वास्तु एवं फेंगशुई अथवा सुखमय नहीं है तो कहीं न कहीं हमारे घर का वास्तु इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है। अतः पीड़ा से मुक्ति के लिए हमें वास्तु एवं फेंगशुई के सिद्धांतों को क्रियान्वित करना होगा जिससे हमारा जीवन सुखी एवं संपन्न बन सके। ष्टि के प्रारंभ से ही मनुष्य के जीवन में सुख एवं दुःख का चक्र चलता रहा है। मनुष्य सुख के पलों में अधिक से अधिक जीना चाहता है क्योंकि यह उसे आह्लादित करता है। लेकिन सुख के पल क्षणिक होते हैं और थोड़ा आनंदित कर छूमंतर हो जाते हैं और फिर शुरु हो जाता है असह्य पीड़ा का दौर। मनुष्य की पीड़ा को कमतर करने के लिए हमारे प्राच्य ग्रंथों में अनेक मार्ग सुझाए गये हैं। उसी में से एक है अपने मकान, घर एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान को कुछ नियमों का अनुपालन कर निर्मित करना तथा यदि वहां किसी प्रकार का दोष हो, तो उसका निवारण करना। वास्तु के संबंध में वेदों में चर्चा की गई है। अनुभव में ऐसा पाया गया है कि यदि घर, मकान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान वास्तु सम्मत बनाए जाते हैं तो उससे संबंधित सुखी एवं बेहतर जीवन का आधार डाॅ. मनोज कुमार, प्रधान संपादक सृयह बात साबित हो चुकी है कि वास्तु एवं फेंगशुई हमारे सुखी एवं बेहतर जीवन का आधार है। यदि प्रचुर संसाधन के बावजूद भी हमारे जीवन का कोई पक्ष पीड़ित है व्यक्ति जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि का अनुभव करते हैं। वास्तु के समान ही चीन में एक अलग पद्धति का विकास हुआ जिसे फेंगशुई के नाम से जाना जाता है। फेंगशुई के अंतर्गत पांच तत्वों के संतुलन का ध्यान रखा जाता है तथा इससे संबंधित कुछ सांकेतिक वस्तुओं का प्रयोग जीवन को बेहतर एवं समृद्ध बनाने के लिए किया जाता है। फेंगशुई से संबंधित वस्तुओं का प्रयोग हम वास्तु दोष के निवारण के लिए बहुतायत में करने लगे हैं। अनुभव में ऐसा पाया गया है कि यदि वास्तु एवं फेंगशुई के कुछ नियमों एवं सिद्धांतों का अनुपालन सम्मिलित रूप से किया जाय तो सुख, शांति, समृद्धि एवं सफलता हमारे कदम चूमती है। इस लेख में पाठकों की भलाई के लिए वास्तु एवं फेंगशुई के महत्वपूर्ण समन्वित सिद्धांतों की व्याख्या की गई है जिनका अनुपालन अत्यंत सरल एवं परिणाम अतीव समृद्धिदायक है। हम पहले वास्तु दोष के अहितकर परिणाम तथा तदुपरांत उन्हें ठीक करने के उपायों की चर्चा करेंगे: