भाग्यो फलति सर्वत्र न विद्या न च पौरूषम्
भाग्यो फलति सर्वत्र न विद्या न च पौरूषम्

भाग्यो फलति सर्वत्र न विद्या न च पौरूषम्  

आभा बंसल
व्यूस : 2944 | जुलाई 2011

कोई भी व्यक्ति चाहे वह कितना ही होशियार, साहसी व बलयुक्त क्यों न हों, यदि उसका भाग्य बलवान नहीं है, तो सब बेकार है। भाग्यबली होना अत्यंत आवश्यक है। ग्रह चलित, नवांश, ग्रह दशा क्रम सभी प्रकार से बलशाली होने पर ही ग्रहों का उत्तम प्रभाव जीवन में फलित होता है। सुमित की कहानी भी कुछ ऐसा ही बयां करती है। अक्सर देखा जाता है कि ज्योतिष में अनेक विद्वान केवल जन्मकुंडली देखकर ही भविष्य-कथन कर देते हैं। ये केवल जन्मस्थ ग्रहों की स्थिति का अवलोकन करते ही अपनी राय दे देते हैं।

उनका भविष्य कथन अनेक बार सटीक बैठता है परंतु कई बार बिल्कुल गलत भी हो जाता है। इसके कई कारण हैं। जन्म पत्री के विश्लेषण में चलित कुंडली, ग्रहों की वक्र स्थिति, स्तंभित स्थिति, ग्रहों का बलाबल आदि भी देखना आवश्यक है। हाल ही में ऐसी ही एक कुंडली देखने को मिली। सुमित अपने माता-पिता की प्रथम संतान है। उसके जन्म पर अनेक विद्वानों ने उसके उज्जवल भविष्य के बारे में उसके माता-पिता को बताया। सुमित के पश्चात उसकी दो बहनों ने जन्म लिया। तीनों बच्चों का लालन-पालन उनके माता-पिता अत्यंत प्रेम से कर रहे थे। सुमित बचपन से पढ़ाई से जी चुराता था जबकि दोनों छोटी बहनें पढ़ने में बहुत तेज थीं।

सुमित को उसकी मां खूब जबरदस्ती करके भी स्कूल नहीं भेज पाती थी। वह या तो छुप कर सो जाता या कोई भी बहाना बना कर स्कूल नहीं जाता था। बहनें पढ़ने में अत्यंत होशियार थी। वे लगातार हर कक्षा में अच्छे नंबरो से उत्तीर्ण होती रहीं और समय पर दोनोें ने ही स्नातकोत्तर की परीक्षा भी पास कर ली जबकि सुमित दसवीं पास करने में असमर्थ रहा। माता-पिता दोनों ही अब उसकी पढ़ाई के साथ-साथ उसके भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहने लगे। उन्हें पता था कि बिना पढ़ा-लिखा होने के कारण उसके सुखद भविष्य की कल्पना करना निरर्थक-सा लगता है। 


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


भी उन्होंने उसे कुछ व्यापार कराने की कोशिश की। उसे तीन-चार बार छोटे-छोटे व्यापार एवं काम कराए गये, लेकिन सुमित को किसी में सफलता नहीं मिली। वह मेहनत भी करता तो उसे उसका फल नहीं मिलता था। साथ ही उसका अत्यंत कमजोर आत्म-विश्वास उसे कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ बना देता था।

व्यापार नहीं चलने के कारण सुमित ने नौकरी करना शुरू किया। नौकरी में उसे काफी कम तनख्वाह ही मिली। और उसमें भी उसको ऐसी जगह नौकरी मिली जहां पर समय पर तनख्वाह नहीं दी जाती थी अथवा किसी न किसी कारण से उसकी तनख्वाह में काफी कटौती भी हो जाती थी और जो भी मिलता, उससे दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाता। कहने का अर्थ है कि उसके भाग्य ने न ही व्यापार में उसका साथ दिया और न ही नौकरी में। माता-पिता बिचारे बचपन में की गई भविष्यवाणी की दुहाई देते नहीं थकते कि उनके आचार्य जी ने कहा क्या था और हो क्या गया।

समय पर सुमित का विवाह हो गया और उसे काफी सुशील पत्नी रूचि मिली जिसने उसका पूरी तरह से साथ दिया और अब उनके पास दो बच्चे हैं जो पढ़ाई में काफी होशियार हैं लेकिन सुमित को अब यही चिंता है कि उसकी जिंदगी तो जैसे-तैसे बीत गई। क्या वह अपने बच्चों को वह शिक्षा व आर्थिक संबल दे पाएगा जिसके वे हकदार हैं और शायद पढ़-लिख कर वे उसके भविष्य को भी सुधार सकें और उसके भविष्य का सहारा बन सकें।

आइये, करें सुमित की जन्मकुंडली का विश्लेषण और जानें कि उसकी कुंडली अंदर खाने क्या कहती है। वह अपने जीवन में उन उपलब्धियों को भी क्यों हासिल नहीं कर पाया जो आसान प्रतीत होती थीं। यह उसके भाग्य की विडंबना ही है जो उसको झेलनी पड़ रही है। सुमित की लग्न कुुंडली का विश्लेषण करें तो कुंडली अत्यंत प्रभावशाली प्रतीत होती है। ग्रहों की स्थिति लग्नेश शुक्र, सप्तम भाव, केंद्र में वक्र होकर बलवान अवस्था में हैं। द्वितीयेश और पंचमेश बुध अपनी उच्च राशि कन्या में पंचम भाव में ही बैठे हैं।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


राहु और मंगल दोनों ही पराक्रम भाव में बैठे हैं और पराक्रम भाव में दोनों ग्रहों की स्थिति अत्यंत शुभ होती है। सुखेश सूर्य ओर पराक्रमेश चंद्र कुंडली के षष्ठ भाव में है, लेकिन ये बुध और शुक्र के शुभकर्तरी योग में हैं। कलत्र कारक ग्रह शुक्र कारक होकर सप्तम भाव में स्थित हैं। भाग्येश शनि स्वग्रही होकर अपनी ही राशि में भाग्य स्थान में स्थित है और गुरु अष्टमेश और लाभेश होकर दशम भाव में केंद्र में है। कुल मिलाकर देखे तो प्रतीत होता है कि सभी ग्रह अपनी उत्तम स्थिति में है।

ग्रहों की स्थिति का सूक्ष्म रूप से विश्लेषण करें तो शुक्र गुरु से केंद्र में हैं और सप्तमेश मंगल राहु के साथ शनि की दृष्टि में है। इसलिए यदा- कदा रूचि और सुमित का मनमुटाव तो अवश्य होगा, अन्यथा दांपत्य सुख के लिए कुंडली उत्तम है। उच्च का बुध पंचम भाव में होते हुए भी सुमित को विद्यार्जन में बहुत तकलीफ आई और इसमें दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता का भी अभाव है। इसका मूल कारण है पंचमेश बुध का चलित कुंडली में षष्ठ भाव में नीचस्थ सूर्य और चंद्र के साथ होना। बुध पंचम भाव के फल देने के बजाय छठे भाव के फल प्रदान कर रहा है।

इसी तरह पराक्रम भाव में राहु और मंगल की युति के कारण सुमित को अत्यंत उत्साही, साहसी व उद्यमी होना चाहिए था। परंतु पराक्रम भाव का स्वामी चंद्र लग्न से षष्ठ, रोग भाव में नीचस्थ सूर्य के साथ है और चलित कुंडली में राहु और मंगल दोनों ही सुख भाव में आ गये हैं और चतुर्थ भाव अर्थात् सुमित के सुख भाव को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रहे हैं और चूंकि तृतीयेश चंद्र पूर्ण अस्त हो कर सूर्य के साथ एक से अंश में स्थित है तथा शनि की पूर्ण दृष्टि में है। इसलिए उसमें आत्म विश्वास की भी कमी है। चतुर्थेश सूर्य भी अपनी नीच राशि में शनि से दृष्ट होकर बैठे हैं तथा किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि में नहीं है। इसलिए अपनी ओर से वह मकान, वाहन का कोई सुख प्राप्त नहीं कर सका। स्थिर लग्न के लिए नवमेश बाधक ग्रह होता है।

यहां शनि बाधकेश होकर भाग्य स्थान में है तथा चलित में दशम भाव में चले गये हैं। इसलिए योग कारक ग्रह होते हुए भी शनि ने बाधकेश के ही परिणाम दिए हैं क्योकि केतु शनि के साथ नवम में स्थित है। इसलिए सुमित न तो व्यापार में सफल हो पाया और न ही कोई अच्छी नौकरी कर पाया। उसके भाग्येश ने भाग्य स्थान में बैठने के बावजूद उसे कोई शुभ फल प्रदान नहीं किया। दशम भाव का विश्लेषण करें तो वहां पर गुरु अष्टमेश और लाभेश होकर राहु के नक्षत्र में बैठे हैं। बृहस्पति इस लग्न के लिए अकारक ग्रह है और अशुभ ग्रह के नक्षत्र में है इसलिए इसने प्राकृतिक शुभ ग्रह होते हुए भी, दशम स्थान में बैठकर सुमित के कार्य क्षेत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया और आर्थिक लाभ भी प्रदान नहीं किया।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


इसी तरह साधारण सी दिखने वाली कुंडली में अनेक बार ऐसे राज योग छिपे होते हैं जिनके कारण साधारण जिंदगी जीने वाला व्यक्ति भी समय आने पर राजा की जिंदगी जीता है। इसके साथ दशा का रोल भी जबरदस्त है। जन्म के पश्चात अकारक ग्रहों की दशा आ जाए तो अच्छी कुंडली होते हुए भी शुभ फल प्राप्त होने पर प्रश्न चिह्न लग जाता है। ऐसे ही कई बार कारक ग्रह की दशा जीवन काल में आती ही नहीं, हां अंतरदशा और प्रत्यंतर्दशा अवश्य आती है, पर उनका प्रभाव कुछ थोड़े समय के लिए ही होता है। सुमित के जन्म के समय राहू की महादशा चल रही थी।

राहू पराक्रम भाव में मंगल के साथ है पर वह चूंकि चलित में सुख भाव में चले गये हैं इसलिए उसे बचपन में पूरा सुख प्राप्त नहीं हुआ और वह काफी सुस्त और आलसी बना रहा अन्यथा तीसरे के राहू और मंगल को उसे अत्यंत चपल, खिलाड़ी व उत्साही बनाना चाहिए था। ग्यारह वर्ष के पश्चात गुरु की 16 वर्ष की दशा चली। इस लग्न के लिए तथा चंद्र लग्न के लिए भी गुरु अकारक ग्रह है। इसी दशा में सुमित की पढ़ाई और कैरियर का फैसला होना था, परंतु गुरु ने केंद्र में होते हुए भी वांछित शुभ फल नहीं दिया क्योंकि गुरु ने अकारक होकर दशम भाव में बैठकर स्थान-हानि दी अर्थात् उसका कैरियर चैपट कर दिया। नवांश में दशम भाव में स्वग्रही होने से गुरु और बली हो गये और उनकी अशुभता दशम भाव के लिए और अधिक बढ़ गई।

इसके साथ-साथ अकारक ग्रह मंगल भी गुरु को अशुभ दृष्टि से देख रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुंभ राशि में गुरु बहुत अच्छा फल इसलिए भी प्रदान नहीं करते क्योंकि कुंभ में गुरु अपनी राशि से बारहवें व तीसरे हो जाते हैं। सुमित की कुंडली में गुरु विद्या के कारक होकर विद्या भाव से छठे भाव में है इसलिए भी उन्होंने विद्या प्राप्ति में सहयोग नहीं दिया और इसके साथ पंचमेश बुध भी छठे भाव में चले गये हैं इसीलिए विद्या का सुख नहीं मिला।

गुरु के पश्चात शनि की महादशा 19 वर्ष तक चली परंतु इस दशा में भी कुछ लाभ प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि शनि यहां योगकारक ग्रह होकर बाधक भी है और नवांश में अपनी नीच राशि में है। चलित कुंडली में अष्टमेश गुरु के साथ दशम मंगल व राहू की दृष्टि में होने से कर्म-जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके साथ ही शनि चंद्रमा के नक्षत्र में है और चंद्रमा कुंडली में पूर्ण अस्त होकर नीच सूर्य के साथ शनि की दृष्टि में त्रिक भाव में स्थित है, अमावस्या का जन्म है इसलिए कर्म जीवन में कोई शुभ लाभ प्राप्त नहीं हुआ। अभी 2009 से बुध की दशा आरंभ हुई है। बुध पंचमेश होकर छठे भाव में आ गये हैं इसलिए इस दशा में भी कर्म-जीवन में विशेष उन्नति संदेहजनक दिखाई देती है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.