववद ैजवदमद्ध: चंद्रमणि। यह श्वेत, क्रीम, हल्का गुलाबी रंगों में पाया जाने वाला अर्धपारदर्शी, गुम, मैला, चिकना रत्न है। यह बाल्यावस्था के कष्टों को दूर करता है।

24. टाइगर, चीता ;ज्पहमतद्ध: यह पीत-कृष्ण मिश्रित वर्ण का चमकदार, अपारदर्शी, श्वेत रेखा युक्त रत्न है। इसे दस्यिाई लहसुनिया भी कहते हैं। यह पीलिया रोग में लाभकारी होता।

25. ओपल ;व्चंसद्ध: यह श्वेत रंग का अपारदर्शी, चमकदार, मृदु रत्न है। मधु, पीला, नीला, हरा आदि रंगों में भी मिलता है। इसमें सूक्ष्म लाल सितारे से दिखाई देते हैं। यह उन्नतिदायक रत्न है।

26. तुरमली ;ज्वनतउंसपदमद्ध: इसे तैलमणि तथा उदाऊ भी कहते हैं। वजन में भारी, पारदर्शी, पानीदार, चिकना तथा सभी रंगों में पाया जाने वाला रत्न है।

27. ओनिक्स ;व्दलगद्ध: यह क्रीम रंग की धारियों से युक्त श्वेत-भूरे रंग का गुम रत्न है। इस पर कृष्ण रेखा भी देखी जाती है।

28. स्टार ;ैजंतेद्ध: यह माणिक्य जाति का लाल-काला मिश्रित रंग का, गुम, अपारदर्शी, चमकदार, चार छह या आठ कलियों से युक्त सख्त रत्न है। स्टार नीले में भी पाए जाते है। केनिया के स्टार श्रेष्ठ माने जाते हैं। मसूरी अधिक प्रचलन में है।

29. बिल्लोर ;ब्तलेजंसए च्मइइसमद्ध: इसे शलमणि भी कहते हैं। स्वच्छ, मृदु, चमकदार, पारदर्शी रत्न है। इसकी गेंद भविष्यवाणी में काम आती है।

30. तामड़ा ;ळवतपमेजद्ध: यह लाल, गुलाबी रंग का गुम अपारदर्शी, रुक्ष रत्न है। इसके किनारे पारदर्शक होते हैं। भीतर मांद भरी होती है।

31. काला लहसुनिया ;ठसंबा ैजंतद्धः काले रंग का 4-6 कलियों से युक्त, चमकीला, गुम, नर्म रत्न है।

32. यशव र्;ंकमद्ध: यह श्वेत, पीला-हरा आदि मिश्रित वर्ण का शीतल और सख्त पत्थर है। इसमें जीवाणु प्रतिरोधक क्षमता होने से इसे वाटर फिल्टर भी कहते हैं। दिल के रोगों में विशेष काम आता है।

33. हकीक ;ब्वतदमजपंदए ।हंजमद्ध: विभिन्न रंगों तथा दस जातियों में पाया जाने वाला अति सख्त रत्न है। रुक्ष और अपारदर्शी होता है। यमनी, गव, गौरी, हदीद, सिजरी, पनघन, राता, पितानिया और सुलेमानी इसकी जातियां हैं। रक्त, पित्त, प्रदर, मधुमेह और मानसिक रोगों में लाभदायी होता है।

34. चुंबक ;डंहदमजए स्वंक ैजवदमद्ध: गहरा काला और गहरा लाल रंग मिश्रित वर्ण का रुक्ष, अपारदर्शी और चमकदार रत्न है। यह सकारात्मक तथा नकारात्मक दो प्रकार का होता है। लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसी भांति गनमेटल के भी नगीने बनते हैं जो लोहा और रांगा मिश्रित धातु है।

35. बैरिअल: यह आसमानी और हरा रंग मिश्रित वर्ण का, झांईंयुक्त अथवा पट्टेदार, पारदर्शी किंतु रुक्ष कांति का रत्न है। इस पर पाॅलिश कम आती है। बैरूज, नीलम तथा पन्ने से कुछ मिलता-जुलता रत्न है।

36. स्फटिक मणि ;त्वबा ैजवदमद्ध: श्वेत, गुलाबी, मटमैला, क्रीम आदि रंगों में पाया जाने वाला पारदर्शी, चमकदार रत्न है। औषध रूप में यह छाले, फफोले में काम आता है।

37. कहरवा, तृणमणि ;।उइमतद्ध: यह पीले अथवा लाल रंग का अपारदर्शी रत्न है। रत्न होते हुए भी यह एक विशेष प्रकार के वृक्ष से गांेद के रूप में प्राप्त होता है। इसे घिसने से खुशबू आती है। इसकी माला जप-तप में बहुत काम आती है।

38. कसौटी ;ज्वनबी ैजवदमद्ध: काले रंग का रुक्ष, अपारदर्शी, मुलायम रत्न है।

39. पारस ;च्ीपसवेवचीपते ैजवदमद्धः यह काले रंग का दुर्लभ व अमूल्य रत्न है।

40. सतमासी, कच्चा पन्ना, ग्रीन गारनेट ;।चमजपजमद्ध: हरा, नीला, पीला व हरा-नीला मिश्रित वर्ण का दोरंगा, मृदु, पारदर्शी, रुक्ष-कांति का, कुछ-कुछ पानीदार और शीघ्र भंगुर रत्न है। देखने में पन्ने जैसा लगता है। भारत (उड़ीसा, राजस्थान), पाकिस्तान, अफगानिस्तान व श्रीलंका में पाया जाता है।

41. संगसितारा ;ळवसक ैजंतद्ध: गेरुआ रंग का यह गुम रत्न, अपारदर्शी, चमकदार और स्वर्ण छीटों से जगमगाता हुआ होता है। मानसिक कुंठा, त्रास आदि दूर करता है।

42. जहर मोहरा ;ैमतचमदजपदमद्ध: इसे सर्पिला भी कहते हैं। हरे-पीले मिश्रित वर्ण का रत्न है। सर्प दंश में जहर उतारने के काम आता है।

43. अजूबा: यह श्वेत तथा खाकी रंग का मृदुल, अपारदर्शी, गुम रत्न है। इस पर रंग बिरंगी धारियां भी पाई जाती हंै।

44. अहवा ;च्पदाचमतद्ध: यह अपने ऊपर धब्बे लिए गुलाबी रंग का अपारदर्शी मृदु पत्थर है।

45. अबरी: काले-पीले रंग में पाया जाने वाला अपारदर्शी, चिकना रत्न है। इसकी भस्म बनती है।

46. अमलिया: गुलाबी रंग की छटा लिए काले रंग का यह रत्न अपारदर्शी तथा चमकदार होता है। यह औषधि में काम आता है।

47. अलेमानी: भूरे रंग का अपारदर्शी तथा काले रंग की क्षीण रेखाओं से युक्त रत्न है।

48. कर्पिश मणि: यह भूरे तथा बादामी रंग का नर्म रत्न है। इसकी भस्म आयुर्वेद में काम आती है।

49. कांसला: यह मैलापन लिए श्वेत वर्ण का पारदर्शी, चमकदार रत्न है।

50. कुरंडम ;ब्वततनदकनउद्ध: यह गुलाबी रंग का मैला, गादयुक्त, अपारदर्शी रत्न है। यह सान चढ़ाने में काम आता है।

51. कुदरत ;छंजनतमद्ध: काले रंग का गुम रत्न है। इस पर सफेद-पीले धब्बे भी देखे जाते हैं।

52. गोदंती ;ब्वूवतलद्ध: यह श्वेत रंग का अपारदर्शी, शीघ्र भंगुर रत्न है। इसकी कांति रुक्ष होती है।

53. गुदड़ी ;फनपसजद्ध: यह पीले रंग का ऊबड़-खाबड़, भद्दा, रुक्ष, गुम रत्न है।

54. चकमक ;थ्सपदजए थ्पतम ैजवदमद्ध: काले रंग का गुम रत्न है। इस पर लोहा रगड़ने से आग निकलती है।

55. झरना ;ैजतमंउद्ध: गीली मिट्टी के रंग जैसा गुम, शीघ्र भंगुर रत्न है। यह मोतीझरा तथा एलर्जी में काम आता है।

56. टेढ़ी ;च्पससंत ैजवदमद्ध: कठोर, अपारदर्शी, तथा मजबूत रत्न है। यह स्तंभ बनाने में काम आता है।

57. डूर ;क्ववतद्ध: कत्थई रंग का अपारदर्शी रुक्ष और सख्त रत्न मूर्तियां बनाने में काम आता है।

58. तिलिया: काले तिल जैसे रंग का छींटेदार, गुम, अपारदर्शी एवं रुक्ष रत्न है।

59. तुरसावा: यह नीले रंग की आभायुक्त, श्वेत, हरा लाल आदि रंगों में पाया जाने वाला नरम, हल्का और चमकदार रत्न है।

60. दांतला ;ज्ममजीमतद्ध: यह श्वेत तथा हरे रंग में पाया जाने वाला नरम, हल्का और चमकदार रत्न है।

61. दारचना: धूल-कण जैसे छोटे-छोटे बिंदुओं से युक्त कत्थई व पीले रंग का रत्न है।

62. दूर-ए-नजफ: भुने हुए जौ के समान रंग का गुम, रुक्ष रत्न है।

63. फातह-ए-जहर ;।दजप च्वपेवदद्ध ः बर्फ की भांति श्वेत रंग का अर्धपारदर्शी, चमकदार रत्न है। जहरीले दंश, व्रण, घाव, विष प्रकोप में काम आता है।

64. बांसी ;ैमं ळतममदद्ध: जलीय काई के समान रंग का रुक्ष, मृदु, अपारदर्शी रत्न है।

65. मकड़ी ;ैचपकमतद्ध: यह हरे, काले रंग का रत्न है। इसके भीतर मकड़ी के जाले की भांति जाले दिखाई देते हैं।

66. मरियम ;ठतवजीमत व िडंतइसमद्धः ेखने में संगमरमर जैसा किंतु संगमरमर नहीं होता। यह रत्न केवल सफेद रंग में मिलता है।

67. मासर मणि ;म्उमदलद्ध: श्वेत, लाल, काला, पीला आदि रंगों में पाया जाने वाला यह एक महत्वपूर्ण रत्न है। यह आग में नहीं जलता तथा दूध-पानी को अलग-अलग कर देता है। यह अग्नि, जल, चोर, शत्रु, भूत-प्रेत आदि से बचाव में काम आता है।

68. मूव-ए-नजफ: यह सफेद रंग का काली धारियों वाला रुक्ष रत्न है।

69. रक्ताश्मि ;ठसववकल.त्ंलेद्ध: गुम, कठोर, मलिन होते हुए पीला, नीला और हरे रंगों में मिलता है। इस पर लाल रंग के लंबे-लंबे छींटे होते हैं।

70. रातरतूआ ;।दजप थ्मअमतद्ध: यह लाल तथा गेरुए रंग का रत्न है। यह ज्वर में काम आता है।

71. लूणिया ;ैंसजमतद्ध: हरे रंग का गुम रत्न है। इसके बर्तन बनते हैं।

72. शुभ्रमणि ;स्नबाल ैजवदमेद्ध: विभिन्न रंगों में पाया जाने वाला स्वच्छ, पारदर्शी, चमकीला रत्न है। इसे कार्य सिद्धि के लिए धारण करते हैं।

73. संगिया, घींया ;ैवंच ैजवदमद्ध: चाक के पत्थर से मिलता-जुलता सफेद रंग का मुलायम रत्न है।

74. संगे सिमाक: गुम, मलिन, सख्त और लाल रंग का रत्न है। इस पर सफेद छींटे होते हैं। यह सान चढ़ाने के काम आता है।

75. सिफरी: आसमानी तथा हरी सब्जी के रंग में मिलने वाला यह पत्थर नर्म, अपारदर्शी और रुक्ष होता है।

76. सिंदूरी ;टमतउपससपवदद्ध: यह गुलाबी रंग का मृदु, अपारदर्शी रत्न है। दर्पण, देवार्चना तथा औषधि में प्रयुक्त होता है।

77. सूर्यमणि ;।चचवसव ैजवदमद्ध: पूर्ण श्ेवत रंग का, कांच की भांति चमकीला और पारदर्शक रत्न है। बनावटी साज-सामानों में काम आता है।

78. सुरमा ;।दजपउवदलद्ध: काले रंग का शीघ्र भंगुर रत्न है। यह सुरमा बनाने में काम आता है।

79. सोन मक्खी ;ळवसकमद थ्सलद्ध: यह रत्न सोने के टुकड़ों के समान मक्खी की शक्ल में पाया जाता है। इसका रंग सोने जैसा (पीत वर्ण) होता है। यह सौंदर्य प्रसाधन, बनावटी साज-सामान तथा औषधि में प्रयुक्त होता है।

80. हजरते बैर: मटमैले रंग का बैर की आकृति वाला ऊबड़-खाबड़ सतह का गुम, रुक्ष रत्न है। यकृत और वृक्क से संबंधित रोगों में लाभदायक है।

81. हजरते ऊद: यह गुलाबी रंग का लोचदार, खुरदरा, अपारदर्शी और रुक्ष रत्न है।

82. हरितोपल ;ैचपतंस त्नइलद्ध: हरे रंग का यह रत्न, पारदर्शक, चमकदार तथा देखने में हरे माणिक्य जैसा होता है।

83. भीष्मकमणि: यह पीला, काला, श्वेत, मधु आदि रंगों में मिलने वाला स्निग्ध, पारदर्शी रत्न है। हृदय रोग तथा शत्रु पर विजय में लाभकारी होता है।

84. उलूक मणि: यह एक दुर्लभ मणि है। मटमैले रंग का यह रत्न एक विशेष प्रजाति के उल्लू के मस्तक से प्राप्त होता है। इसे किसी अंधे की आंखों से स्पर्श कराने से उसकी खोई नेत्रज्योति वापस आ जाती है।



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