श्रेष्ठ उपाय राहू-केतु कि अशुभता को दूर करने के
श्रेष्ठ उपाय राहू-केतु कि अशुभता को दूर करने के

श्रेष्ठ उपाय राहू-केतु कि अशुभता को दूर करने के  

व्यूस : 168855 | आगस्त 2008

श्रेष्ठ उपाय राहु-केतु की अशुभता को दूर करने क बसंत कुमार सोनी जन्म पत्रिका में कालसर्प योग हो तो किसी सिद्ध शिव क्षेत्र में विधिवत शांति करवाएं। संपूर्ण कालसर्प यंत्र की स्थापना कर नित्य सर्प सूक्त का पाठ करें। नाग गायत्री मंत्र का जप करना श्रेयस्कर है। सोमवार को समीपस्थ शिवालय में जाकर शिवलिंग पर चांदी के बने सर्प-सर्पिणी का जोड़ा अर्पित करें। लाल किताब के अनुसार केतु के अशुभत्व को गणेश पूजन करके शुभत्व में बदला जा सकता है।

लाल किताब में उल्लेख है कि सरस्वती देवी की पूजा आराधना राहु के अशुभत्व को शुभत्व में बदल देती है । चांदी के सर्पाकार लाॅकेट में गोमेद और वैदूर्य मणि जड़वाकर धारण करना राहु-केतु के शुभत्व में वृद्धि करता है। राहु और केतु छाया ग्रह हैं। ये दुर्गा-पूजन से शांत होते हैं क्योंकि देवी दुर्गा को ‘‘छायारूपेण’’ कहा गया है। नाग-नथैया कृष्ण-कन्हैया की तस्वीर के समक्ष बैठकर 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का नित्य जप करें, शुभ फल मिलेंगे। राहु-केतु की प्रतीक सामग्री किसी सुपात्र को दान देते रहने से इन दोनों ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से राहु-केतु जातक का अनिष्ट नहीं कर पाते। श्रावण के सोमवार का व्रत एवं सोलह सोमवार का व्रत दोनों राहु-केतु की शांति हेतु समान रूप से लाभकारी माने गए हंै। पीड़ा कारक राहु-केतु को प्रसन्न करने के लिए उनके बीज मंत्रों का रात्रि में नियमित रूप से जप करें। शिव सहस्रनाम और हनुमत् सहस्रनाम का नित्य पाठ करने से अनेक प्रकार की ग्रह पीड़ाएं शांत हो जाती हैं।

कन्यादान करने से राहु और कपिला गौ दान केतु के कोप की शांति होती है। राहु के लिए हल्के नीले और केतु के लिए हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना और दान करना शांतिदायक होता है। राहु-केतु के शांत्यर्थ 18-18 शनिवार राहु-केतु की पूजा करनी चाहिए और उपवास रखना चाहिए। राहु की शांति के लिए श्वेत मलयागिरी चंदन का टुकड़ा नीले रेशमी वस्त्र में लपेटकर बुधवार को धारण करना चाहिए। बुधवार या गुरुवार को अश्वगंध की जड़ का टुकड़ा आसमानी रंग के कपड़े में धारण करने से केतु पीड़ा का शमन होता है। चाय की कम से कम 200 ग्राम पŸाी 18 बुधवार दान करने से रोग कारक अनिष्टकारी राहु स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यदि केतु रोग कारक हो तो रोग ग्रस्त जातक स्वयं अपने हाथों से कम से कम 7 बुधवार भिक्षुकों को हलुआ वितरण करे तो लाभ होगा। राहु-केतु के अशुभत्व-निवारण के लिए उनके प्रिय रत्न गोमेद और लहसुनिया का दान करना चाहिए। राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ और केतु की शांति के लिए नवरात्रि में छिन्न्ामस्तादेवी का 9 दिनी अनुष्ठान कराएं। रुद्राक्ष की माला से नित्य ऊँ नमः शिवाय मंत्र का पंचमुखी शिव की तस्वीर के समक्ष पंाच माला जप करें। राहु-केतु के अशुभत्व की तीव्रता होने पर महामृत्युंजय मंत्र का ब्राह्मण से जप करवाएं। भगवान नरसिंह या भैरव की पूजा, स्तुति व दर्शन करने से राहु-केतु की बाधाएं दूर होती हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.