विवाह के बाद पति-पत्नी का दांपत्य जीवन प्रारंभ होता है जो दीर्घकाल तक चलता रहता है परंतु कभी-कभी ऐसा होता है कि कुंडली मिलान ठीक न होने या स्वभाव में भिन्नता, संतान का न होना, संतान का बिगड़ जाना, शारीरिक अक्षमता आदि के कारण दांपत्य जीवन में सुख का अभाव हो जाता है।
इन सब स्थितियों का आकलन एवं अवलोकन करने के बाद हमारे पूर्वजों ने कुछ उपायों का अन्वेषण किया जिससे दांपत्य जीवन सुखी रहे। वे उपाय निम्न प्रकार कहे गये हैं: 1. विवाह के बाद जब कन्या विदा हो तो किसी पीले रंग के पात्र में गंगाजल में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर उसमें एक तांबे का सिक्का डालकर कन्या के ऊपर से सात बार उतार कर उसके आगे फेंक दंे। इससे कन्या का दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। 2. विवाह होने से चार दिन पहले सात साबुत हल्दी की गांठ, पीतल के तीन सिक्के या टुकड़े, थोड़ा सा केशर, थोड़ा सा गुड़ व चने की दाल किसी पीले कपड़े में बांधकर कन्या अपनी ससुराल की दिशा की ओर फेंक दे। इससे कन्या ससुराल में सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत करेगी। 3. यदि किसी कारण से क्रम से