घर या घर के बाहर हैंडपंप, पानी की टंकी हमेशा ईशान्य कोण में ही शुभ रहती है। इससे गृहस्वामी का परिवार पुष्ट होता है।
- फैक्ट्री, घर, होटल या दुकान में वाश बेसिन सदैव पूर्व, उत्तर या ईशान्य में होनी चाहिए।
- शयन कक्ष में कभी भी जानवरों की लड़ाई का चित्र, अग्नि, चमगादड़, सर्प, कौओं, उल्लू, बिल्ली, शेर एवं नग्न चित्र न लगायें।
- यदि भूखंड का उत्तरी या पूर्वी भाग बढ़ा हुआ हो अर्थात् ईशान बढ़ा हुआ हो तो ऐसा भूखंड खूब धन, लक्ष्मी, दौलत को देने वाला होता है।
- यदि घर का वायव्य कोण बढ़ा हुआ हो तो गृहस्वामी को भारी खर्च व कष्ट प्राप्त होता है।
- घर का नैर्ऋत्य कोण सबसे भारी होना चाहिए।
- कभी भी टूटे-फूटे व ऐसे मकान में न रहें जिसकी न तो छत हो, न दरवाजे।
- यदि फैक्ट्री का ईशान कटा हुआ है तो ऐसे में वहां पानी की समस्या रहेगी, क्योंकि ईशान दिशा में जल का वास है।
- जिस भूखंड का ईशान छोटा हो उसके स्वामी को कभी भी आध्यात्मिक सफलता नहीं मिलती है।
- घर में ईशान दिशा ज्यादा ऊंचाई पर नहीं हो, ईशान दिशा में फालतू का कचरा न हो, ईशान ज्यादा भारी न हो, ईशान यदि नीचा हो तो सारे घर का पानी उधर ही होगा। पानी ढलान ईशान की तरफ होना शुभ है।
- घर में ईशान कोण खाली रहना चाहिए, उसे स्वच्छ साफ रखें।
- ऐसा भूखंड कभी न खरीदें, जिसका ईशान कटा हुआ हो।
- बंद या बीमार यूनिट न खरीदें।
- किसी भी उद्योग, फैक्ट्री एवं घर के बाहर गंदा पानी भवन की संपत्ति को नष्ट करता है।
- भवन के स्नानघर, रसोई के पानी का निष्कासन कुछ इस तरह हो कि ईशान्य दिशा से बाहर निकलें।
- फैक्ट्री, उद्योग, घर में जेनरेटर, ट्रांसफाॅर्मर, विद्युत सप्लाई, भारी विद्युत संयंत्र-मशीनंे सदैव अग्निकोण में ही रखनी चाहिए।
- फैक्ट्री, उद्योग का गोदाम हमेशा नैर्ऋत्य कोण में होना चाहिए।
- फैक्ट्री में नौकरों का निवास सदैव वायव्य कोण अथवा अग्नि कोण में होना चाहिए।
- फैक्ट्री, उद्योग में भारी मशीनें हमेशा नैर्ऋत्य कोण/दिशा में होनी चाहिए।
- घर में, फैक्ट्री में, दुकान में भूतल ईशान कोण में होना चाहिए।
- डायरेक्टर कक्ष अथवा फैक्ट्री स्वामी का चैंबर हमेशा नैर्ऋत्य कोण अथवा पश्चिम की ओर होना चाहिए किंतु मंुह पूर्व अथवा उत्तर की ओर होना चाहिए। बीम के नीचे न बैठें।
- स्वागत कक्ष अग्निकोण में हो सकता है अथवा नैर्ऋत्य कोण में भी हो सकता है।
- फैक्ट्री या बंगले में कार पार्किंग अथवा गैरेज स्थान सदैव वायव्य कोण में होना चाहिए।
- वायव्य में यदि स्थान न हो तो अग्निकोण में भी गैरेज बनाया जा सकता है।
- ईशानकोण में गैरेज कभी नहीं बनाना चाहिए।
- पश्चिम एवं दक्षिण दिशा भी पार्किंग के लिए ठीक है।
- वाहनों पर मारूति यंत्र लगाते हैं तो कभी दुर्घटना का भय नहीं रहता है।
- द्वार पर भवन या फैक्ट्री के बिजली या टेलीफोन का खंभा नहीं होना चाहिए। पेड़, चट्टान या अन्य कोई भी बाधा दुकान या घर के सामने नहीं होनी चाहिए।
- यदि घर का वायव्य कोण बढ़ा हुआ है तो गृहस्वामी को भारी खर्च व असुविधाओं का सामना करना पड़ेगा।
- घर की बैठक का कमरा प्रायः दक्षिण दिशा में होनी चाहिए।
- सीढ़ियां हमेशा घर के नैर्ऋत्य कोण में बनाएं जो कि दक्षिण में पश्चिम की ओर जाए।
- घर में घुसते ही सीढ़ियां नहीं दिखनी चाहिए।
- मुख्य प्रवेश द्वार के ऊपर सीढ़ी नहीं होनी चाहिए।
- सीढ़ियाँ सदैव दाईं तरफ होनी चाहिए।
- एक सीढ़ी से दूसरी सीढ़ी के मध्य 9 इंच का अंतर हो तो ठीक रहता है।
- सीढ़ियों के नीचे शयन कक्ष या बैठक नहीं होनी चाहिए।
- सीढ़ियां कभी ईशान में न बनाएं।
- सीढ़ी के नीचे पूजा घर कभी न बनाएं।
- दरवाजे की तरफ पांव करके सोना गलत है।
- सीढ़ी के नीचे बाथरूम न बनाएं।
- घर में मास्टर बेडरूम यदि नैर्ऋत्य कोण में हो तो उत्तम रहता है।
- घर की अविवाहित कन्या एवं मेहमानों को हमेशा घर के वायव्य कोण में सुलाएं।
- सोते समय सिर दक्षिण या पश्चिम की ओर रहे।
- ईशान दिशा में बाथरूम रखने पर गृहस्वामी का आर्थिक विकास नहीं होता।
- रसोई और टाॅयलेट कभी भी आमने-सामने नहीं होना चाहिए।
- टाॅयलेट पश्चिम या दक्षिण में होना चाहिए।
- टाॅयलेट और बाथरूम यदि जगह की कमी के कारण एक साथ हो तो भूलकर भी इसे ईशान या पूर्व दिशा में न बनाएं।
- बाथरूम में खिड़की पूर्व की ओर रखनी चाहिए।
- स्नान करते समय व्यक्ति का मुंह पूर्व की ओर हो तो बहुत उत्तम।
- घर में बालकनी सदैव उत्तर या पूर्व की ओर होनी चाहिए।
- बीमार को नैर्ऋत्य कोण में सुलाएं। वायव्य कोण में भी सुला सकते हैं।
- घर के ईशान कोण में दवाई का बक्सा रखें।
- दवाई लेते समय, पानी पीते समय भी अपना मुंह ईशान्य कोण की तरफ रखें।
- रसोई घर हमेशा अग्निकोण मंे होना चाहिए।
- रसोई बनाते समय गृह स्वामिनी का मुंह पूर्व की ओर रहे तो उत्तम, बीमारी नहीं आयेगी।
- घर में गेहूं, चावल, अनाज व खाने-पीने का सामान वायव्य दिशा में रखें।
- घर में गैस स्टोव, बिजली का सामान, गैस सिलिंडर व हीटर सभी वस्तुएं अग्निकोण में रखें।
- कचरे का डिब्बा कभी भी ईशान्य कोण में न रखें। घर का ईशान कोण बहुत पवित्र रखें।
- भवन के सभी द्वार मुख्य द्वार से छोटे होने चाहिए।
- मुख्य द्वार पर ऊँ, स्वास्तिक के शुभ चिह्न, गणपति तोरण आदि लगाएं।
- मुख्य द्वार पर गणपति, कुबेर और हाथी के चिह्न सदैव शुभ रहते हैं।
- पढ़ाई, अध्ययन हेतु पूर्व, ईशान्य एवं उत्तर दिशाएं ज्ञानवर्धक दिशाएं कहलाती हैं।
- विद्यार्थी उत्तर, पूर्व अथवा ईशान्य दिशा की ओर मुंह करके पढ़ता है तो वह विलक्षण प्रतिभा का धनी एवं ज्ञानवान होता है।
- अध्ययन कक्ष में सरस्वती एवं गणेश जी की तस्वीर लगायें।
- घर में पुस्तकें नैर्ऋत्य कोण में रखनी चाहिए।
- पुस्तकें दक्षिण या पश्चिम दिशा में भी रखी जा सकती है।
- अपने पूजन कक्ष एवं आराध्य देव की मूर्ति ईशान्य कोण में रखें।
- पूजा करते समय मुंह दक्षिण में न रखें।
- रात्रि में सोये हुए वस्त्र अथवा टाॅयलेट में पहने हुए वस्त्र को पहनकर पूजा कक्ष में या मंदिर में न जायें। इससे देवता नाराज होते हैं।
- पूजन कक्ष में मृतात्माओं का चित्र न रखें।
- पूजा कक्ष में झाडू - कचरा न रखें।
- पूजा स्थल ईशान्य में रखें।
- पूजन कक्ष हमेशा ईशान दिशा में होना चाहिए।
- पूजन कक्ष में खंडित मूर्तियां नहीं रखें।
- पूजन कक्ष में सौंदर्य-प्रसाधन नहीं रखें।
- पूजा कक्ष में वजनदार वस्तु न रखें।
- कागज, एल्युमिनियम की मूर्ति एवं कांच में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती। इन्हें पूजा कक्ष में न रखें।
- घर में मृतात्मा पूर्वजों का चित्र हमेशा नैर्ऋत्य कोण में लगाने चाहिए।
- पूर्वज हमारे आदर व श्रद्धा के प्रतीक हैं पर वे ईष्ट देवता की जगह नहीं ले सकते हैं।
- घर में सभी प्रकार के दर्पण पूर्वी एवं उत्तरी दीवारों पर होने चाहिए।
- घर में घड़ियां भी पूर्व एवं उत्तर की दीवारों पर लगायें।
- घड़ियों में मधुर व हल्का संगीत होना चाहिए।
- अचानक घड़ी रूकना अशुभ होता है।
- बंद घड़ियां बदल दें।
- घर का कीमती सामान, स्वर्ण, रजत एवं नगदी रुपया की तिजोरी सदैव उत्तर दिशा में रखें।
- उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर है।
- तिजोरी की पूजा करवाकर स्थापना करें।
- कुबेर यंत्र तिजोरी में रखें।
- टी. वी. हमेशा अग्निकोण में ही रखना चाहिए।
- कोर्ट केस फाईलें पूर्व दिशा अथवा ईशान में ही रखें या ईष्ट देवता के श्री चरणों में रखें।
- बीम के नीचे न बैठें।
- ईशान के अशुद्ध होने के कारण गृहस्वामी को कष्ट प्राप्त होता है।
- दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए।
- रसोई घर में पूजा स्थल न हो, न तस्वीर हो।
- घर में तुलसी का पौधा अमृत तुल्य है तथा यह वास्तु दोष दूर करता है।
- तुलसी के प्रकार - श्री कृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी, श्यामा तुलसी।
- तुलसी का पौधा अधिकतम ब्रह्म स्थान में होता है।
- भारतीय वास्तु शास्त्र में दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, अग्नि, नैर्ऋत्य वायव्य, आकाश तथा पाताल हैं। इनका विशेष विचार कर घर का निर्माण करें।
- अशोक वृक्ष की जड़ का एक छोटा टुकड़ा पूजा के स्थान पर रखें। नित्य इसकी पूजा करें तो घर में धन की कमी नहीं होती है।
- प्रत्येक अमावस्या को पूरे घर की सफाई करें तथा ब्राह्मण को भोजन कराएं।
- घर में सुबह-शाम कपूर एवं गुग्गुल का धुआं लगाने से घर के ऊपरी दोष दूर हो जाएंगे।
- आग्नेय कोण का दोष अगरबत्ती जलाने से दूर हो जायेगा।
- यदि आपके पास भूखंड है परंतु आर्थिक तंगी के कारण मकान नहीं बनवा रहे हों, तो शुक्ल पक्ष में हस्त नक्षत्र के दिन भूखंड के ईशान कोण में एक अनार का पौधा लगा दें।
- भवन के ईशान कोण में साबुत नमक किसी पात्र में रखने से घर की रक्षा होती है। नमक समय-समय पर बदलते रहें।
- घर में नमक के पानी का पोंछा लगाने से घर में दोष दूर होते हैं।
- घर में मंगल यंत्र रखें। रसोई बनाने के बाद चूल्हे को रोजाना दूध से ठंडा करें।
- मकान का काम रूक जाए तो शिव का अभिषेक करवाएं।
- प्रातः उठकर दरवाजे के बाहर सफाई कर एक गिलास पानी छिड़क दें, घर में बरकत होगी।
- घर की सीमा में अशोक वृक्ष लगाने से तथा उसको सींचने से धन वृद्धि होती है।
- शयन कक्ष के अंदर जूठे बर्तन नहीं रखने चाहिए, इससे घर में रोग उत्पन्न होता है, पत्नी बीमार रहने लगती है, धन का भी अभाव पैदा हो जाता है।
- रात्रि को बुरे सपने आते हैं तो अपने सिरहाने तांबे के पात्र में गंगाजल भरकर रख लेना चाहिए।
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