प्रश्न: भूत क्या है?
उत्तर: भूत का अर्थ है बीता हुआ काल। दूसरे अर्थों में, मृत्यु के बाद और नये जन्म होने के बीच में अमिट वासनाओं के कारण मन के स्तर पर फंसे हुए जीवात्मा को ही भूत कहा जाता है।
प्रश्न: प्रेत क्या है?
उत्तर: व्यक्ति अपने पंच तत्वों से बने हुए स्थूल शरीर को छोड़ने के बाद अंतिम संस्कार के पिंडोदक आदि क्रियाएं पूर्ण होने तक जिस अवस्था में रहता है, वह प्रेत योनी कहलाती है।
प्रश्न: पितर क्या हैं?
उत्तर: प्रत्येक व्यक्ति के सभी सात पीढ़ी तक के सभी रक्त संबंधी पूर्वज पितरों की श्रेणी में आते हैं।
प्रश्न: भूत-प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति का उपचार किस तरीके से किया जा सकता है?
उत्तर: भूत नामक शक्ति मन के स्तर पर ही अधिक कार्य करती है और उसी के द्वारा शरीर को भी प्रभावित करती है अतः भूत, प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति का उपचार मंत्र तथा योगसाधनाओं द्वारा किया जा सकता है। शरीर के सम्पूर्ण ऊर्जा चक्रों को सक्रिय करके साधक को भौतिक, आध्यात्मिक और मानसिक स्तर पर मजबूत बना देती है जिससे भूत नाम नकारात्मक ऊर्जा अपना कार्य नहीं कर पाती है। शरीर और मन की शुद्धि के साथ की वस्त्रों, स्थान तथा भोजन की शुद्धि द्वारा भी प्रेतों को दूर रखा जा सकता है। नकारात्मक ऊर्जाएं अंधकार में अत्यंत प्रबलता से अपना कार्य करती हैं अतः निरंतर प्रकाश की व्यवस्था करके जैसे अखंड ज्योति आदि जलाकर तथा देवी देवताओं की उपासना द्वारा मन के सब कोनों में साहस और शक्ति का संचार करके भूतों को अपने से दूर रखा जा सकता है।
प्रश्न: प्रेत आत्माओं के कितने वर्ग होते हैं?
उत्तर: प्रेत आत्माओं को हम तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं। पहले वर्ग की प्रेत आत्माएं सतोगुणी, दयावान, शांत, सौम्य और करुणामयी होती हैं। दूसरी प्रकार की आत्माएं रजोगुणी होती हैं। लेकिन इसमें ये अपनी इच्छापूर्ति के लिए अपने संस्कार के अनुकूल किसी भी जीवित व्यक्ति के प्राप्त होने पर उसके शरीर में प्रविष्ट होकर अपनी वासनाओं की पूर्ति करती हैं। तीसरे स्तर की आत्माएं तमोगुणी होती हैं इस प्रकार की आत्माएं झगड़ालू और मारपीट पंसंद लोगों के मस्तिष्क में प्रवेश करके उनसे झगड़ा, मारपीट आदि कराती हैं।
प्रश्न: प्रेत आत्माएं हम लोगों को दिखाई क्यों नहीं देतीं?
उत्तर: जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना होता है जिसमें पृथ्वी तत्व सबसे अधिक होता है। जबकि प्रेत आत्माओं में वायुतत्व की मात्रा सबसे अधिक और बाकी चार तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है जिससे केवल उनका स्पर्श और अस्तित्व महसूस होता है वायु तत्व केवल अंधकार में देखा जा सकता है। मनुष्य के नेत्र प्रकाश में ही देख सकते हैं इसलिए मनुष्य इन आत्माओं को नहीं देख सकते। रात के घोर अंधकार में भी देख सकने वाले कुŸो, बिल्ली, सियार आदि उन्हें अंधकार में भी आसानी से देख सकते हैं।
प्रश्न: भूत-प्रेतों को वश में करने की क्या विधि है?
उत्तर: भूत-प्रेतों को उनकी वासनाओं के आधार पर उन्हें उनकी स्वार्थ सिद्धि का लालच देकर कुछ विशेष मंत्र साधनाओं के द्वारा वश में किया जा सकता है। लेकिन ऐसी आत्माएं अपना स्वार्थ साधन न होने पर वश में करने वाले का ही ऐसा अहित कर देती हैं जिसका कोई उपचार नहीं हो सकता क्योंकि स्थूल शरीर के अभाव में ये आत्माएं सामान्य प्राणियों के मुकावले कहीं अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं और उन पर गोली, शस्त्र आदि जैसे भौतिक साधनों का कोई प्रभाव नहीं होता।
प्रश्न: भूत-प्रेतों की साधना करके उन्हें अपने वश में करने के क्या भयानक परिणाम होते हैं।
उत्तर: जो व्यक्ति भूत-प्रेतों को वश में करता है वे भूतप्रेत उस व्यक्ति के शरीर और मन के शक्ति संपन्न रहने तक ही उसके अनुसार कार्य करते हैं। शरीर और मन के कमजोर होते ही वे उस व्यक्ति की दुर्गति आरंभ कर देते हैं।
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प्रश्न: भूत किन-किन स्थानों में रहते है?
उत्तर: प्रत्येक नकारात्मक व्यक्ति की तरह ही भूत भी अंधेरे और मलिन स्थानों और दुर्गन्धपूर्ण पदार्थों को पसंद करते हैं अतः खाली पड़े भवनों, खंडहरों, वृक्षों व अशुद्ध स्थानों में निवास करना उन्हें पसंद होता है।
प्रश्न: भूत, प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के क्या लक्षण हैं?
उत्तर: प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती हैं, शरीर का तापमान सामान्य से काफी अधिक बना रहता है हाथ पैर के नाखून काले पड़ने के साथ ही ऐसे व्यक्ति की भूख, नींद या तो बहुत कम हो जाती है या बहुत अधिक। स्वभाव भी क्रोध, जिद और उग्रता वाला हो जाता है। शरीर से बदबूदार पसीना आता रहता है।
प्रश्न: किस-किस व्यवसाय और प्रकृति के व्यक्तियों को भूत परेशान नहीं कर सकते?
उत्तर: कर्मयोग, भक्ति योग तथा ज्ञान योग में लगे हुए साधकों को भूत पीड़ित नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐसे व्यक्तियों का आभा मण्डल अपनी निरंतर व्यस्तता के कारण मन के अंदर ऐसी कोई खालीपन नहीं छोड़ता जिसमंे भूत निवास कर सकें। शरीर और मन के स्तर पर मजबूत व व्यस्त व्यक्ति को भूत किसी प्रकार की पीड़ा नहीं पहुंचा सकता। जैसे पुलिस कर्मी एवं सेना के व्यक्तियों के पास भूत नहीं आता। भूत बाधा केवल कमजोर मन और शरीर वाले प्राणियों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चांे तथा कमजोर दिमाग वाले व्यक्तियों को परेशान करती है।
प्रश्न: पितृ दोष क्या है?
उत्तर: सभी पूर्वज अपने वंशजों से अपने प्रति समुचित सम्मान व श्रृद्धा भाव की अपेक्षा करते हैं अतः प्रत्येक के लिए पूर्वजों का श्राद्ध कर्म अनिवार्यता बन जाती है जिसके न करने पर पूर्वज असंतुष्ट होकर वंशजों का अहित करने में भी नहीं चूकते और संतुष्ट होकर उन्हें सब कुछ देने की सामथ्र्य रखते हैं।
प्रश्न: क्या भूत-प्रेत के चित्र उतारे जा सकते हैं?
उत्तर:कभी-कभी भूत, प्रेत आदि कुछ क्षणों के लिए वायु तत्व से हटकर पृथ्वी तत्व धारण कर लेते हैं। उसी समय यदि चित्र उतारा गया हो तो वे उसमें दिखाई दे जाते हैं।
प्रश्न: क्या ज्योतिषीय योगों से प्रेत वाधा के बारे में जाना जा सकता है?
उत्तर: हां, ऐसा पूरी तरह संभव है क्योंकि ग्रह योगों की स्थिति व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक संरचना क्षमता और संभावनाओं को प्रगट करती है। जिस कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या शुभ ग्रह 6, 8, 12 भावों में बैठे हों तो जातक का व्यक्तित्व कमजोर हो जाता है व प्रेत बाधा के घेरे में आ जाता है। इसके विपरीत सबल, शुभ और दुष्ट ग्रहों की युति व दृष्टि से रहित सूर्य, चंद्रमा से बनने वाले ज्योतिषीय योग और पंचमहापुरुष योग कभी भी व्यक्ति को भूत बाधाओं का स्थान नहीं बनने देते।
प्रश्न: भूत बाधा निवारण में रत्नों व मंत्रों की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर: सभी रत्नों से सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश विकिरीत होता है जिससे भूत नामक नकारात्मक ऊर्जा वापस लोट जाती है। दूसरे लग्न और राशि के अनुरूप रत्न व्यक्ति को सब प्रकार से सुदृढ़ बनाकर भूत नामक नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करते हैं। ऐसे रत्नों का यदि मंत्रों द्वारा समुचित संस्कार किया गया हो तो वे और अधिक प्रभावी हो जाते हैं।
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