सपनों का घर कहां बनायें? के. के. निगम मनुष्य के जीवन में तीन मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं रोटी, कपड़ा और घर, मनुष्य सबसे पहले रोटी अर्थात पेट पूजा का प्रबंध करता है फिर उसके बाद कपड़े का इंतजाम करता है और यह दो कार्य स्थाई रूप से कर लेने के बाद जीवन की सबसे बड़ी अभिलाषा सिर पर छत अर्थात घर व्यवस्था करता है
आइये स्वयं जानें कि हमारे लिए घर किस नगर, मोहल्ले में बनवाना शुभ है। इस हेतु तीन विधियों से विचार करने का मत हमारे प्राचीन वास्तुशास्त्रियों ने दिये हैं-
नक्षत्र विधि: सर्वप्रथम अपने जन्म नक्षत्र का ज्ञान करें जो कि जन्मकुंडली से जाना जा सकता है और यदि जन्मकुंडली न हो तो जो प्रचलित नाम हो उसके प्रथम अक्षर से ज्ञात कर लें। इसी प्रकार जिस नगर, ग्राम, मोहल्ले में घर बनवाना हो उसका भी नक्षत्र नाम के प्रथम अक्षर के अनुसार जान लें। अब ग्राम, नगर, मोहल्ले की नक्षत्र संख्या से अपने जन्म नक्षत्र की संख्या तक गिनें और फल इस प्रकार जानें यदि- संख्या फल 1 से 5 लाभदायक 6 से 8 धन हानि 9 से 13 समृद्धि, धन लाभ, यश 14 से 19 पत्नीकष्ट, हानि, विवाह सुख का अभाव 20 अंग भंग 21 से 24 सुखदायक, संपति से बढ़ोŸारी 25 कष्टकारक तथा भयकारक 26 कष्टकारी, शोककारी 27 ग्राम, नगर, मोहल्ले वालों से बैर इसमें अभिजित को संज्ञान में लिया गया है।
उदाहरण- माना कि आपका नाम मनमोहन सिंह तथा आप दिल्ली में घर बनवाना चाहते हैं तो उपरोक्त विधि से विचार करने पर दिल्ली का नक्षत्र है पूर्वाभाद्रपद जिसकी नक्षत्र संख्या 25 है तथा नाम नक्षत्र मघा की नक्षत्र संख्या 10 है नगर नक्षत्र से नाम नक्षत्र तक गणना करने पर 13 अंक आ रहा है विवरण अनुसार यह अंक आपके लिए समृद्धि, धन लाभ एवं लाभ कारक है। अर्थात शुभ है यह सिद्ध भी होता है जैसे हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी से मेल खा रहा है।
वर्ग विचार विधि: इस विधि में अपना तथा ग्राम, नगर, मोहल्ले का नाम लेने का विधान है। इस विधि में यह विचारा जाता है कि अपना नाम एवं ग्राम, नगर, मोहल्ले का नाम किस वर्ग में है। किस अक्षर का किस अक्षर तक क्या वर्ग है उसका विवरण इस प्रकार है- अक्षर वर्ग अ से अं अ वर्ग स्वामी गरुण क से ड. क वर्ग स्वामी बिल्ली च से ´ च वर्ग स्वामी सिंह ट से ण ट वर्ग स्वामी श्वान त से न त वर्ग स्वामी सांप प से म प वर्ग स्वामी चूहा य से व य वर्ग स्वामी हिरन श से ह श वर्ग स्वामी बकरी अपने नाम की वर्ग संख्या को दो से गुणा कर उसमें नगर, ग्राम, मोहल्ले आदि वर्ग संख्या जोड़ दें फिर इसमें आठ का भाग दें। अब नगर, ग्राम, मोहल्ले की वर्ग संख्या को दूना करके उसमें अपने वर्ग की संख्या जोड़ दें। अब यदि ग्राम, नगर, मोहल्ले की संख्या कम और नाम अधिक है तो यह ग्राम, नगर, मोहल्ला आपके लिए शुभ है। इसके विपरीत की स्थिति आपके घर बनाने के लिए अशुभ है। यदि संख्या सम आये तो न लाभ होगा न हानि। सामान्यता इसको शुभ नहीं माना जाता है।
उदाहरण- उपरोक्त उदाहरण के अनुसार देखें तो पायेंगे कि नाम प वर्ग से है तथा नगर त वर्ग से है जिनका क्रमशः अंक 6 एवं 5 होता है। उपरोक्त विधि गणना के अनुसार मनमोहन का दिल्ली में घर बनवाना शुभ है। इस विधि का उपयोग आप चाहें तो अन्य कार्यों में भी कर सकते हैं जैसे मालिक, सेवक, आर्थिक लेनदेन, साझेदारी, विवाह आदि। भूपालबल्लभ ग्रंथ में कहा गया है कि अपने वर्ग से पांचवा वर्ग शत्रु होता है। अतः इसके आने पर कार्य नहीं करना चाहिए।
वर्गेशस्ताक्ष्र्यमार्जार सिहन्´सर्यमूषकाः।
इ भावौः पूर्वतस्तेषां स्ववर्गात् पंच मोरिपुः।।
राशि विचार विधि: सबसे पहले राशि और जहां घर बनवाना चाहते हैं उस नगर/ग्राम/मोहल्ले की राशि मालूम करें यह राशि ज्ञान जन्मकुंडली से प्रचलित नाम आदि से करें। अब देखें कि अपनी नाम राशि से ग्राम/ नगर/मोहल्ले की राशि 2, 5, 9, 10, 11 है या नहीं। यदि है तो इस स्थान में घर बनवाना शुभ है, यदि दोनों की एक राशि या सातवीं राशि है तो अशुभ 3, 6 होने पर हानिकारक एवं 4, 8, 12 होने पर स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ नहीं है। घर किस ग्राम/नगर/मोहल्ले में बनवाना है निश्चित हो जाने के बाद प्रश्न यह उठता है कि घर स्थान के किस भाग में बनवाया जाये। इसके लिए वशिष्ठ, विश्वकर्मा, वराहमिहिर आदि वास्तुशास्त्रियों का मत है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा धनिक वर्ग के लोगांे को नगर/मोहल्ले के मध्य में घर बनवाना चाहिए तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को किनारे पर बनवाना चाहिए।
पुर भवन ग्रमाणां ये कोणास्तेषु निवसतां दोषाः।
श्रपचादयोऽन्त्यजाता स्तेष्वेव विवृद्धिमायान्ति।।
ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा, पिछड़ा वर्ग चाहे एक ही घर में रहते हों अर्थात एपार्टमेंट में निवास करने वाले उपरोक्त वर्गों को क्रमशः उŸार, पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, दिशा का घर लेना चाहिए। बासगृहाणी च विन्द्यादिप्रादी- नाग्दिगाद्यानि। राशि के अनुसार वृष, मकर, सिंह, मिथुन राशि के जातकों को बीच में, वृश्चिक राशि वालों को पूर्व में, मीन वाले को पश्चिम में, तुला वालों को वायव्य में, उŸार दिशा में मेष वालों को तथा कुंभ वालो को ईशान दिशा में घर बनवाना चाहिए।
गो सिंह नक मिथुनं निवसेन्नमध्ये, ग्रामस्य पूर्व कुभोलिझषांगनाश्च।
कर्थोधनुस्तुलभमेष घटाश्च तद्वद् वर्गास्वपंचमपरा बलिनः स्युरैन्द्रयाः।।
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