(कोई नहीं रोक सकता है तुम्हें अमीर बनने से) धन के बारे में आपकी मान्यताएं और आदर्श, धन कमाने संबंधी आपकी कल्पित सीमाएं, भीतर छिपा नकारात्मक ‘माइंड सेट’ (मनोवृति) आपकी समृद्धि में बाधक है।
Û कैरियर और धन के बारे में आपके अंतर्मन में सचमुच क्या विचार चलते हैं, उन्हें लिखें (चेतन मन से चल रही बातें नहीं लिखें)। आपके जीवन पर चेतन मन के विचारों का नहीं अपितु अचेतन मन के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ता है।
Û पहचानें कि क्या आपके भीतर सपने हैं?
Û बंद कीजिए यह कहना कि मैं तो पैदायशी गरीब हूं, बदनसीब हूं, मेरे माँ-बाप ने सहयोग नहीं दिया या उसके कारण मैं आगे नहीं बढ़ पा रहा हूं, बाजार मेरे पक्ष में है या मेरे जैसे लोग ऐसी ऊंचाईयां हासिल नहीं कर सकते हैं। मेरी हैसियत नहीं है, मैं तो अशिक्षित हूं, धन के बिना कोई आगे नहीं बढ़ सकता इत्यादि।
Û भूलकर भी कभी भाग्य, संयोग, चमत्कार या परमात्मा की मर्जी जैसे शब्द इस्तेमाल न करें। अपने दिमाग में लिख लीजिए कि इस संसार में आपके भाग्य को बनाने में या बिगाड़े में किसी की रुचि नहीं है। वस्तुतः आपकी अपनी सोच, मान्यताएं, आपके कर्म हर पल आपके भाग्य का निर्माण करते हैं।
Û आप कंगाल बनकर भूखे मरो या करोड़पति बनकर। जीवन के सारे उपभोग करो, परमात्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता। यह चुनाव आपको स्वयं करना है। आपके जीवन या भाग्य का यहां कोई निर्णायक नहीं है। किसी को आपके जीवन की बर्बादी या विकास में रुचि नहीं है। इस संसार में सब कुछ परफेक्ट नियम के अनुसार घटित होता है। अपनी इच्छाशक्ति से अपने संयोग स्वयं निर्मित करें अन्यथा आप प्राकृतिक संयोग के शिकार हो जायेंगे। तोड़िए अपनी पुरानी मान्यताओं को, भाग्यवादिता को, बंद कीजिए अपनी निराशाओं को भाग्य का नाम देना।
Û कुछ तुम भी करो, कुछ सपने तुम भी देखो और उसमें जो भी रंग भरो। ईश्वर ने तुम्हें सब कुछ दिया है जैसा चाहो भाग्य का निर्माण करो। जी हां आप अपने भाग्य के निर्माता खुद हैं विस्तार से जानने के लिए तीन दिन का कार्यक्रम (ॅवता ेीवच) ंजजमदक करें और जानें ब्रह्मांड हमारी सोच से कैसे जुड़ा हुआ है और वो कैसे कार्य करता है, उसकी भाषा क्या है।