कई ऐसे लोगों के किस्से मौजूद हैं जो बचपन से लेकर जवानी एवं प्रौढ़ावस्था तक आर्थिक संकटों से जूझते रहे, तमाम उम्र कड़ी मेहनत करने के बाद भी उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर ही बनी रही। एकाएक बुढ़ापे में उन्हें अकूत धन-संपदा प्राप्त हो गयी और उनका शेष जीवन सुखमय व्यतीत होने लगा। हस्त रेखाओं का सूक्ष्म निरीक्षण और विश्लेषण करने के पश्चात कुछ तथ्य सामने आते हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि उनकी हथेलियों में कुछ ऐसे योग हैं जो जीवन के उत्तर काल में ही फलित होकर लक्ष्मी प्राप्ति के कारण बनते हैं। ऐसे ही कुछ योगों की चर्चा करते हैं:
1. यदि जीवन रेखा एवं मस्तिष्क रेखा को आड़ी-तिरछी रेखाएं काटती हांे और मस्तिष्क रेखा में भी अस्पष्टता हो तो लगभग 45 वर्ष के पश्चात ही धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
2. मस्तिष्क रेखा में भाग्य रेखा रुकती हो, शुक्र उन्नत हो और हाथ नर्म हो तो प्रौढ़ावस्था के बाद ही धनागम का योग होता है।
3. गुरु की स्थिति उत्तम हो, शनि का क्षेत्र भी अच्छा हो, जीवन रेखा के आरंभ में दोष हो जैसे सिमटी हुई, मोटापन और साथ-साथ कोई अन्य रेखा हो जो सिमटी हो, तो ऐसे जातकों का भाग्योदय अथवा धनागम का योग वृद्धावस्था में होता है।
4. यदि हाथ में भाग्य रेखा मोटी से पतली हो, हाथ भारी हो तो जीवन के उत्तरार्द्ध में धन प्राप्ति के योग होते हैं।
5. यदि भाग्य रेखा आगे चलकर साफ सुथरी हो जाती है तो जीवन के उत्तरार्द्ध में धन प्राप्ति के योग होते हैं। इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति के हाथ में वृद्धावस्था में धन प्राप्ति के उपर्युक्त योग हैं तो निःसंदेह उसे कभी न कभी इसके परिणामस्वरूप धन की प्राप्ति अवश्य होगी। किंतु इन लक्षणों के अतिरिक्त पूरे हाथ का सूक्ष्म निरीक्षण भी कर लेना अति आवश्यक है क्योंकि कभी-कभी कुछ ऐसी भी सूक्ष्म रेखाएं देखने में आती हैं जो किसी विशेष योग का प्रभाव कम कर देती हैं। अतः कुशल एवं अनुभवी हस्त रेखा विशेषज्ञ से परामर्श कर लेना चाहिए।