21 नवंबर 2004 (रविवार) को मेवाड़ विश्वविद्यालय गाजियाबाद स्थित परिसर में एक दिवसीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन किया गया। ज्ञात रहे कि मेवाड़ विश्वविद्यालय 21 वीं शताब्दी का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसने ज्योतिष/वास्तु/हस्त रेखा ज्ञान को एम. ए., एम. फिल एवं पी. एच. डी. तक की शिक्षा के पाठ्यक्रम चलाने की साहसपूर्ण पहल की है।
इस प्रयास में अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ (पंजीकृत) नयी दिल्ली की भूमिका भी उल्लेखनीय है, क्योंकि उक्त संघ द्वारा चलाये जा रहे लगभग 102 चैप्टर ही विश्वविद्यालय के विधिपूर्वक शिक्षा केंद्र हैं। अतः सम्मेलन दोनों, यानी विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया। सम्मेलन में चर्चा का विषय था ‘‘ज्योतिष शिक्षा में शोध कार्य’’।
इस सम्मेलन की यदि पृष्ठभूमि समझ ली जाए, तो विषय प्रसंग बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा। भारतीय विष्वविद्यालयों में ज्योतिष का अध्ययन-अध्यापन देष के बुद्धिजीवी वर्ग में हमेषा विवाद का विषय रहा है। भारत सरकार के पूर्व मानव संसाधन विकासमंत्री डाॅ. मुरली मनोहर जोषी ने ज्योतिष को भारतीय विष्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का विचार रखा था।
यह मुद्दा सन् 2000-01 में उस समय अपने चरम पर पहुंचा, जब संसद में मामले पर बहस हुई और विपक्ष की खीज खुल कर सामने आयी, और उन्होंने इस कदम को, षिक्षा के भगवाकरण का एक और कदम बताते हुए, सिरे से खारिज कर दिया। संसद के बाहर; डा.जयंत नार्लीकर सरीखे विपक्ष के पक्के समर्थक ने इस कदम का मुखर विरोध किया। कुछ गैरसरकारी संगठनों ने भी डाॅ. जोषी के कदम को खारिज कर देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
किंतु सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय प्रस्ताव के पक्ष में दिया। इस तरह ज्योतिष को भारतीय विष्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल किये जाने के प्रयासों को रूपाकार देने के महत्त्वपूर्ण कदम के मार्ग की सारी बाधाएं दूर हो गयीं। जब पूर्वाेक्त बहस-मुबाहसे चल रहे थे, उस समय मेवाड़ विष्वविद्यालय, रायपुर के अधिकारीगण ज्योतिष, हस्त रेखा षास्त्र, वास्तु आदि विषयों को अपने नवजात विष्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की छत्तीसगढ़ सरकार से स्वीकृति प्राप्त करने के लिए जद्दोजहद में व्यस्त थे। सारी प्रक्रियाएं इस वर्ष के आरंभ में पूरी कर ली गयी।
स्वीकृत प्रावधान के तहत ज्योतिष/वास्तु/हस्त रेखा शास्त्र के अध्ययन के संचालन का विषेष अधिकार मेवाड़ विष्वविद्यालय ने अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ (पंजी) नयी दिल्ली को प्रदान किया है। संघ देष-विदेष में अपने 102 अध्ययन केंद्रों के संचालन के लिए प्रसिद्ध है, जहां ज्योतिष तथा अन्य पराविद्याओं की विभिन्न विधाओं में कोई 6000 से अधिक छात्र षिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
इस तरह, ज्योतिष से संबद्ध विषयों के अध्यापन के लिए पहले से संपादित इस महती कार्य तथा संघ द्वारा निर्धारित आधारभूत संरचना का लाभ उठाने के लिए विष्वविद्यालय और संघ ने हाथ मिलाया। इस आधार पर, जुलाई 2004 में, आरंभिक, सत्र के एम.ए. तथा एम.फिल. (ज्योतिष/वास्तु/हस्त रेखा षास्त्र) के पहले सत्र में छात्र-छात्राओं का नामांकन हुआ और अध्यापन जोरों पर है। कोई एक दर्जन विद्वानों ने ज्योतिष में पी एच.डी. करने के बारे में भी जिज्ञासा प्रकट की है।
इन सारी विकास प्रक्रियाओं से प्रोत्साहित मेवाड़ विष्वविद्यालय तथा संघ ने ज्योतिष पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन का निर्णय लिया, जो गत 21 नवंबर को संपन्न हुई। संगोष्ठी का विषय ‘ज्योतिष षिक्षा तथा शोध’ था। संगोष्ठी में भारी संख्या में श्रेष्ठ ज्योतिषियों तथा अन्य पराविद्याओं के पंडितों ने भाग लिया, जिनमें सर्वश्री शुकदेव चतुर्वेदी, पं. जय प्रकाष लाल धागे वाले, श्री अरुण बंसल, आचार्य किषोर, पं. एस.आर. स्वामी, डाॅ. जगदंबा प्रसाद गौड़, विनोद शास्त्री आदि प्रमुख थे।
संगोष्ठी के स्थल के रूप में गाजियाबाद का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि यही वह स्थान है, जहां से ज्योतिष षिक्षा की सरिता फूटी। सब ने यह कहते हुए अपने उद्गार प्रकट किये कि कम से कम एक विष्वविद्यालय तो है, जिसने जिज्ञासु विद्वानों को भारतीय संस्कृति और इसके स्वर्णिम अतीत की षिक्षा मुहैया कराने का बीड़ा उठाया। यह उस नये युग का नम्र, किंतु जटिल आरंभ है, जो प्राचीन ग्रंथों से प्राप्त ज्ञान तथा षिक्षा से भारत के युवा मानस को समृद्ध करने का वचन देता है।
अपने बीज भाषण में मेवाड़ विष्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. अषोक के गाडिया ने ज्योतिष को विष्वविद्यालय के पृथक संकाय के रूप में अंगीकार करने के संकल्प पर बल दिया तथा, पराविद्या के विभिन्न आयामों पर प्रकाष डालते हुए, बताया कि किस प्रकार यह विद्या सदियों से मानव जाति और राष्ट्रों की नियति पर शासन करती रही है। उन्होंने जोर दे कर कहा कि ज्योतिष की इस सरिता ने पष्चिमी देषों को भी अपने में समो लिया है, जहां इस विषय पर अध्ययन और शोध निरंतर चल रहे हैं। डाॅ. गाडिया ने कहा कि इसे देखते हुए उस भूमि को भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं रहना चाहिए, जहां ज्योतिष का बीजांकुर फूटा ।
कुलपति ने दृढ़तापूर्वक कहा कि यदि यह विद्या अमेरिका और ब्रिटेन के लिए प्रासंगिक है, तो भारत और भारतीय परिस्थितियों के लिए कहीं अधिक प्रासंगिक है। उपकुलपति प्रो.उमाषंकर गोयल ने, ज्योतिष विज्ञान से संबद्ध अनेक उल्लेखनीय प्रसंग प्रस्तुत करते हुए, विषय की सत्ता तथा महत्ता की सार्थकता को सही ठहराया।
मुख्य विषय पर बोलते हुए प्रो. गोयल ने कहा कि, लोगों के संषय के बावजूद, ज्योतिष के ज्ञान और षिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रति विष्वविद्यालय की वचनबद्धता हिमालय की तरह अटल है। संघ के अध्यक्ष श्री अरुण बंसल ने कहा कि ज्योतिष सदैव मानवतावादी विज्ञान था और रहेगा। इसकी विधाएं समय की कसौटी पर खरी उतरी हंै। सेव जमीन पर गिरता है, यह जानने के लिए किसी को भौतिक शास्त्र का विषेषज्ञ बनने की जरूरत नहीं है। पूर्वग्रह से ग्रसित वैज्ञानिक ज्योतिर्विदों पर छद्म विज्ञान तथा अंधविष्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि चिकित्सकों के नुस्खे कामयाब नहीं होते, हालांकि चिकित्सा विज्ञान एक समग्र विज्ञान है। श्री बंसल ने कहा कि ज्योतिष जैसे विषय में शोध की संभावनाएं असीम हंै। शोध षिक्षा से उद्भूत होता है। इसलिए ज्योतिष की षिक्षा का आरंभ पहला कदम है। तदनंतर शोध के प्रति अभिरुचि स्वतः उत्पन्न हो जाएगी।
संघ के मुख्य महासचिव श्री एस. आर. स्वामी ने, अपनी विषय की विद्वत्ता से, श्रोताओं को चमत्कृत किया और मेवाड़ विष्वविद्यालय तथा संघ के अध्ययन केंद्रों के छात्र-छात्राओं को उत्कृष्ट षिक्षा की संघ की वचनबद्धता दोहरायी। उन्होंने यह कहते हुए अपना भाषण समाप्त किया कि ज्योतिष के विरोधी विष्वविद्यालय तथा संघ के द्वारा परिश्रम से तैयार की गयी कार्यप्रणाली में चाहे खामियां तलाषते रहें, लेकिन संस्थाओं के चट्टानी संकल्प के कारण इन दुराग्रहियों को निराषा ही हाथ लगेगी।
हैदराबाद में नया चैप्टर हाल में हैदराबाद में अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ के नये तथा हैदराबाद के तीसरे चैप्टर का शुभारंभ हुआ, जिसके चेयरमैन के पद पर श्री जी. एम. रवि कुमार को नियुक्त किया गया है। उनसे निम्न पते पर संपर्क किया जा सकता है: 208, मणि कल्याण अपार्टमेंट्स डाॅ. ए. एस., राव नगर, हैदराबाद (आंध्रप्रदेश) दूरभाष: 0110-27127591 मो.: 9847610302
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