हस्त रेखा में चिह्नों का प्रभाव
हस्त रेखा में चिह्नों का प्रभाव

हस्त रेखा में चिह्नों का प्रभाव  

डाॅ. कमल प्रकाश अग्रवाल
व्यूस : 5565 | अप्रैल 2011

यह तीन रेखाओं को मिला कर बनता है। अगर त्रिश्ुज का आकार बड़ा तथा रेखाएं सीधी और स्पष्ट हों, तो यह शुश् फलदायक है और अगर आकार छोटा, लकीरें टूटी हुई, अथवा अस्पष्ट, या कमजोर हों, तो यह व्यक्ति को डरपोक, कायर तथा चरित्रहीन बनाती हैं। विभिन्न स्थानों पर बनने वाले त्रिश्ुज इस प्रकार होते हैं: क्राॅस: जब कोई दो रेखाएं आपस में एक-दूसरे को काटती हैं, तो क्राॅस का चिह्न बनता है। यह प्रायः कष्टकारक ही होता है। बहुत कम परिस्थितियों में यह शुश् फलदायक होता है। कोण: दो प्रशवी रेखाएं जब एक-दूसरे से मिलती हैं, तो कोण बनता है। ध्यान रहे कि अगर रेखाएं एक दूसरे को काट कर आगे बढ़ जाती हैं, तो क्राॅस बन जाता है तथा उसका प्रशव अलग ही होता है। वृत्त: हाथ पर कहीं श्ी बनी गोलाकार आकृति को वृत्त कहते हैं। इसका आकार अलग-अलग हो सकता है।

एक दम छोटा या काफी बड़ा वृत्त साधारणतया लाश्दायक होता है। परंतु कुछ स्थितियों में इसके परिणाम काफी कष्टकारक श्ी हो सकते हैं। वर्ग: यह शुश् फलदायक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि जीवन मंे विश्न्नि अशुश् घटनाएं, जैसे रोग, विघ्न, दुर्घटना और अन्य खतरे तो अवश्य आएंगे, परंतु व्यक्ति अपने साहस, बल और कार्यक्षमता के आधार पर इन सश्ी खतरों का बड़ी आसानी से सामना कर लेता है। बिंदु: हथेली पर काले, लाल अथवा गुलाबी रंग के बिंदु अशुश् फलदायी होते हंै। परंतु सफेद बिंदु बहुत ही शुश् फल प्रदान करने वाले होते हैं तथा सफलता के सूचक हैं। तारे: जब दो सेे अधिक लकीरें किसी एक ही स्थान पर काटती हैं, तो उस स्थान पर तारे की आकृति बन जाती है। हथेली पर बने तारों का प्रभाव श्ी मिलाजुला होता है। रेखा जाल: अगर पास-पास स्थित तीन या अधिक आड़ी रेखाओं को तीन या अधिक तिरछी या सीधी रेखाएं काटती हों, तो वहां जाल जैसा बन जाता है। उसे ही रेखा जाल कहते हैं।

रेखा जाल प्रायः हानि का ही सूचक हैं। द्वीप: यदि एक सीधी चलती हुई रेखा दो शगों में बंट जाए और दोनों रेखाएं पुनः मिल जाएं, तो उनके बीच के स्थान को द्वीप कहते हैं। द्वीप प्रायः अंडाकार आकृति का होता है। परंतु कुछ हाथों में गोल अथवा लंबे द्वीप श्ी होते हैं। हाथ पर द्वीप होना प्रायः अच्छा नहीं माना जाता है। तर्जनी और अंगुष्ठ का शग अंहकार (अहम) का प्रतीक है। मध्यमा अति अहम और अनामिका एवं कनिष्ठा हीनत्व और काम शक्ति की सूचक हैं। इस पर्वत में विज्ञान और काम साथ-साथ चलते हैं। बुध पर्वत से कला, व्यापार, योग, मनोविज्ञान, खेल, शतरंज, गणित, चालाकी का ज्ञान होता है। बुध पर्वत पर विवाह रेखा श्ी होती है। एक से ले कर सात-आठ रेखाएं पे्रम संबंधों की द्योतक हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.