किताब में वास्तु शब्द की व्याखया तो प्राप्त नहीं होती है लेकिन वास्तु संबंधी सूत्र - उपाय अवश्य मिलते हैं। लाल किताब द्वारा मकान की कुंडली बनाई जा सकती है। दिशाओं के अनुसार मकान की प्रत्येक वस्तु को ग्रहों में बांटा गया है।
मुखय द्वार (रोशनी), सूर्य, अंधेरा स्थान-शनि, जल स्थान - चंद्रमा, रसोई (अग्नि) मंगल, पूजा घर - बृहस्पति, शौचालय - राहु, कच्ची जमीन - शुक्र, जीना (सीढ़ियां) बुध ग्रह के संबंध है।
इसके अलावा ग्रहों की अन्य कारक वस्तुओं के माध्यम से उनकी स्थिति अनुसार भवन स्वामी के लिए शुभाशुभ फलों की गणना की जा सकती है। लाल किताब के अनुसार मकान बनाने के कारक शनि है जिनकी स्थिति का शुभाशुभ परिणाम जानकर ही निर्माण किया जा सकता है।
कारण यदि जातक के भाग्य में भवन नहीं है तो बनवाने के बाद भी उसे परिस्थिति वश वह वेचना पड़ जाता है या आधा ही बन पाता है। कुछ लोगों के लिए गृह प्रवेश से शुभता प्राप्त होती है और कई लोग रोग, ऋण, शत्रुओं से घिर जाते हैं। इनका अवलोकन शनि की स्थिति के अनुसार करना चाहिए।
जैसे -षष्ठ भावस्थ शनि हो तो 39 वर्ष के बाद मकान बनाना शुभ रहता है। द्वितीय भावस्थ शनि हो तों मकान जैसा बनें, वैसा बनने दें शुभ होता है। अष्टम भावस्थ शनि हो और राहु-केतु शुभ हों तो भवन निर्माण किया जा सकता है।
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