भविष्य को जानने की जिज्ञासा मनुष्य की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। इसी जिज्ञासा ने विज्ञान के विभिन्न आयामों को विकसित किया। डाउजिंग भी एक विज्ञान है जिसका प्राचीन काल में भविष्य में होने वाली घटनाओं को जानने के लिए प्रयोग किया जाता था। कई स्थलों पर उल्लेख मिलते हंै कि राजा युद्ध में जाने से पूर्व डाउजिंग किया करते थे।
दक्षिण पूर्व लीबिया की प्राचीन गुफाओं में कुछ ऐसे चित्र मिले हैं जिनमें अनेक लोगों ने डाउजिंग करते हुए कुछ लोगों को घेर रखा है। यह विज्ञान लगभग आठ हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन मिस्र में भी कुछ ऐसे चित्र मिले हैं जिनसे डाउजिंग के प्रचलन का पता चलता है।
ईसाइयों के धार्मिक ग्रंथ टेस्टामेंट में भी एक दैवीय छड़ का उद्धरण अनेक बार आया है। ऐसा माना जाता है कि इस दैवीय छड़ से डाउजिंग की जाती थी। अठारहवीं शताब्दी में अनेक देशों मंे डाउजिंग का प्रचलन बढ़ा। जाॅन मुलिन्स इस शताब्दी का एक सुप्रसिद्ध डाउजर था।
इसका प्रयोग विशेष रूप से भूमि के अंदर जल-स्रोतों को खोजने के लिए किया जाता था। लियोनार्दों द विंची, रौबर्ट बोयले, थाॅमस ए. एडीसन व डाॅ. एल्बर्ट आइन्स्टीन भी सुप्रसिद्ध डाउजर थे। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि फरीदाबाद जैसा औद्योगिक शहर डाउजिंग का ही परिणाम है।
पंजवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली से बाहर जब एक औद्योगिक शहर बनाने की योजना बनाई, तो इस स्थान को इंजीनियरों ने यह कह कर नकार दिया कि इस पूरे क्षेत्र में पानी की बेहद कमी है। पं. जवाहर लाल नेहरू अहमदाबाद के एक डाउजर को जानते थे, उन्हें बुलाया गया। उन्होंने डाउजिंग के आधार पर पांच स्थानों का चुनाव किया और वहां खुदाई करवाई।
उन सभी पांच स्थानों पर पानी का असीम भंडार था। आज भी फरीदाबाद उन पांच स्थानों से अपने जल की पूर्ति करता है तथा देश का प्रसिद्ध औद्योगिक स्थल है। प्रश्न उठता है कि क्या डाउजिंग के आधार पर भविष्य जाना जा सकता है? इसका उत्तर पूरी तरह से नकारात्मक रूप से नहीं दिया जा सकता। साधारणतया डाउजिंग के माध्यम से भविष्य की घटनाओं की गणना नहीं की जा सकती।
परंतु निकट भविष्य में होने वाली घटनाओं को विशेष प्रकार से रचित प्रश्नों और कार्डों के आधार पर जाना जा सकता है। डाउजिंग के आधार पर किसी व्यक्ति के रोग के बारे में जाना जा सकता है। आधुनिक युग में बहुत से चिकित्सक भी इसकी सहायता लेते हैं। इसके अतिरिक्त इसके माध्यम से किसी भी स्थान या भवन की वास्तु संबंधी ऊर्जा को जाना जा सकता है।
इसके सहारे, दूर रह कर भी, किसी स्थान या भवन की नकारात्मक ऊर्जा को बिना कोई वास्तु परिवर्तन किए सकारात्मक बनाया जा सकता है। डाउजिंग से बाहर से लाई जाने वाली देवताओं की मूत्र्तियों की ऊर्जा को परखा जा सकता है। बाजार से खरीदने वाली कोई भी वस्तु यदि डाउजिंग से परख कर खरीदी जाए, तो वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होगी।
विवाह संबंधी निर्णय लेने से पहले डाउजिंग की सहायता ले ली जाए, तो दाम्पत्य के सुखमय होने की संभावना बढ़ जाती है। जहां निर्णय लेने में दुविधा हो, वहां यह विधि सहायक सिद्ध हो सकती है।
इस प्रकार हम डाउजिंग के माध्यम से बहुत कुछ जान सकते हैं, लेकिन भविष्य की बारीक जानकारी देने में यह अक्षम है क्योंकि इससे प्रायः हम दो ही उत्तर लेते हैं - नकारात्मक या सकारात्मक। इन्हीं दो उत्तरों के अनुसार हमें अपने प्रश्नों की रचना करनी होती है।
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