दक्षिण दिशा के दुष्प्रभाव
दक्षिण दिशा के दुष्प्रभाव

दक्षिण दिशा के दुष्प्रभाव  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 4947 | अकतूबर 2015

अभी कुछ समय पहले पंडित जी को मुंबई के एक प्रतिष्ठित गुजराती व्यवसायी के नवविवाहित लड़के के घर जाने का अवसर मिला, वहाँ उनके अनुरोध पर उनके नये घर के वास्तु-विश्लेषण को फ्यूचर समाचार के प्रबुद्ध पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत किया जा रहा है।

- खुली जगह पूर्व और पश्चिम की दिशाओं में अच्छी है। परिवार/व्यवसाय की वृद्धि व घर में सामंजस्य रहता है।

- घर का मुख्य द्वार उत्तर में होने के कारण आपके पूरे घर की शांति तथा विकास के लिए लाभदायक है। परन्तु खुली जगह का दक्षिण में तथा उत्तर का बंद होना (सामने दूसरा फ्लैट होने के कारण) उचित नहीं है। इसकी वजह से काम-धन्धों का विकास न होना, बीमारियों का बढ़ना तथा अनावश्यक खर्चे होने लगते हैं।

- घर में उत्तर-पूर्व का कटना (शाफ्ट के कारण) बहुत खराब है क्योंकि यह सर्वोत्तम अच्छी व शुद्ध ऊर्जा को समाप्त करता है एवं इस चहुंमुखी विकास के शुभ क्षेत्र के लाभ को भी कम करता है, जहां से हमें शांति, विद्या, बुद्धिमत्ता तथा भगवान का आशीर्वाद मिलता है। परिवार में बच्चों से संबंधित समस्या बनी रह सकती है।

- बढ़ा हुआ आग्नेय चोरी और आग की घटनाओं को बढ़ावा देता है।

- उत्तर-पूर्व में रसोईघर होने के कारण स्त्री की सेहत तथा परिवार की वृद्धि में कठिनाई आ सकती है। यह दोष भारी व्यय तथा मानसिक अशांति का कारण देखा गया है।

- रसोईघर में गैस तथा ंिसंक एक ही लाइन में होने की वजह से परिवार में मनमुटाव का कारण बन सकता है। गैस तथा सिंक के बीच कम से कम 2 फुट ऊँचा डिवाइडर बनाने से इसका प्रभाव काफी कम हो सकता है।

- रसोईघर में सिंक शांति तथा वित्तीय समृद्धि के लिये बहुत उचित है लेकिन गैस का उत्तर में होना आपसी मतभेद तथा अवांछित खर्चों को बढ़ाता है। फ्रिज का स्थान चल सकता है।

- दक्षिण-पूर्व के कमरे के शौचालय की सीट का मुख पूर्व की तरफ है जो कि भगवान के आशीर्वाद को कम करता है। इसे बदला जा सकता है। लेकिन इस कमरे के कारण दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) का कोण बन्द हो गया था जिससे चोरी, आग दुर्घटना का डर बना रहता है।

- विवाहित जोड़े के लिए मुख्य शयन कक्ष दक्षिण-पूर्व जो कि आग का क्षेत्र होता है ठीक नहीं है क्योंकि यह आपसी कलह को बढ़ावा देता है। हालांकि यह अविवाहित बच्चों विशेषकर लड़कों के लिए ठीक होता है। वे यहां ऊर्जा से भरपूर रहते हैं। अभी बच्चों/मेहमान/ पढ़ाई के लिये प्रयोग में ला सकते हैं।

- दूसरा कमरा दक्षिण-पश्चिम में है तथा उसका शौचालय दक्षिण में है जो कि बहुत अच्छा है तथा मास्टर बेडरुम के लिये उत्तम है।

- लिविंग रुम तथा इसमें रखे फर्नीचर, सामान आदि की व्यवस्था अच्छी है। घर के वास्तु परामर्श द्वारा जीवन व परिवार की समस्याओं का बिना किसी पूर्व जानकारी के, इतना सटीक विवरण सुनकर उनको भी इस भारतीय प्राचीन विद्या में विश्वास जागृत हुआ। पिछले कुछ वर्षों से, जबसे वे लोग यहां आये हैं, घर में तनाव, चोरी, बीमारी, गर्भहानि, अबाॅर्शन के कारण उदासी रहती है। ईशान के कटने को कुछ हद तक शीशा लगाकर कम कर सकते हैं, परन्तु चूंकि अभी जीवन की शुरुआत ही है, इसलिये यह सुझाया गया कि उपरोक्त सब परिवर्तन प्रारंभिक उपचार समझें। अंततोगत्वा दूसरा घर जिसमें ऐसे भारी दोष न हों, वही लेना उचित रहेगा।

प्रश्न: आदरणीय पं. जी, कृप्या हमारे घर का नक्शा देखकर बताने का कष्ट करें कि हमारी समस्याओं का क्या कारण है? जब से हम इस नए घर में आए हैं तभी से सुख-शान्ति व धन का अभाव हो गया है। उत्तर: आपके घर के उत्तर-पूर्व में रसोई, उत्तर में गैस तथा दक्षिण-पश्चिम में शौचालय होना ही आपकी समस्याओं का प्रमुख कारण है। उत्तर-पूर्व में रसोई तथा उत्तर में गैस होने से भारी खर्च, वैचारिक मतभेद तथा मानसिक तनाव बना रहता है। दक्षिण-पश्चिम में शौचालय भी स्वास्थ्य एवं आर्थिक परेशानियों का कारण होता है। रसोई घर को पूर्व में बने डाईनिंग के स्थान में स्थानांतरित करें एवं गैस को दक्षिण-पूर्व की ओर रखंे। दक्षिण-पश्चिम में बने शौचालय को ड्रेसिंग रुम से इन्टरचेंज करें।

उत्तर-पूर्व में आने-जाने के लिए छोटा गेट बनावाएं तथा मुख्यतः उसे ही इस्तेमाल करें। उत्तर-पश्चिम के गेट को केवल गाड़ियों के आने के लिए ही इस्तेमाल करें। सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात आपको अवश्य लाभ मिलेगा।



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