क्या आप जानते हैं?
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फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 2893 | सितम्बर 2013

Û चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक सैटेलाइट है जिसका निर्माण लगभग 4.6 अरब वर्ष पूर्व और सौरमण्डल की रचना के 3 से 5 करोड़ वर्ष पश्चात हुआ।

Û चन्द्रमा का व्यास 3475 कि.मी., सूर्य से औसत दूरी 384400 कि.मी., औरबिट की लम्बाई 27.3 दिन पृष्ठ भाग का तापमान -2330 से 1230 ब् तथा द्रव्यमान 73,476,730,924,573,500, 000,000 किलोग्राम है।

Û पृथ्वी चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षणीय बल के कारण दो जगह से उभरी हुई है। यह उभार पृथ्वी के घूमने से समन्दर में घूमते हैं और ज्वार भाटा का कारण बनते हैं।

Û चन्द्रमा पृथ्वी से प्रतिवर्ष 3.8 सेंटीमीटर दूर हो जाता है। ऐसा अनुमान है कि यह आने वाले लगभग 50 विलियन वर्षाें तक पृथ्वी से दूर होता जाएगा। ऐसा जब हो जाएगा तो चन्द्रमा को पृथ्वी के गिर्द घूमने में 27.3 दिन की बजाए 47 दिन लगेंगे।

Û चन्द्रमा की गुरुत्व शक्ति पृथ्वी से कम होने के कारण चन्द्रमा पर मनुष्य का वजन 1/6 होता है।


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Û चन्द्रमा पर अब तक 12 व्यक्ति पहुंच चुके हैं। ये सब के सब अमेरीकी पुरुष हैं। चन्द्रमा पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्राॅन्ग थे जो सन् 1969 में अपोलो 11 मिषन से चांद पर पहुंचे व चांद पर कदम रखने वाले आखिरी व्यक्ति जीन सीमैन थे जो अपोलो 17 मिषन से 1972 में चांद पर पहुंचे थे। तब से आज तक चन्द्रमा पर मानवरहित वाहन ही भेजे गए।

Û चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहंीं है इसका सीधा तात्पर्य यह हुआ कि चन्द्रमा के पास काॅस्मिक रेज़, मिटियोराइट्ज़ और सोलर विंडज़ से सुरक्षा हेतु कवच नहीं है। चन्द्रमा के तापमान में तब्दीलियां होती रहती हैं। वायुमण्डल न होने के कारण चन्द्रमा पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि नहीं सुनी जा सकती और यहां पर आकाष सदा काला ही दिखाई देता है।

Û चन्द्रमा पर भूकंप आते हैं। इन भूकम्पों का कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षणीय खिंचाव है। वैज्ञानिकों के अनुसार चन्द्र्रमा का अन्तर्भाग पृथ्वी की तरह पिघला हुआ है।

Û चन्द्रमा पर पहुंचने वाला पहला स्पेसक्राफ्ट लूना 1 सन् 1959 में यू.एस.एस.आर की ओर से भेजा जाने वाला सोवियत क्राफ्ट था।

Û चन्द्रमा सौरमण्डल का पांचवा सबसे बड़ा प्राकृतिक सैटेलाइट है। चन्द्रमा गुरु और शनि के गिर्द घूमने वाले मुख्य उपग्रहों से कहीं छोटा है। पृथ्वी का आयतन चन्द्रमा से लगभग 80 गुणा अधिक है लेकिन दोनों की आयु लगभग बराबर है।

Û यद्यपि ऐसा भी माना जाता रहा है कि पृथ्वी की रचना के पश्चात आरम्भिक वर्षों में किसी पिण्ड के पृथ्वी से टकराने से चन्द्रमा टूट कर पृथ्वी से अलग हुआ।

Û नासा के वैज्ञानिक अपनी योजनाओं के अन्तर्गत 2019 तक चन्द्रमा पर एक स्थायी स्पेस स्टेषन बनाना चाहते हैं और यदि सब कुछ योजना के तहत चलता रहा तो मनुष्य 2019 तक चन्द्रमा पर फिर से पदार्पण करेगा।



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