पं. गोपाल शर्मा जी द्वारा कानपुर शहर के श्री उदय शंकर जी के घर का वास्तु निरीक्षण किया गया। उदय जी का कहना था कि जब से इस घर में आए हैं तब से ही मानसिक एवं आर्थिक परेशानियां शुरु हो गईं। पत्नी अक्सर बीमार रहती है और घर में कलह का वातावरण बना रहता है।
प्रत्येक कार्य में असफलता मिलती है। निरीक्षण करने पर निम्नलिखित मुख्य वास्तु दोष पाए गए। सीढियों तथा सीमेंट के प्लेटफाॅर्म के दक्षिण पश्चिम में होने तथा चारदीवारी से जुड़े होने के कारण दक्षिण-पश्चिम का क्षेत्र बढ़ा हुआ था। उत्तर पश्चिम में जलाशय था। दक्षिण पश्चिम के क्षेत्र के बढ़े होने के कारण परिवार में आपस में अनबन, स्वास्थ्य में गिरावट और दुर्घटना आदि होती हैं।
उत्तर पश्चिम में जलाशय होने से धन हानि, अनावश्यक शत्रुता, वैमनस्य का भय तथा विशेषकर महिलाओं का स्वास्थ रहता है। उदय जी का कमरा उत्तर पूर्व में होने से भी उन्हें और उनकी पत्नी को मानसिक अशांति तथा बीमारियों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही रसोईघर में आग और पानी एक सीध में होने के कारण घर का माहौल तनावपूर्ण और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बराबर खराब रहता था।
इन दोषों को दूर करने के लिए सीढ़ियों को बैठक की दीवार से जोड़ा गया और उन्हंे खुला छोड़ दिया गया। सीमेंट के प्लेटफार्म को काटकर, चारदीवारी से हटाकर कैंटी लीवर बनाया गया। दक्षिण पूर्व की जगह भी कटी थी, वहां एक बड़ा खंभा डालकर पोर्च बनवाया गया जिससे घर का संतुलन बन गया और घर में सुख शांति एवं स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
काफी समस्याओं से निजात मिली। बीमारियों से बचाव के लिए उदय जी का कमरा उत्तर-पश्चिम में और बच्चों का कमरा उत्तर पूर्व में किया गया। रसोईघर में पानी को पश्चिम की ओर और फ्रिज को थोड़ा दक्षिण की ओर किया गया। इन सभी उपायों को करने के पश्चात घर में सुख शांति लौट आई, तरक्की हुई और समस्याएं दूर हुईं।
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