वास्तु दोष निवारक यंत्र चंदा जैन वास्तुदोष के निवारण के लिए हमारे ऋषि-मनीषियों ने कई यंत्र बताए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख यंत्रों का विवरण यहां प्रस्तुत है। सिद्ध बीसा यंत्र यह शक्तिशाली यंत्र है। इसमें माता जगदम्बा के नवार्ण मंत्र की शक्ति समाविष्ट है। इसे दुकान की चैखट या दहलीज के ऊपर लगाने से नजर नहीं लगती। यह किसी के श्राप या बददुआ से दुकान की रक्षा करता है। इसका मूल मंत्र एक प्रकार से दुकान का रक्षा कवच है। शुद्ध धातु से बने सिद्ध बीसा यंत्र को, उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर, दुकान में स्थापित करना चाहिए। इंद्राणी यंत्र यह वस्तुतः एक सुरक्षा कवच है। किसी व्यवसाय के व्यावसायिक दृष्टिकोण के अनुरूप होने तथा नानाविध यत्न के बावजूद हानि हो रही हो, तो किसी योग्य वास्तुविद् से परामर्श लेकर इंद्राणी यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। मंगल यंत्र यह एक अति प्रभावशाली यंत्र है। यदि दुकान या कार्यालय में चोरी होती हो, तो किसी योग्य वास्तुविद से परामर्श लेकर इसे पूर्वोत्तर कोण अथवा पूर्व दिशा में फर्श से नीचे दो फुट गहरा गड्ढा खोदकर विधिवत स्थापित करना चाहिए। यह यंत्र अग्नि से भी रक्षा करता है। यम कीलक यंत्र यदि व्यावसायिक स्थल सूर्य की क्रांति से वेधित हो अर्थात् स्थापना के समय नीच का सूर्य हो, तो वह कष्ट प्रदान करने वाली होती है। व्यवसायी भी नीच राशि के सूर्य से प्रभावित हो, तो ऐसी स्थिति में लाभ होने पर भी कष्ट बना रहता है। दुकान का मुख ठीक न हो अथवा असामाजिक तत्व लूटपाट करते हों, तो इस यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। यह यंत्र आगजनी से भी रक्षा करता है। सर्वविघ्न निवारण सूर्य यंत्र यदि सरकारी तंत्र द्वारा बार-बार परेशान किया जा रहा हो अथवा किसी अन्य प्रकार से बाधा पहुंचाई जा रही हो, तो सर्वविघ्न निवारण सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। यदि व्यवसाय के लाभप्रद होने पर भी अशांति बनी रहे, विवाद होता रहे, कलह कि स्थिति बनी रह,े तो इस स्थिति में भी सर्वविघ्न निवारक सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। मारुति यंत्र यह मारुति नंदन श्री हनुमान जी का यंत्र है। इच्छा के अनुरूप कोई जमीन बिक नहीं रही हो, या उस पर कोई विवाद हो, तो मंगलवार को दोपहर बारह बजे इस यंत्र को उस जमीन में सवा हाथ गड्ढा खोद कर पूर्वाभिमुखी होकर गाड़ दें। फिर इस पर दूध और गंगाजल चढ़ाएं। यह क्रिया गृहस्वामी को स्वयं करनी चाहिए। जमीन शीघ्र बिक जाएगी या विवादमुक्त हो जाएगी। यह यंत्र दोहरी शक्ति से युक्त है। यह वाहन की रक्षा भी करता है। काली यंत्र यह यंत्र फैक्ट्री, उद्योग की भट्ठी, बाॅयलर, ट्रांसफाॅर्मर या जेनरेटर पर स्थापित किया जाता है। ताकि उद्योग में अग्नि का संचार संतुलित रहे। वरुण यंत्र यह यंत्र जल संबंधी समस्त दोषों को दूर करता है। यदि जल स्थान, नलकूप या पानी की टंकी आग्नेय में या गलत दिशा में बनी हो, तो इस यंत्र को उस स्थल पर स्थापित करना चाहिए, जल संबंधी सभी दोष दूर होंगे। दिशा दोष नाशक यंत्र यह वास्तु दोष शमन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण यंत्र है। यह एक चमत्कारिक यंत्र है। कोई वस्तु गलत दिशा में बन गई हो और उसमें सुधार करना कठिन हो रहा हो, तो इस यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। सर्वमंगल वास्तु यंत्र यह प्रभावशाली यंत्र है। इसकी स्थापना से वास्तु संबंधी सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। दुर्गा यंत्र इस यंत्र को दुर्गा के निम्नोक्त मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाएं। मंत्र: ‘‘¬ नमो भगवती वास्तुदेवाये नमः’’ श्री यंत्र अगर व्यवसाय न चलता हो, पार्टनरों के बीच झगड़े होते हों, तो इस यंत्र किसी पंडित के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कराकर स्थापना करनी चाहिए। बगलामुखी यंत्र इस यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापना करने से किसी की बुरी नजर या टोटकों से अथवा शत्रु से घर या दुकान की रक्षा होती है। ऋणमोचक मंगल यंत्र इस यंत्र को गंगाजल से अभिषिक्त कर किसी शुभ दिन स्थापित करें। फिर उस पर मूंगा रखें और उसके समक्ष मंगल के इक्कीस नामों का उच्चारण करें। इसके बाद मंगल के इक्कीस नामों का उच्चारण नियमित रूप से करते रहें, ऋण से मुक्ति शीघ्र मिल जाएगी। इस तरह उक्त यंत्र अत्यंत प्रभावशाली हैं। इनकी विधिवत स्थापना और पूजा आराधना से वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय होता है।