जन्मकुंडली में व्यवसाय या नौकरी योग: वाणिज्यं नृपमान्यताश्व गमनं मल्लत्वराज्यक्रिया, दासत्वं कृषि वैद्यकीर्ति निधि निक्षेपाश्चयज्ञादयः। श्रेष्ठत्वं गुरुयंत्र मंत्र जननी विस्तार पुण्यौषधो रूस्थानाभर मंत्र सिद्धिविभवाः स्याददत्तपुत्र प्रभुः। (उत्तरकालामृत) वाणिज्य, राज्य की ओर से मान, घोड़े की सवारी, कुश्ती, खेलों में दक्षता, राजकार्य, नौकरी, कृषि, चिकित्सा, यश, निधि का स्थान विशेष में रखना, यज्ञ आदि शुभ कार्य, उत्तमता, बड़े बूढ़े लोग, यंत्र, मंत्र, माता, विस्तार पुण्य, औषधि, कमर, देवता, मंत्र सिद्धि, वैभव, गोद लिया पुत्र, मालिक आदि चीजों का विचार, दशम भाव व दशमेश से किया जाता है।
अर्थाप्त कथयेद्विलग्नशशिनोर्भहये बली वस्तुतः, कर्मेशस्थ नवांश राशि पवशाद् वृत्तिं जगुस्तद्विदः। -जातक पारिजात लग्न और चंद्र राशि में जो बलवान हो उससे धनागम का विचार करना चाहिये। उससे दशम भाव का स्वामी जिस राशि के नवांश में स्थित हो उस नवांशराशि के स्वामी से जातक की वृत्ति (व्यवसाय या नौकरी) का विचार करना चाहिये।
विख्यात टीकाकार भट्टोत्पल के अनुसार: मात्र लग्न और चंद्रमा से दशम भावस्थ सर्वाधिक बलवान ग्रह या लग्न, चंद्रमा और सूर्य से दशम भाव के स्वामियों में सर्वाधिक बलशाली ग्रह से ही जातक की वृत्ति का निर्धारण उचित नहीं है। अपितु व्यक्ति के आय के स्रोतों (व्यवसाय या नौकरी) के निर्धारण में इनके अतिरिक्त लग्न, द्वितीय, पंचम नवम और एकादश भावों में स्थित ग्रहों, मित्रगृह, शत्रु ग्रह या स्वग्रह गत ग्रहों पर भी विचार करना चाहिये। लग्ने त्रयो विगत शाके विवद्धिताना।
कुर्वन्ति जन्म शुभदाः पृथ्वीपतीनाम -सारावली यदि लग्न पर तीन शुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ रहा हो तो मनुष्य शोक रहित, समृद्धशाली, राज्य संपन्न होता है। इसके विपरीत यदि लग्न पर तीन पापी ग्रहों का प्रभाव हो तो मनुष्य रोग, भय और शोक में डूबा हुआ दूसरों से मांग कर खाने वाला एवं अपमानित जीवन व्यतीत करने वाला होता है। अर्थात् लग्न पर ध्यान सबसे पहले देना चाहिये। प्राचीन व आधुनिक ज्योतिष शास्त्रों में व्यवसाय से संबंधित योग के लिये एक भाव या ग्रह जिम्मेदार नहीं होता बल्कि 1, 2, 5, 7, 9, 10, 11 भाव उनके स्वामी की जन्मकुंडली में स्थिति, दृष्टि, युति व बलाबल जानना अति आवश्यक है।
प्राचीन समय में वर्ण व्यवस्था (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र) के आधार पर अधिकांश व्यवसाय निर्धारित होते थे एवं व्यवसायों के प्रकार भी सीमित थे तब नौ ग्रह व बारह राशियों से व्यवसाय का प्रकार निर्धारण करना सरल व सुगम था। लेकिन वर्तमान समय में व्यवसाय या नौकरियों के प्रकार असीमित हैं अतः वर्तमान ज्योतिषियों में अत्यधिक अध्ययन मनन, चिंतन के आधार पर ही व्यवसाय या नौकरी का निर्धारण संभव होगा। अतः क्रमानुसार अध्ययन करते हैं।
ग्रहों से संबंधित कार्य
1.सूर्य: राजपद, प्रशासन, दवा, डाॅक्टर, मैनेजर, हड्डी या नेत्र विशेषज्ञ, मुखिया, ऊन, फर्नीचर, यश, प्रसिद्धि, राजनीति।
2. चंद्र: दूध, दही, पेय पदार्थ, सुगंधित पदार्थ, सफेद वस्तुएं, चावल, शक्कर, कपड़े, जल से उत्पन्न पदार्थ, पानी के जहाज, जल सेना, जल विभाग में नौकरी, स्त्रियों से संबंधित कार्य, मानसिक डाॅक्टर, जनता से संबंधित कार्य।
3. मंगल: साहसी कार्य, फौज, पुलिस, जोखिम कार्य, बिजली, इलैक्ट्राॅनिक, ज़मीन, ईंट भट्टा, हथियार बेचने या बनाने का कार्य, वाहन विक्रेता या पार्टस विक्रेता, ईजीनियर, सर्जन, क्रिमिनल वकील, लैब टेक्नीसियन, रसायन, मांस विक्रेता, गुंडा, मवाली, आतंकवादी, डकैत।
4. बुध: प्रकाशन, लेखन, ज्योतिष व्याख्याता, वक्ता, एकाउटेंट, एक्टिंग कलाकार, एजेंट, दलाली, नकल, संवाददाता, पुस्तक विक्रेता, छपाई रंगाई, कलाकारी, गणित।
5. गुरु: प्रोफेसर, शिक्षक, प्रबंधनकर्ता, मंदिर या मठ का पुजारी, समाज सेवक, वित्तीय संस्थान, राजनीति, सलाहकार, वेदपुराण, धार्मिक ग्रंथ या सामान का व्यापार, मंत्री, सोने का व्यापार, पीले पुष्प, पीले फूल या धान्यों का व्यापार, जज, सिविल वकील, सचिव।
6. शुक्र: फिल्म, टेलीविजन, मनोरंजन, संगीत, सौंदर्य प्रशासन, गायन से संबंधित कार्य। इत्र, जेवरात, वस्त्र, होटल, गृह सज्जा, फोटोग्राफी, व्यूटी पार्लर, माॅडलिंग, मैरिज व्यूरो, पेंटिग, फैंसी स्टोर, चांदी, गृह विज्ञान।
7. शनि: नौकर, ड्राइवर, लोहा, सीमेंट, जमीन, खनिज पदार्थ, कृषि, रबड़, कबाड़, ठेकेदारी, मजदूरी, वैद्य, सन्यास, अनुसंधान, भिखारी, अंग्रेजी शिक्षा, जुआ, मदिरा, न्यायधीश।
8. राहु: तांत्रिक, तस्करी, छलकपट, चमड़ा, चोर, लुटेरा, पराविद्या या सम्मोहन विशेषज्ञ, विष या एनैस्थिशिया विशेषज्ञ, शराब विक्रेता, जुआ, चांडाल, सपेरा, विदेश, राजनीति।
9. केतु: चर्मकार या चर्म रोग विशेषज्ञ, क्षय रोग विशेषज्ञ, फोड़ा या घाव विशेषज्ञ, सर्जन, आत्मज्ञान, वेदान्त ध्वज (सिंहासन देने वाला), आत्मज्ञान महान तप, विरक्त, तर्क। शनिवत राहु, कुजवत केतु अर्थात् राहु के कुछ गुण शनि के समान व मंगल के समान केतु के गुण होते हैं। राहु केतु चूंकि छाया ग्रह हैं, अतः ग्रह, भाव, युति या दृष्टि के आधार पर गुणित अनुपात में शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं।
(2) राशियों से संबंधित कार्य
1. मेष: पुलिस, केमिस्ट, सर्जन, जासूस, खेलकूद, इंजीनियरिंग, क्रिमिनल ला, रेडियो, टेलीविजन, कंप्यूटर मोबाइल, टेलीफोन, मशीनी कार्य, ड्राइवर।
2. वृष: सौंदर्य प्रसाधन, इत्र, सेंट, संगीत, नृत्य, शृंगार, सजावट, नाट्यकला, फिल्म व्यवसाय, माडलिंग, कृषि, चित्रकारी, कशीदाकारी, टेलरिंग, होटल, रेस्तरां, व्यूटी पार्लर, विज्ञापन, शिल्पकारी, फैशन।
3. मिथुन: ज्योतिष, दलाली, पत्रकार, लेखक, पुस्तक प्रकाशन, आडिटिंग, विक्रय प्रतिनिधि, व्याख्याता, सचिव, अनुवादक, टाइपिंग, हास्य कला, जासूस।
4. कर्क: कांच, पेय व सुगंधित द्रव्य, रस मलाई, दूध, शृंगार, स्त्रियों संबंधित कार्य, जल विभाग, यातायात, नर्स।
5. सिंह: प्रशासक, चिकित्सक, राज्य स्तरीय सेवा, विधायक, मंत्री, प्रधानमंत्री, प्राचार्य, प्रधानाचार्य, मुखिया, पुलिस प्रशासन।
6. कन्या: प्रकाशक, दलाल, संवाददाता, मुद्रण, पेंटिंग, लिपिक, एकाउटेंट, लेखाकार, विक्रय प्रतिनिधि, मैनेजमेंट, एक्टिंग, शिक्षक, उद्याने संबंधित कार्य।
7. तुला: व्यापार, उद्योगपति, न्यायधीश, फैशन, खिलौने, इत्र, सेंट, सौंदर्य प्रसाधन, रेडीमेड वस्त्र, होटल, रेस्तरां, अभिनय, गायन, नृत्य, विज्ञापन।
8. वृश्चिक: सर्जन, रसायन शास्त्र, खिलाड़ी, यौन रोग विशेषज्ञ क्रिमिनल ला, व्यंगकार, पत्रकार।
9. धनु: कथा वाचक, धार्मिक संगठन व संस्था के संचालक, ज्योतिष धर्म प्रचारक, न्यायधीश, विदेशी दूतावास, समाज सेवक प्राध्यापक, ला, व्यंगकार, पत्रकार।
10. मकर: वैज्ञानिक, हस्तविशेषज्ञ, कृषक, जासूस, ठेकेदार, बीमा, मुद्रण, पुरातत्व विभाग, सग्रहकर्ता, वित्त या विधि विभाग, जासूस, खगोल शास्त्र, मनोरोग विशेषज्ञ।
11. कुंभ: मनोविज्ञान, खिलाड़ी, सामयिक सेवा, टंकण, प्रापर्टी ब्रोकर, ठेकेदार, वास्तुशास्त्री, व्याज का कार्य, योग, ध्यान, पराविज्ञान विशेषज्ञ।
12. मीन: समाज सुधारक, धर्म प्रचारक, शिक्षक, व्याख्याता, ज्योतिषी, राजदूत, सलाहकार, काउंसलर, मार्केटिंग नीतिशास्त्र, मानवशास्त्री, जीवविज्ञान विशेषज्ञ।
भावों से संबंधित कार्य
1. प्रथम भाव: प्रथम भाव अर्थात् लग्न व्यवसाय या नौकरी के मामले में सबसे महत्वपूर्ण होती है। लग्नस्यादिम मध्यमन्तिमयुतो लग्नाधि नाधो कमात् कुर्यात दण्डपति य मंडलपतिं ग्राम्याधिपे तच्छिवम, लग्न का स्वामी यदि लग्न में ही प्रथम, मध्यम तथा अंतिम भाग में स्थित हो तो क्रमशः मनुष्य को दंडपति, मंडलपति तथा ग्रामपति बना देता है। यदि लग्न व लग्नेश मजबूत हो, शुभ ग्रह का प्रभाव हो तो जातक या जातिका लग्न या लग्नेश से संबंधित व्यवसाय या नौकरी में जाता है। चूंकि लग्न जन्मकुंडली में मुखिया होती है अतः किसी राज्य, या संस्था के मुखिया अर्थात् प्रमुख व्यक्ति के रूप में जातक कार्य करता है।
2. द्वितीय भाव: द्वितीय भाव वाणी, धन, प्राथमिक शिक्षा चेहरा, आंख से संबंध रखता है। द्वितीय भाव द्वितीयेश प्रबल हो एवं दशमेश लग्नेश का संबंध द्वितीय भाव भावेश से होने पर संबंधित कार्य या व्यवसाय व्यक्ति करता है।
3. तृतीय भाव: लेखन, साहस, पराक्रम, पत्रकारिता, सूचना संचार, यात्रा निज धर्म।
4. चतुर्थ भाव: जनता, जमीन, मकान, मन, कृषि, आर्किटेक्ट हृदय रोग या मनोरोग विशेषज्ञ, वाहन आदि।
5. पंचम भाव: उच्च शिक्षा अर्थात् व्याख्याता, प्रोफेसर महान कार्य, उपदेशक, मंत्री, मनोरंजन, विचार, संपति, मंत्रणा, विकास, प्रबंधन, परिवार नियोजन।
6. षष्ठ भाव: डाॅक्टर, वैद्य, ऋण अर्थात बैंकिंग सूद, बाधा, अर्थात पुलिस, वकील, न्यायधीश, किडनी रोग विशेषज्ञ, दशम से नवम अर्थात् व्यवसाय या नौकरी का भाग्य स्थान।
7. सप्तम भाव: व्यापार, भौतिकवाद, सुगंध, इत्र, सेंट फूल, खाने पीने का सामान, विदेश मंत्रालय, सैक्स रोग विशेषज्ञ, परिवार कल्याण विभाग, सहकारिता विभाग, मैरिज ब्यूरो।
8. अष्टम: चिकित्सीय कार्य, रहस्य, रिसर्च, पराविज्ञान, बीमा, तंत्र, मैस्मेरिज्म, सी. बी. आई., सी. आई. डी. विभाग।
9. नवम: संस्कृत ज्ञान, धर्म, आध्यात्म, ब्रह्मज्ञान, भाग्य के बारे में बताने वाला अर्थात ज्योतिष, हस्तरेखा, पंडित कर्मकांड, गुरु अर्थात, शिक्षक, संत, महात्मा, वायु सेना, योगी।
10. दशम भाव: दशम भाव दशमेश का व्यापार व नौकरी से संबंध अधिक रहता है चूंकि यह भाव, यश, सम्मान, ख्याति, कर्म, शुभ या अशुभ कार्य, सत्ता सुख, राज्य पद आदि से संबंध रखता है।
11. एकादश भाव: लाभ, मनोकामना, आय अर्थात बैंकिंग, टैक्स, कोष, वित्त विभाग से संबंधित होता है।
12. व्यय: व्यय, जेल अर्थात जेल पुलिस, जेलर, विदेश में नौकरी या व्यवसाय।
जन्मकुंडली में नौकरी योग
1. लग्न, चंद्र लग्न या सूर्य लग्न से दशम भाव व दशमेश को षडबल मंे बली होना चाहिए।
2. दशम, दशमेश पर युति व दृष्टि से शुभ ग्रहों का प्रभाव हो। सर्वाष्टकवर्ग में दशम भाव में अधिक अंक होने पर।
3. चर लग्न व अधिकांश ग्रहांे का चर राशियों से संबंध होने पर नौकरी की संभावना अधिक रहती है।
4. कुंडली का छठा भाव अर्थात दशम से नवम (नौकरी का भाग्य स्थान) बली होने पर है।
5. पंचम भाव, पंचमेश की जन्मकुंडली में अच्छी स्थिति हो एवं शुभ प्रभाव होने पर क्योंकि नौकरी छोटी या बड़ी हो योग्यता होना आवश्यक रहती है।
6. लग्न, लग्नेश, पंचम व पंचमेश, दशम व दशमेश के ऊपर शनि (नौकर, दासत्व, पराधीनता का कारक) का दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव होने पर नौकरी योग की संभावना बनती है।
7. केंद्र में शुभ ग्रहों की कमी होने पर।
8. पंचमेश, लग्नेश या दशमेश की 18 से 35 के मध्य दशा या अंतर्दशा आने पर।
जन्मकुंडली में व्यवसाय योग
1. लग्न, चंद्रलग्न या सूर्य लग्न से सप्तम भाव दशम से अधिक बली होने पर व्यवसाय योग बनते हैं।
2. सर्वाष्टक वर्ग में सप्तम भाव में अधिक अंक होने पर।
3. स्थिर लग्न हो, अधिकांश ग्रह स्थिर राशियों में होने पर।
4. जन्मकुंडली में लग्न व लग्नेश के मजबूत होना आवश्यक है क्योंकि लगन मजबूत से व्यक्ति स्वयं के ऊपर निर्भर रहेगा।
5. एकादशेश व द्वादशेश अच्छी स्थिति में होने चाहिये क्योंकि आय एकादश एवं धन व्यापार में खर्च करना व्यय (द्वादशेश) दोनों बातें व्यापार में चाहिये।
6. चतुर्थेश (जनता) व एकादशेश मजबूत होने पर।
7. सप्तमेश, एकादशेश, व्ययेश एवं द्वितीयेश का आपसी संबंध। अठारह से चालीस वर्ष के मध्य द्वितीयेश सप्तमेश या एकादशेश की महादशा, अंतर्दशा आने पर। जन्मकुंडली में इंजीनियरिंग योग लग्न या चंद्र कुंडली में मंगल व शनि का संबंध पंचम व दशम से होने पर जातक इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत होता है।
मि. शुभम मिश्रा: 11-05-1971 समय 05.10 प्रातः दामोह
1. दशम भाव में उच्च के (शनि की राशि में) मंगल की, राहु से युति।
2. लग्न में उच्च के सूर्य विराजमान जातक ने पहले इंजीनियर पद पद कार्य किया वर्तमान में (श. मं.) बड़ी-बड़ी मशीनों के व्यापार का कार्य बाम्बे में कर रहे हैं। लग्न के उच्च के सूर्य ने संध्या का मालिक बनाया।
डाॅ. नवीन सोनी 09.1.1975 समय: 08.15, दमोह (मध्यप्रदेश)
1. लग्नेश शनि व षष्ठेश बुध का राशि परिवर्तन एवं पंचमेश (उच्च शिक्षा/एवं दशमेश शुक्र से लग्न में युति है।
2. सर्जरी कारक एकादश में मंगल विराजमान एवं पंचम व षष्ठ (रोग) भाव पर दृष्टि।
3. सप्तमेश (व्यापार) चंद्र एकादशेश मंगल की आय भाव में राहु से युति है। दशमांश कुंडली में शनि व मंगल स्वगृही है। जातक वर्तमान समय में हड्डी की सर्जरी का स्वयं का नर्सिग होम दमोह शहर में चला रहे हैं। जन्मकुंडली में मेडिकल स्टोर (दवा व्यापार) योग जन्मकुंडली में शनि, मंगल (रोग ग्रह), रोग भाव षष्ठ, एकादश का सप्तमेश (व्यापार) एवं कादश आय। से संबंध युति दृष्टि या ग्रह परिवर्तन के द्वारा हो व्यक्ति फार्मेसी अर्थात दवा व्यापार का कार्य करता है।
मि. अनिल कटवारी 04: 04. 1970, 22.30, दमोह
1. लग्नेश व रोगेश मंगल, आयेश बुध, सप्तमेश (व्यापार) शुक्र, शनि षष्ठ भाव में विराजमान है।
2. दशमेश सूर्य (दवा कारक) पंचम भाव में।
3. धनेश व्यय भाव में अर्थात व्यय करके धन कमाना।
4. स्थिर लग्न व्यापार उचित है। जातक के पास मेडिकल स्टोर है जिसमें थोक दवा विक्रेता का कार्य कर रहे हैं। जन्मकुंडली में कानून (के योग) Û वृहस्पति व शुक्र दोनों कानून शास्त्र से संबंध रखते हैं। शनि न्याय कारक है अर्थात जब गुरु, शुक्र व शनि का संबंध पंचम, सप्तम (व्यापार) दशम (नौकरी) से होता है। जातक वकालत संबंधी पेशे से संबंध रखता या अपनाता है।
मि. वैभव सक्सेना 26: 09. 1974, 04.00, मुश्किरा
1. शुक्र लग्न में, गुरु सप्तम भाव में विराजमान एवं एक दूसरे की आपस में दृष्टि संबंध (गुरु शिक्षा व शुक्र नौकरी)
2. न्यायकारी शनि की लग्न व पंचम पर दृष्टि।
3. लग्नेश सूर्य (राज्य नौकरी) की भाग्येश से युति। जातक वर्तमान समय में सिविल जज हैं। नौकरी/व्यापार ग्रहों एवं भावों का आपसी संबंध इंजीनियर मंगल, शनि व दशम, पंचम भाव डाॅक्टर मंगल शनि व षष्ठ, अष्टम, दशम भाव प्रोफेसर गुरु, बुध व पंचम, दशम वकालत मंगल, गुरु, शनि, षष्ठ, सप्तम व दशम न्यायाधीश शनि, गुरु, सूर्य व पंचम, दशम पत्रकार बुध, शुक्र, तृतीय, चतुर्थ, पंचम डाॅ. आयुर्वेदिक शनि, गुरु, मंगल, व षष्ठ, पंचम, लग्न। अनुसंधान शनि, गुरु, राहु, अष्टम, पंचम लग्न। हास्य कलाकार बुध, शुक्र, पंचम गायक बुध, शुक्र, द्वितीय संगीतकार गुरु, बुध, तृतीय, चतुर्थ कवितावार शुक्र, चंद्र, चतुर्थ, पंचम ज्योतिष बुध, गुरु, पंचम, नवम मठाधीश गुरु, शनि, नवम, पंचम चार्टर्ड एकाउंटेंट बुध, मंगल, पंचम, एकादश मैनेजर सूर्य, गुरु, दशम वैंकिंग बुध, गुरु, द्वितीय, एकादश प्रशासनिक सेवा सूर्य, गुरु, पंचम, दशम मार्केटिंग बुध, शुक्र, पंचम सी. आई. डी. पंचम, अष्टम, शनि, गुरु, राहु माॅडलिंग शुक्र, बुध, सप्तम प्रकाशन बुध, गुरु, पंचम प्रधानमंत्री, मंत्री सूर्य, गुरु, शनि लग्न दशम, नवम। शिक्षक गुरु, बुध, पंचम, दशम ड्राइवर शनि, मंगल, तृतीय, द्वादश व चर लग्न। खिलाड़ी शनि, मंगल, गुरु, पंचम, सप्तम द्वादश। व्यूटीशियन शुक्र, बुध, चंद्र, चतुर्थ पंचम विल्डर शनि, मंगल, चतुर्थ, सप्तम ठेकेदार गुरु, शनि, षष्ठ, सप्तम, एकादश दलाल बुध, शनि सप्तम चोर या ठग शनि, मंगल की राहु से अशुभ युति तृतीय, षष्ठ। लुटेरे या गुंडा मंगल, गुरु की राहु या केतु से युति तृतीय षष्ठ। राहु, केतु शुभ के साथ शुभ व अशुभ के साथ अशुभ फल।