बाजार सदैव एक समान नहीं रहता है। अनेकों लोग आज जैसा कल चले, गत सप्ताह समान इस सप्ताह चले, गत माह समान इस माह चले, गत वर्ष समान इस वर्ष गत ऋतु समान इस समय चले यह नहीं होता। कभी 2, 3 दिन मंदी या तेजी की लाईन चंद्रमा निकालता है।
लगातार 12-13 दिनों की एकतरफा चाल तेजी, मंदी, स्थिर, सम की लाईन सूर्य द्वारा मिलती है। कभी यह एक माह भी चलती है। हमारे बाजार सुबह 9.15 से 3.30 व 10 बजे से रात्रि 11.30 बजे तक चलते हैं किंतु विश्व के अन्य देशों में बाजार इससे पूर्व ओर पश्चात भी चलते रहते हैं। ये बाजार ही जो रात्रि पर्यंत चलते हैं वही दूसरे दिन का बाजार सुबह खुलने पर झटके से तेजी या मंदी कमोडीटी बाजार में लाते हैं। सोना 500 से 100-50 तक ऊपर नीचे और क्रूड आॅयल 50-100-200 तक भी खुलता है।.
अनेकों लोग बंद होने की मंदी की स्थिति से सुबह भी मंदी की धारणा लेकर मंदी के सौदे करते हैं। रात्रिकाल की चाल को नहीं जानने से सुबह धारणा वह नहीं बनती। रात्रि को कभी बंद के समय अचानक बहुत तेजी आने से सुबह की धारणा वे मंदी लगा लेते हैं किंतु सुबह भी लगातार तेजी रहने के योग से तेजी ही बनी रहती है और 1-2-3 दिन यह रहती है।
कुछ ग्रह विशेष लगातार 1 माह 2 माह तक तेजी और मंदी की लाइन देते हैं और वे संपूर्ण बाजार की धारण् ाा बदल कर रख देते हैं। बृहस्पति कभी पूरे वर्ष मंदी और तेजी की धारणा देते हैं और बाजार ऊपर नीचे ही चलता रहता है। शनि लगातार तेजी 6 माह 2 साल और 5 साल तक भी ऊपर नीचे कर लगातार तेजी-मंदी की लगातार लाईन देकर बाजार की संपूर्ण धारणा बदल देता है जिसे विश्व व्यापी तेजी मंदी में बदलता है।
जैसे 2013-14 में आई चांदी की तेजी और अब 15 की मंदी। यह शनि भूमि और देश के व्यापार की भी धारणा बनाता है और लाईन भी इतिहास की बनाता है वह किंवदंती हो जाती है। सन् 1997 से भूमि में चली तेजी 4-5 साल में भूमि के भाव जमीन से आसमान पर लेकर गयी और आज स्थिति आपके सामने है। पूरे पांच वर्षों में भूमि, भवन और देश का व्यापार जेट गति से आगे बढ़ा था और अकल्पनीय धन भूमि के कारोबारियों ने कमाया।
अनेकों धन कुबेर देश को इस तेजी ने दिये हंै। सन् 2012 के पश्चात् से जो मंदी लगी है वह आज तक आपके सामने है ही और यह आगे भी है। अभी और आगामी 2 वर्षों तक देश में मंदी भूमि, भवन और व्यापार के लिए बहुत अच्छी नहीं है। बाजार में धन की कमी चलती ही रहेगी। 2016 के मध्य में कुछ लगेगा कि व्यापार अब तेजी की ओर जायेंगे किंतु कुछ दिनों में बाजार पुनः मंदे होंगे। बुध प्रतिमाह ही 2 बार तेजी मंदी और तेजी देता है।
इसका बार-बार उदय और अस्त बाजार को, मुद्राकोष को और बैंकों को भी हिला देता है। अनेकों देशों की मुद्रा को यह गुरु ग्रह के संयोग से बहुत ऊपर नीचे करता है। रूपया और डाॅलर का अंतर भी यह प्रदान करता है। वैसे धन, बैंक, मुद्रा पर गुरु का प्रभाव है और वे ही इसे संचालित करते हैं किंतु बुध के कारण कुछ सूचना और बातें नकली तेजी मंदी करती ही है। बुध का सबसे ज्यादा प्रभाव एग्रीकल्चर कमोडिटी साधनों पर ज्यादा पड़ता है।
बुध उदय और अस्त को अनेकों ज्योतिर्विद बार-बार के उदय और अस्त से मान्यता ही नहीं देते हैं किंतु तात्काल की तेजी-मंदी यह देकर अनेकों को आबाद और बर्बाद करता ही है। इसका असर तो होता ही है। संपूर्ण व्यापार का संचालन बुध-बुद्धि से ही होता है।
बुध बिना किसी बात के ही बाजार को ऊपर नीचे मिनटों में ले जाने की क्षमता रखता है एक खबर मिलते ही बाजार तात्काल छलांग लगाता है और तत्काल गिरता भी है और कुछ समय में सामान्य स्थिति पर ले आता है। बुध ठोस नहीं अपितु वायदे से ही ऊपर और नीचे बाजार को करता है। यह शेयर और वायदा सौदों का ज्यादा प्रभावित करता है। आज बाजार में मांग और पूर्ति के नियम को भी पूर्णतः वायदा ने नकार दिया है।
क्रूड का उत्पादन बढ़ रहा है, बढ़ता गया। 6300 प्रति बैरल का क्रूड फरवरी, मार्च, अप्रैल तक घटते-घटते 2700 तक आ चुका था। इसके बाद स्टाॅक बढ़ा किंतु फिर भी यह अप्रैल अंत और मई माह में 3900 से ज्यादा प्रति बैरल हुआ फिर पुनः से लगी मंदी और उत्पादन की खबरों से पुनः यह जुलाई दूसरे सप्ताह में 3222 प्रति बैरल तक गिरा है।
वायदा का फायदा कब कारोबारी को करोड़पति और कब कंगाल बना दे यह पता ही नहीं लगता है। इस कारण बड़े कारोबारी और औद्योगिक घरानों के अपने गुरु और ज्योतिष सलाहकार होते हैं जो पूरा विश्लेषण कर आगामी व्यापार की सलाह देते हैं।
औद्योगिक घरानों का अपना टेक्निकल विश्लेषण भी होता है किंतु ज्योतिषीय विश्लेषण के आगे वह बौना ही है और सटीक भी नहीं है। मांग और र्पूिर्त का नियम तो अकाट्य है किंतु आज का वायदा कारोबार इतना बड़ा है कि वह बगैर मांग के ही मूल्य बढ़ा देता है। एक ही दिन में चांदी 2000 से 3000 तक ऊपर नीचे आना आज सामान्य है।
व्यापार आज वायदा से विश्वव्यापी और इंटरनेट से संचालन के कारण मिनटों में ऊपर और नीचे अकस्मात आता जाता रहता है और हाजिर के अनुसार ही चलना होता है, किंतु यहां भी सोना और चांदी के व्यापार में हाजिर में प्रीमियम के रूप में मुनाफा लेना आरंभ किया हुआ है जब मंदी में खरीदने जाते हैं तब वे भाव बढ़ाकर देते हैं। तेजी होने पर आप बेचने जाते हैं तब प्रीमियम घटाकर आप से लेते हैं। यह सर्राफा में हो रहा है।
शेयर बाजार भी खबरों से प्रभावित होता ही है इसमें देखते ही देखते इतना अंतर आता है कि समझ से परे है। अनेकों वित्तीय संस्थान और बैंक अपना मुनाफा सुनिश्चित करने हेतु इस बाजार में पैसा लगाते हैं और संपूर्ण विश्लेषण पश्चात चुनिंदा शेयरों और चुनिंदा क्षेत्रों में ही यह एक साथ बहुत बड़ी खरीदी करते हैं। अनेकों बड़े-बड़े ब्रोकरेज हाउस भी यह ही मार्ग अपनाते हैं और विदेशी संस्थाओं की भी यही नीति होती है।
इनकी बल्क खरीदी से बाजार बढ़ता है और बिक्री से बाजार गिरता ही है और गिरता जाता है। रुपये की तेजी मंदी विश्व व्यापार डाॅलर से ही चलता है और यह भी ऊपर नीचे होता रहता है। भारतीय रुपया एक ही दिन 1 प्रतिशत से 1.05 प्रतिशत तक ऊपर नीचे मिनटों में हो जाता है। यहां लोग कहते ही रह जाते हैं रुपया गिर रहा है, बाजार सैकडों प्वाइंट नीचे आ जाता है। बाजार खुलते ही फिर यह और बिकवाली करते हैं।
इस सैकड़ों हजारों करोड़ की बिकवाली से रुपया गिरा हुआ ही खुलता है और दिन में बिकवाली और आने से गिरता जाता है। यह क्रय लगातार चलता है और रुपया गिरता जाता है। अभी के समय में भारतीय निवेशक भी बहुत मजबूत हुए हैं। ये बाजार को तुरंत संभाल लेते हैं किंतु इससे रुपया ऊपर नहीं आता है। यह मुख्य कारण है, कारण तो और भी अनेकों हैं।
छोटे निवेशक समझ ही नहीं पाते और वह बाजार बढ़ने की राह देखने में बर्बाद होते जाते हैं। उन्हें कमाने के कम और बर्बाद होने के ज्यादा मौके आते हैं। कुछ शेयरों की तेजी बाजार में समय-समय पर अलग-अलग कंपनियों और चुनिंदा क्षेत्रों के ही शेयर तेजी में आते हैं। कुछ दिन, महीने, एक दो साल के लिए। इसका मुख्य कारण होता है
संस्थाओं और दलालों द्वारा शेयरों का बताना। ये चुनिंदा शेयर ही बताते हैं अपने क्लाइंटों को और वे खरीदते रहते हैं भाव बढ़ता जाता है बढ़ता जाता है और ये सलाहकार ही उन्हें एक समय एक साथ बेचने की सूचना देते हैं। वे अपना संपूर्ण शेयर बेच देते हैं। पुनः यह सलाहकार उस कंपनी और शेयर को छोड़कर दूसरी कंपनी और शेयर को खरीदने की सलाह देते हैं। इस तरह ये ही तेजी और मंदी लाते हैं। सामान्य निवेशक फंस जाता है।
वह तेजी होने पर ही खरीदता है। उसको इस चाणक्य नीति का ज्ञान नहीं होता है और बर्बाद ही होता है। भाव ज्यादा गिरने पर ये सलाहकार ही टी.वी. पर आकर बताते हैं कि आप अभी एक दो साल बने रहें बेचें नहीं। इस तरह आप फंसे रहते हैं। यह चक्र पुनः-पुनः दोहराया जाता है। ग्रह ही मंदी वे तेजी देते हैं ज्योतिषीय विश्लेषण द्वारा हमने गत समय में यह तो जान ही लिया है कि बाजार को व्यक्ति नहीं व्यक्ति की मानसिकता ही चलाती है और यह मानसिकता ग्रहों के भ्रमण से बनती है।
व्यक्ति क्या पूरा समाज, पूरा देश और संपूर्ण जगत इस अदृश्य शक्ति से संचालित होते हैं। जिनके बुध, शनि, राहु, गुरु या अन्य ग्रह उत्तम अवस्था में हों वह इन तरंगों को पहले ही समझ लेते हैं और उस कार्य में उस कंपनी में उस क्षेत्र में यह कार्य करते हैं और मुनाफा कमाते हैं। कौन नुकसान उठाता है जिन व्यक्तियों के वर्तमान में शनि, मंगल, सूर्य द्वादश हैं तब सभी नुकसान उठाते हैं।
इसमें भी मुख्य है दूसरे भाव के स्वामी का द्वादश भाव में भ्रमण। महादशा स्वामी का कमजोर होना, अंतर्दशा स्वामी का वर्तमान में द्वादश होना और विशेष भी तब जब वह ज्ञातिकारक हो या आत्माकारक हो। इस समय व्यक्ति कितना भी महान हो वह नुकसान उठाता ही है उठाता जाता है।
राहु पीड़ित महादशा में लग्न कमजोर होने पर और राहु की दशा में व्यक्ति दूसरों को देखकर लालचवश व्यापार में आता है और नुकसान उठाता है। इस नुकसान को कवर करने में और नुकसान और इस तरह वह पूरी तरह बर्बाद हो जाता है। हर प्रकार के व्यापार में इस तरह की स्थिति होती है। व्यापार में भी पैसा फंसने पर, उधार नहीं आने पर, व्यापार नहीं चलने पर बाजार से व्यक्ति रूपया ब्याज से उठाता है।
नहीं आने पर और पैसा उसको चुकाने के लिए बाजार से उठाता है उठाता ही जाता है और एक दिन वह दिवालिया हो जाता है। यह 5 प्रतिशत के साथ व्यापार में और 75 प्रतिशत के साथ वायदा बाजार में होता है। वायदा में डूबने वालों की संख्या ज्यादा है। डूबने वालों को सलाह आप किसी भी तरह के घाटे में या कर्ज में फंस चुके हैं और निरंतर फंसते ही रहे हैं तो कुछ दिनों के लिए कारोबार को रोक दें, व्यापार को रोक दें। इस स्थिति में तत्काल किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह करें और स्थिति को समझंे कि यह क्यों हुआ है और यह कब तक चलेगा और आगे नुकसान का समय कितना है, फायदा होगा या नहीं जो भी कारण हो जानें।
कर्ज चुकाने हेतु फिर कर्ज न लें। यह नये उम्र के बच्चे ज्यादा करते हैं। उन्हें यह उत्साह होता है कि इस कार्य से तुरंत पैसा आयेगा और यह सट्टेबाजी वायदे में आते हैं और उल्टा नुकसान करते ही हैं। ज्यादा कर्ज में होने पर कभी भी वायदा बाजार और सट्टा चाहे क्रकेट का हो या अंकों का कदापि नहीं करें। क्या करें बाजार के लोगों की राय अवश्य ही लें किंतु सदैव अपनी मानसिकता से ही व्यापार करें। सलाह अवश्य ही लें।
ज्यादा नुकसान होने पर अपनी कुंडली किसी ज्योतिष को बतायें और रुकावटें और घाटे के ग्रहों को जानकर उनकी पूजा, जाप, अनुष्ठान करवायें। कब व्यापार करें आपके महादशा स्वामी के मुदि-स्वस्थ राजयोगकारी समय में और महादशा स्वामी से अंतर्दशा स्वामी एकादश, नवम, पंचम, दशम होने पर अच्छा लाभ लगातार मिलता है। यह आपको वैदिक ज्योतिष के विद्वान से जानना चाहिए। त्काल कब न करें वायदे में उत्साह से कार्य न करें। अनेकों को यह ही बताया जाता है और यह ही मानसिकता ब्रोकर बताते हैं कि जब मंदी हो तब खरीदो और जब ज्यादा ऊंचा बाजार आये बेच दो। यही उचित भी है
किंतु मंदी की अंतिम मंदी स्थिति वही हो या तेजी की अंतिम स्थिति वही हो यह समझ नहीं आने से इसमें भी सैकड़ों लोग फंसे हैं और फंसते हैं, वायदा व्यापार की गिरावट 5ः,10ः,20ः,50ः,60ः तक भी हो जाती है। चांदी का भाव 2 साल में आधे से भी कम है। सोना 20ः से ज्यादा गिरावट में है। निकेल का भाव जून आरंभ में 930 रुपया था जो अभी जुलाई दूसरे सप्ताह में 666 तक आया है।
दो सप्ताह में 30ः तक गिरा। कोई भी गिरावट अंतिम नहीं होती बहुत सोच-समझकर विश्व व्यवस्था को जानकर सलाहकार से सलाह लेकर कार्य करें। क्रूड 55ः तक गिरा आॅयल 650 तक गिरा और झटके में चढ़ा और 1100 तक जाकर 900 आया और आज 1030 है तो आपको यह पता ही नहीं कि अंतिम क्या है। इसमें बर्बाद होने वाले 50ः से ज्यादा लोग हैं जो 2 माह, तीन माह, 6 माह में ही बर्बाद होकर घर बैठ जाते हैं।
बाजार ज्ञान की पुस्तकें तेजी-मंदी, वायदा के सौदों और बाजार पर इस समय अनेकों पुस्तकें बाजार में हंै और अनेकों लोग इस ग्रह चाल से अनुमानित तेजी-मंदी बताते हैं। नेट पर भी हजारों की तादाद में टीप्स प्रोवाइडर हैं। बाजार और वायदा और तेजी-मंदी के योग और ग्रह गणित को बताने वाली सभी पुस्तकें आज के व्यापारानुसार नहीं हैं। जो पुस्तकें 60-70 साल पहले लिखी गई हैं वही पुस्तकें आज भी हैं और इन्हीं पुस्तकों की आज नकल कर इन्हीं पर आधारित फल को छापा जाता है। जैसे-
1. मुस्लिम माह से गुर्रा का फल
2. मारवाड़ी गुजराती-धबाड मुहूर्त
2. सामान्य में पंचक ज्ञान से
3. वर्ष प्रवेश से
4. ग्रहगति राशि गोचर भ्रमण से
5. ग्रहों की युति प्रतियुति से
6. सूर्य संक्रांति से
7. चंद्रमा से
8. नक्षत्र से 1 सूर्य 2 चंद्र 3 अन्य ग्रहों से
9. ग्रहों के नक्षत्र प्रवेश से
10. ग्रहों के राशि प्रवेश से इन सभी का एकीकरण कर निष्कर्ष निकालना अति दुर्लभ कार्य है और 70 प्रतिशत भी ये सत्य नहीं आते हैं। तेजी-मंदी की पुस्तकों में जो लिखा जाता है वह भी सत्य नहीं होता है। हर वर्ष के पंचांग में भी यह बताया जाता है। ये सभी बातें पुरानी हो चुकी हैं और जो नाम उस समय के वायदा वस्तुओं के हैं वे आज नहीं हैं। आज जो वायदा वस्तु है उनके कोई गणित इन पुस्तकों में नहीं हैं।
वस्तु के ध्रुवांक से नगर के ध्रुवांक से तेजी मंदी ज्ञान यह भी फलित नहीं होता है। अनेकों वस्तुओं के ध्रुवांक नहीं होने से इन पुस्तकों में योग नहीं होने से पुस्तकों में भी यह नहीं है। जो पुराना है वही का वही छप रहा है। आज का वायदा व्यापार आज संचार माध्यमों और विश्व व्यापार होने के कारण सभी जगह भाव एक समान वायदा के होते हैं।
हाजिर में भाव के भाड़े से अंतर आता है और यह होता है एक क्लीक पर सौदा हो रहा है और बस दबने के बाद कुछ नहीं होता। एक शब्द का व्यापार आज वायदा व्यापार एक शब्द का ही है-खरीद लो या बेच दो। बस निर्णय के समय से किसी भी देवता का सुविधानुसार अपने कुल परंपरानुसार नित्य मंत्र जाप करें और लाभ उठायें।
भाग्योदयकारी स्तोत्र सूक्त व्यापार लाभ हेतु श्री सूक्त अद्वितीय है साथ ही कनकधारा स्तोत्र व पुरुष सूक्त प्रमुख है। त्रिपूर सुंदरी स्तोत्र पूजन, षोडशी मंत्र प्रमुख है। आपको जो उचित लगे प्रयोग करें।