क्या कहते हैं विभिन्न पुरुषों एवं महिलाओं के चेहरे
क्या कहते हैं विभिन्न पुरुषों एवं महिलाओं के चेहरे

क्या कहते हैं विभिन्न पुरुषों एवं महिलाओं के चेहरे  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 5561 | आगस्त 2006

चेहरा सिर्फ भावी जीवन का ही द्योतक नहीं होता बल्कि मनुष्य के मन में उठने वाले विचारों का भी परिचायक होता है। कदाचित इसीलिए चेहरे को मन का दर्पण कहा गया है। गर्भ स्थित शिशु के चेहरे पर विधाता भावी जीवन के संकेत मानो पहले से ही लिख देता है। ये विधि लिखित संकेत मनुष्य के चेहरे पर स्थित विभिन्न चिह्नों, रेखाओं व तेज के रूप में देखे जा सकते हैं। स्त्री-पुरुषों के चेहरों का अध्ययन करते समय उनके धर्म, अर्थ तथा काम के फलित भी ध्यान में रखने होते हैं। जिस व्यक्ति का चेहरा सुंदर, शरीर पुष्ट तथा सभी अंग सम अनुपात में होते हैं वह आदर का पात्र होता है। प्राचीन ग्रंथकारों ने अवतारी पुरुषों का वर्णन इसी रूप में किया है। आइए, अब विभिन्न प्रकार के चेहरों का अध्ययन करें: प्रसन्न व भाग्यवान चेहरा यदि आंखें सतेज व पानीदार, भौंहें धनुषाकार, गाल रक्तवर्ण व पुष्ट; नाक समानुपातिक तथा मस्तक बड़ा व ऊंचा हो तो चेहरा प्रसन्न होता है। ऐसे चेहरे वाले व्यक्ति अतिशय भाग्यवान होते हैं, महापुरुषों के चेहरे ऐसे ही होते हैं। ऐसी आकृति वाला पुरुष साहसी, मेहनती तथा प्रचंड इच्छा-शक्ति वाला होता है। इसकी वाणी कोयल के समान मधुर होती है।

उसके पास सभी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाने की बुद्धि, प्रत्युत्पन्नमति, बड़ी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने का हौसला तथा कुशल नेतृत्व कर सकने की क्षमता होती है। धनवान चेहरा ऐसी आकृति वाले व्यक्ति का मस्तक ऊपर की ओर फैला हुआ, मुंह चैड़ा, गाल भरे हुए, नाक गरुड़ पक्षी की चोंच के समान कमानीदार, नासिकाएं चैड़ी व मोटी, आंखों की पुतलियां विस्तृत होती हैं। उसकी आंखों मंे ऐसा भाव होता है मानो उसे नींद आ रही हो। जो व्यक्ति जीवन में धन संचित कर पाते हैं, उनके चेहरे कुछ इस प्रकार होते हैं। मस्तक सीधा व चैड़ा, कान चैड़े, नाक बड़ी, नाक का सिरा कम विकसित और होंठ पतले। अर्जित किया हुआ धन संचित करने की क्षमता ही मनुष्य को धनवान बनाती है। संकरे मस्तक वाले व्यक्ति की संचय क्षमता चैडे़ मस्तक वाले व्यक्ति से कम होती है। उच्च संकरे मस्तक वाला मनुष्य नीतिप्रिय होता है और परोपकार के मार्ग पर चलता है जबकि गोल व चैड़े मस्तक वाला व्यक्ति पैसे जोड़ने में व्यस्त रहता है। शुद्ध प्रेमभावी चेहरा यह चेहरा मनोहर व चित्ताकर्षक होता है। यदि ऐसे चेहरे का व्यक्ति उदात्त चरित्र का स्वामी हो, तो उसका प्रेमभाव उच्च कोटि का व अशारीरिक होता है।

यदि उसमें चरित्र का बल न हो तो वह प्रेम शारीरिक संपर्क तक सीमित होकर रह जाता है। कृतित्वशील ऐसे व्यक्ति का चेहरा लंबोतरा तथा त्वचा पतली, आंखें पानीदार व आर्द्र तथा नाक बड़ी होती है। नीचे का होठ उभरा हुआ व भरा होता है। भांैहें धनुषाकार होती हैं। ऐसे लोगों में सतत कर्मरत रहने की प्रवृत्ति होती है। जब यह कर्मठता, सामाजिक या राष्ट्रीय स्तर पर होती है तब उनसे जलकल्याण के कार्य होते हैं। ऐसे महापुरुषों में पं. नेहरू, लोकमान्य तिलक, बाबासाहिब अंबेडकर इत्यादि के नाम लिए जा सकते हैं। बुद्धिमान चेहरा इस चेहरे में मस्तक का सामने वाला भाग ऊंचा, बड़ा, उठावदार तथा फूला हुआ सा होता है। आंखें पानीदार व तीक्ष्ण होती हैं। नाक सुडौल व चेहरे के अनुपात में होती है। भौंहें घनी व उठावदार होती हैं। मस्तक उभरा हुआ, आंखें बड़ी व पानीदार, नाक बड़ी तथा नुकीली और भौंहें धनुषाकर होती हैं। जबड़े चैड़े व भरपूर होते हैं। गाल भरे-भरे होते हैं। कान चैडे़ व बाहर को निकले से होते हैं। छाती चैड़ी और पैर बड़े होते हैं। प्रतिभावान चेहरा इसकी आंखंे पानीदार होती हैं। मस्तक पूर्ण विकसित व उठावदार होता है। केश व नाखून तेजयुक्त होते हैं। भौंहें बुद्धिमान व्यक्ति की स्मरण शक्ति तेज होती है।

स्मरण शक्ति के सहारे ही वह ज्ञान संचय - संवर्धन कर पाता है। इनके चेहरे सूर्य व गुरु प्रधान होते हैं। इनका भाग्योदय शीघ्र होता है। सामथ्र्यशील चेहरा यह चेहरा लंबगोलाकार होता है। मोटी तथा धनुषाकार होती हंै। चेहरा लंबगोलाकार और यह कांतिमय होता है। उद्योगशील चेहरा इसकी आंखंे बड़ी-बड़ी व पानीदार होती हैं। नाक चैड़ी; ठोड़ी गड्ढेदार, भौंहें धनुषाकार तथा मस्तक भरा-पूरा होता है। कान के लोलक बडे़ तथा किंचित पतले होते हैं। सर्वसुखी चेहरा इसकी आंखे चमकीली व पानीदार, चेहरा भरा-भरा सा, नाक तीखी व नुकीली, जीभ लाल रंग की तथा नाक की नोक तक पहुंचने वाली, होंठ लालिमायुक्त, दांत कुंद-कली के समान, भौंहें धनुषाकार, कान फूली हुई पूरी के समान तथा बाल स्वर्णवर्णीय होते हंै। इस चेहरे पर सुख व संतोष का तेज विराजता है। मस्तक पर दायीं ओर घूमता हुआ सा भवर अंकित होता है। दिव्य दृष्टियुक्त चेहरा ऐसे चेहरे वाले व्यक्ति अतींद्रिय चेतना वाले तथा त्रिकालदर्शी होते हैं। ये उच्च कोटि के साधक तथा परम सात्विक होते हैं। इनकी आंखें गहरी, स्थिर व शांत होती हैं। वे गंभीर तथा किसी दूर स्थित पदार्थ पर केंद्रित होती हैं। चेहरा चिंतनमग्न तथा स्वप्नानुभाव लेता सा मालूम पड़ता है।

शरीर कांतिमान होता है। हाथ व उंगलियां नर्म व हल्की होती हैं। ऐसे लोग बहुधा आजानुबाहु होते हैं। उपर्युक्त गुण किसी अवतारी पुरुष में दृष्टिगोचर होते हैं। महिलाओं के चेहरे भाग्यवान और कर्मठ स्त्री ऐसी स्त्री का सिर धड़ में धंसा हुआ सा प्रतीत होता है। ललाट पर भ्रमर जैसा चिह्न होता है। नजरें घूरती हुई सी होती हैं। आंखें मछली के समान, काली, पानीदार व विशाल होती हैं। भांैह धनुषाकार, होठ अनार के दाने के समान लाल, दांत कुंदकली के समान होते हैं। सिर के बाल सुनहरे, लंबे, एड़ियां - चूमते हुए व मुलायम होते हैं। नाक उन्नत होती है और उस पर तिल होता है। गुलाबी गाल पर दायीं ओर लालिमा युक्त तिल होता है। मुख पूर्ण विकसित चंद्रमा के समान गोल होता है। उपर्युक्त वर्णन वाली स्त्रियां भाग्यवान, तो होती ही हैं, उनमें प्रचंड इच्छाशक्ति कर्तव्य पालन की क्षमता तथा अच्छी बुद्धिमत्ता का योग भी होता है। छत्रपति शिवाजी महाराज की जननी जिजामाता का व्यक्तित्व ऐसा ही था। इसलिए वह इतिहास रचने में सक्षम हो सकीं। सुर साम्राज्ञी स्त्री कोकिल कंठी स्त्री का मूर्तिमंत प्रतीक है सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर। इनके कंठ में सरस्वती की वीणा, उर्वशी के नूपुर तथा श्रीकृष्ण की बांसुरी की मिठास का उत्कृष्ट संगम है।

लताजी की नाक पुष्ट, सुडौल व स्नायुमय है। मुंह चैड़ा, होंठ भरे हुए और गाल गोलाकार व पुष्ट हैं। हनु तथा उंगलियां नुकीली हैं। कान गोल, चैड़े व बाहर उभरे हुए हैं और उनमें अनेक बल पड़े हुए हैं। गालों पर तथा हनु पर सुंदर गढ़े से पड़े हुए हैं। कुल मिलाकर उनकी देहयष्टि गोलाकार, सुडौल व स्नायु प्रधान प्रतीत होती है। सत्ताधीश स्त्री सत्ताधारी स्त्री का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं स्व. इंदिरा गांधी। इनका चेहरा गोल व नीचे नुकीला था। ललाट उन्नत व भौंहें धनुषाकार थीं। उनकी नासिका सुडौल, पुष्ट, उठावदार व नुकीली थी जो प्रचंड निर्णयक्षमता तथा प्रचंड इच्छा शक्ति का प्रतीक थी। लंबी नाक उनकी दूरदर्शिता इंगित करती थी। नाक का चैड़ापन उनकी प्रख्यात आकलन शक्ति का द्योतक थी। कर्तृत्वशक्ति, उनकी आंखें पानीदार थीं, विशेषकर बायीं आंख का तेज देखते ही बनता था। गाल भरे हुए थे। कान समानुपातिक व व्यवस्थित थे। उनकी संपूर्ण देहयष्टि से किसी राजकन्या का बोध होता था। बुद्धिमान स्त्री बुद्धिमान स्त्री के ललाट का भाग उभरा हुआ व उठावदार होता है। भौंहे चेहरे के अनुपात में सुंदर आकार की होती हैं। आंखें पानीदार, नाक सुडौल तथा पूरा चेहरा समानुपातिक होता है। कान त्रिकोणाकार होते हंै। बुद्धिमत्ता के लिए अक्सर मस्तिष्क को केंद्र बिंदु समझा जाता है।

लेकिन आधुनिक विज्ञान इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि बुद्धिमत्ता का कारक स्मरणशक्ति है और स्मरणशक्ति का केंद्र है स्नायु व मज्जा-तंतु। मस्तिष्क केवल एक कंप्यूटर है जो जीवन में घटने वाली सभी छोटी-बड़ी घटनाओं के दृश्यों व ध्वनियों को संग्रहित मात्र करता है। बुद्धिमान व्यक्तियों को संग्रहित जानकारियों की बजाय नई सोच व कल्पनाशक्ति की आवश्यकता होती है। सुंदर स्नायु संरचना वाली स्त्रियां बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य आसानी से कर लेती हैं। धनवान स्त्री ऐसी स्त्रियों के ललाट, कान, नाक, आंखें व मुंह अध्ययन योग्य होते हैं। उनके कान भरे हुए ललाट चैड़ा, उभरा हुआ है, मुंह बड़ा, नाक चील पक्षी की चोंच के समान कमानदार, नथुने चैड़े व पुष्ट होते हैं। आंखें बड़ी होती हैं और देखने वालांे को यह आभास होता है कि आंखों में नींद भरी है। लेकिन ये काफी चैकन्नी होती हैं। इनकी दृष्टि गिद्ध के समान तीक्ष्ण होती है। इन लक्षणों से युक्त स्त्री येन केन प्रकारेण धन कमाने में लगी रहती है। नीति, मूल्य, विवेक इत्यादि बातों की परवाह इन्हें नहीं होती। इन स्त्रियों में ही एक वर्ग होता है धन संग्रह करने वाली स्त्रियों का। ये बेहद कंजूस होती हंै। इनका ललाट सीधा व चैड़ा होता है। मंुह का फैलाव काफी बड़ा होता है।

कान चैडे़ होते हैं। इनकी नाक का सिरा विकसित नहीं होता। इनके चेहरे पर झुर्रियां बड़ी प्रतीत होती हैं। इनके होंठ रसहीन व ऊबड़ खाबड़ होते हैं। सौंदर्यवान स्त्री ऐसी चेहरा त्रिकोणाकार, बड़ा व रसीला होता है। बाल सुनहरे, लंबे और घने होते हैं। आंखें विशाल व पानीदार होती हैं। नाक नुकीली, होंठ गुलाबी व नाजुक, वक्षस्थल उन्नत और कमर पतली होती है। जिस प्रकार भाग्य मनुष्य के अधीन नहीं होता, उसी प्रकार सौंदर्य भी मनुष्य के अधीन नहीं होता। ये ईश्वरीय देन हैं। इस पर घमंड करके अपना जीवन दुःखी करती अनेक स्त्रियां देखी गई है। इसके विपरीत कुरूप स्त्रियां भी बुद्धि का सही उपयोग करके सुखी जीवन जीती हुई देखी गई हंै। फिर भी सुंदरता भाग्य से मिलती है, इसलिए सुंदर स्त्री भाग्यवान ही कही जाएगी। दरअसल मुद्रा शास्त्र से प्राप्त जानकारी को हमें अपने आप पर न आजमा कर उन लोगों पर आजमाना चाहिए जो हमारे संपर्क में आते हैं तथा जो हमसे जुड़ रहे हैं। यदि अपने संपर्क में आने वाले लोगों के चेहरों का अध्ययन करके हम उनसे संबंध स्थापित करें, तो कभी धोखा नहीं खाएंगे।



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