कंप का अनुमान लगाना आज के इस वैज्ञानिक युग में भी अभी तक असंभव है। इस प्राकृतिक आपदा का रहस्य अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है। जहां विज्ञान इसका पूर्वानुमान लगाने में असमर्थ है वहां ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे तथ्यों का उल्लेख है जिनके विश्लेषण से इसके आने की पूर्व सूचना प्राप्त की जा सकती है। भूकंप चाहे टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने के कारण आते हों, परंतु टेक्टोनिक प्लेटें ग्रहों के प्रभाववश खिसकती हैं और टकराती हैं। भूकंप से जुड़े अन्य ज्योतिषीय तथ्य इस प्रकार हैं।
- भूकंप की तीव्रता प्लेटों पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव पर निर्भर करती है।
- पृथ्वी सूर्य का चक्कर एक वर्ष में पूरा करती है। परंतु जब संपात का अयन होता है तो 50 से 52 सेकंड आगे खिसकना संभव होता है। इससे पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की स्थिति में अंतर आ जाता है। इससे भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में बदलाव आ जाता है।
- महर्षि वराहमिहिर ने ब्रह्मांड को सात-सात नक्षत्रों के आधार पर चार मंडलों में बांटा है।
1. वायव्य मंडल
2. इंद्र मंडल
3. वरुण मंडल
4. आग्नेय मंडल - सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का भूकंपों पर स्पष्ट प्रभाव दिखता है। जब एक पक्ष (15 दिन) में दो ग्रहण पड़ते हैं तो उसके 6 मास के भीतर भूकंप आते हैं। सूर्य ग्रहण का प्रभाव अधिक पड़ता है।
(आजकल जो भूकंप आए चंद्र ग्रहण व 15 दिन के भीतर सूर्य ग्रहण 29-3-2006 ग्रहण था व मीन राशि में था।)
- शनि का संबंध यदि पृथ्वी तत्व ग्रह बुध या पृथ्वी पुत्र वायु तत्व मंगल से या पृथ्वी तत्व राशियों (2,6,10) के स्वामियों से हो तो भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
- सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण व चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा की कुंडली में सूर्य, अष्टम भाव व अष्टमेश पीड़ित होते हैं।
- मंगल या बुध व शनि का आपस में संबंध होता है यदि संबंध नहीं हो तो बुध व शनि या मंगल व शनि का संबंध लग्न, लग्नेश, अष्टम भाव या अष्टमेश से होता है।
- बुध वक्री या सूर्य से कम अंश का होता है या अस्त होता है।
- पृथ्वी तत्व राशियों वृष, कन्या व मकर के मध्य रोहिणी, हस्त व श्रवण में से किन्हीं दो नक्षत्रों पर सूर्य व चंद्रमा को छोड़ कर कोई दो या अधिक ग्रह व राहु केतु स्थित हों तो उस वर्ष भूकंप आते हैं।
- भूकंप के समय कम से कम एक ग्रह वक्री होता है।
- राहु-केतु के मध्य 4 या अधिक ग्रह अशुभ स्वामियों के नक्षत्र पर होते हैं।
- जिस स्थान पर भूकंप आता है उस स्थान की राशि से चतुर्थ भाव या सप्तम भाव में अधिक ग्रह 450 के मध्य स्थित होते हैं।
- शनि व मंगल, शनि व गुरु, शनि-बुध, गुरु-मंगल या गुरु-बुध का युति या दृष्टि संबंध होता है।
- पृथ्वी पर ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव मध्य रात्रि के बाद या मध्य दिन के बाद अधिक पड़ता है। इस कारण सूर्य निकलने से पहले या सूर्यास्त के पहले अधिक भूकंप आते हैं।
- अमावस्या, पूर्णमासी, सूर्य संक्रांति, 13 तिथि कृष्ण पक्ष से 3 तिथि शुक्ल पक्ष, 13 तिथि शुक्ल पक्ष से 3 तिथि कृष्ण पक्ष के पास पृथ्वी पर आकर्षण प्रभाव बढ़ जाता है। इस कारण इन दिनों भूकंप आने की संभावना बढ़ जाती है।
- पृथ्वी के निकटतम ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र व मंगल $ 450 के आस पास होते हैं व राहु-केतु के मध्य 4 या अधिक ग्रह होते हैं।
यदि एक पंक्ति में कहना चाहे तो कह सकते हैं कि भूकंपों पर व प्राकृतिक आपदाओं पर चंद्रमा व राहु का अधिकतम प्रभाव होता है। उस दिन अशुभ तिथि, अशुभ योग व अशुभ नक्षत्र होता है। आइए, इन नियमों को आधार मानते हुए दिल्ली व इंडोनेशिया में आए भूकंपों का अध्ययन करें। रविवार 7.5.2006 को 21.31 पर दिल्ली में भूकंप के हल्के झटके लगे थे। यह भूकंप बहुत हल्का 2 तीव्रता का था। यह रविवार, शुक्ल दशमी, पूर्वफाल्गुनी नक्षत्र (स्वामी शुक्र), होरा लग्न स्वामी शुक्र 3 काल होरा चंद्रमा में आया। चंद्रमा से अष्टम भाव में राहु व शुक्र और लग्न से अष्टम में मंगल स्थित है।
शनि व बुध, गुरु व बुध का संबंध है। शनि व गुरु सूर्य को देख रहे हैं। सारे ग्रह राहु-केतु के मध्य स्थित हैं। गुरु वक्री है। राहु, केतु व मंगल एक दूसरे से केंद्र में स्थित हैं। सूर्य व चंद्रमा को छोड़कर अन्य ग्रह अशुभ नक्षत्रों पर स्थित है ं तथा वृद्ध अवस्था में है ं। यदि काफी अंशों तक हमारे शोध को सार्थक बना रहे हैं। लग्न वृश्चिक काल पुरुष की अष्टम राशि है जो लग्न से अष्टम में वायु तत्व राशि में स्थित है। सप्तमेश शुक्र का उच्चस्थ होना हल्के झटके का द्योतक है।
इंडोनेशिया में 27.5.2006 को 5 बजकर 54 मिनट पर सुबह 6.3 तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 5000 से ज्यादा लोग मारे गए, 20,000 लोग प्रभावित हुए तथा अरबों रुपयों का नुकसान हुआ। यह भूकंप अमावस्या, कृत्तिका नक्षत्र अतिगंड योग शनिवार को शनि की होरा में आया। मार्च, 2006 के ग्रहणों का प्रभाव चल रहा है। कालसर्प योग बना हुआ है।
गुरु वक्री है। यह भूकंप वृष लग्न में तथा सूर्य निकलने से पहले आया। इस समय पृथ्वी पर ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव बढ़ जाता है। इंडोनेशिया की टेक्टोनिक प्लेटों पर ज्वालामुखी के कारण पहले से ही अधिक प्रभाव है और ग्रह स्थिति के कारण भूकंप ने और अधिक विनाशकारी प्रभाव डाला। इस प्रकार इन तथ्यों से सिद्ध होता है कि भूकंप की भविष्यवाणी करना अधिक कठिन नहीं है परंतु भूकंप कब आएगा तथा कहां आएगा यह अभी शोध का विषय है।
इंडोनेशिया की कुंडली में अष्टम भाव व भावेश गुरु वक्री है तथा षष्ठ भाव में स्थित है परंतु तृतीय भाव अधिक पीड़ित है। तृतीय भाव में शनि, मंगल, षष्ठ भाव का आरूढ़ पद, द्वादश भाव का आरूढ़ पद भी स्थित हैं। तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण अष्टम भाव का पूर्ण प्रभाव लिए हुए है, जो सामूहिक मृत्यु को दर्शाता है।
इस प्रकार पाते हैं कि अभी शोध की आवश्यकता है शोध के मुख्य विषय है ं: - भूकंप कब आएगा? - भूकंप कहां आएगा? - भूकंप की तीव्रता कितनी होगी?त