फ्लैट का वास्तु विश्लेषण
फ्लैट का वास्तु विश्लेषण

फ्लैट का वास्तु विश्लेषण  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 1634 | फ़रवरी 2017

प्रश्नः- पंडित जी कृपया 17 वें फ्लोर पर स्थित ग्रीन वर्ज सिंगापुर के इस फ्लैट के नक्शे को देखकर बतायें कि क्या हम इसे खरीद सकते हैं। एस. सिन्हा, सिंगापुर उत्तरः- दिये गये नक्शे के अतिरिक्त हमने नक्शे को गूगल पर भी देखा और डेवलपर की वेबसाइट पर जाकर दिये गये नक्शे का भी विश्लेषण किया। - भवन के प्रवेश द्वार का अधिकतर भाग दक्षिण में है और थोड़ा सा भाग र्नैत्य भाग में है। ऐसे प्रवेश को हम अच्छा प्रवेश नहीं मानते क्यांेकि इसमें रहने वाले और मकान मालिक दोनों को धन हानि के अलावा शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। भवन का स्वामी किसी न किसी कारण घर से बाहर ही रहता है। - इन दोषों को दूर करने हेतु इस द्वार की दहलीज पर पीला पेंट करें और दहलीज की स्थापना करें। - लिविंग रूम पश्चिम/वायव्य दिशा में है जो अति उत्तम है। - दो शयन कक्ष उत्तर दिशा में और मुख्य शयन कक्ष ईशान दिशा में है।

जो शयन कक्ष उत्तर दिशा में है वह नवविवाहित दम्पत्ति के लिए अति उत्तम है। बाकी के दो कक्ष बच्चों के लिए, बड़ांे के लिए, मेहमानों के लिए, पढ़ाई के लिए, पूजा के लिए उत्तम हैं। - दोनों बाथरूम दक्षिण एवं आग्नेय दिशा में हैं जो कि एक उत्तम स्थिति है। - चूंकि रसोई अग्नि का स्थान है अतः दक्षिण में रसोई का होना अच्छा है। किचन, सर्विस यार्ड की स्थिति भी उत्तम है। अगर हो सके तो भोजन बनाते वक्त अपने मुख की दिशा दक्षिण और र्नैत्य दिशा की तरफ न करें। ऐसा करने से सर्वाइकल पेन और कंधों के दर्द की समस्या बनी रहती है। पूर्व, पश्चिम, आग्नेय या वायव्य दिशा की ओर मुख करके खाना बनाया जा सकता है। उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर मुँह करके खाना बनाने से बेवजह खर्च की अधिकता बनी रहती है। जल की स्थिति ईशान और उत्तर दिशा में अच्छी मानी जाती है। माइक्रो वास्तु के अनुसार दक्षिण, आग्नेय और र्नैत्य भाग में जल की स्थिति ठीक नहीं है। इन क्षेत्रों में पानी की स्थिति होने से परिवार के सदस्यों में अनावश्यक मतभेद बने रहते हैं।

- इस भवन मंे एक अन्य दोष यह है कि इसकी दक्षिण दिशा बढ़ी हुई है, जो कि एक अशुभ संकेत है। ऐसा होने से घर के खर्चे बढ़ते हैं और परिवार में बीमारी का वास रहता है। - इस भवन की आशाजनक स्थिति यह है कि पूर्व दिशा में इसका ईशान कोण बढ़ा हुआ है जिस कारण परिवार में चहुंमुखी विकास और धन की वृद्धि होती है। इसके कारण जो दक्षिण दिशा की भूमि की अशुभता है वह काफी हद तक दूर हो जाती है। निष्कर्षः- यह एक ऐसा भवन है जिसकी रसोई, सर्विस यार्ड, बेडरूम और लिविंग रूम अच्छी दिशाआंे में हैं, परन्तु दक्षिण दिशा की वृद्धि निराशाजनक है, जिसके कारण अनचाहे खर्चे और बीमारियाँ रहती हैं।

मुख्य द्वार का दक्षिण और र्नैत्य भाग में होना भी चिंता का विषय है क्यांेकि इससे परिवार के सदस्यों की मानसिक व शारीरिक सेहत और आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है। फिर भी हम वास्तु के प्राचीन ग्रंथ-मानसार तथा मयमतम के अनुसार द्वार पर दहलीज बनाकर, उसके नीचे चाँदी की पत्ती, पुष्कराज रखकर तथा ऊपर पीला पेंट करके, दरवाजे के फ्रेम में ऊपर लगा कर, तीन पिरामिड लगा कर, और संध्या व रात्रि के समय बाहर लाईट जला कर नकारात्मक ऊर्जा को काफी हद तक कम कर सकते हैं। पूर्व/ईशान भाग में जो वृद्धि है उससे भवन में अत्यंत शुभता बढ़ती है और उपरोक्त दोष कम होते हैं।

- सारांश में यह एक औसत भवन है जिसमें वास्तु सुधार करने के बाद इसे खरीदने/रहने लायक बनाया जा सकता है। प्रश्नः-पंडित जी नमस्कार। हमने अॅाटो पाटर््स की यह फैक्ट्री लगभग दो साल पहले बनाई थी। इसमें बेसमेन्ट कच्चे माल के स्टोर की तरह काम में लाया जा रहा है तथा प्रथम तल पर केवल पैकिंग व डिस्पैच का कार्य किया जाता है। इसमें शुरू से ही नुकसान हो रहा है। माल की गुणवत्ता के कारण वापसी व सामान की पेमेंट की समस्या बनी रहती है। मशीनों को भी बार-बार ठीक करना पड़ता है। कृपया सरल परन्तु कारगर समाधान बताने का कष्ट करें। ई.आनन्दन, ईरोड तमिलनाडु उत्तरः- प्रिय आनन्दन जी, यह एक अच्छी फैक्ट्री है। सामने वायव्य में मार्ग, पश्चिम से प्रवेश, पश्चिम/र्नैत्य में सीढ़ियाँ सब बहुत अच्छे हैं।

परन्तु दक्षिण-पश्चिम में स्पाॅट वेल्डिंग व दक्षिण में असेंबली के कारण काम के प्रवाह में रूकावट रहती है। प्लाॅट के आग्नेय कोण का बन्द होना एवं फरनेस व एम.ई.जी. वेल्डिंग मशीन का पानी के स्थान पर (उत्तर, उत्तर-पूर्व) स्थित होना मुख्य वास्तु दोष है। इस कारण माल व मशीनों में खराबी बनी रहती है। कृपया फरनेस व वेल्डिंग को कटर की जगह पूर्व, आग्नेय जोन मे लगायें, कटर को असेंबली की जगह दक्षिण में तथा असेंबली को उत्तर, ईशान में शिफ्ट करें। शौचालय को दो हिस्सों में बाँट दें। एक पिछले गेट के बायीं तरफ तथा दूसरा हिस्सा वर्तमान स्थान पर शौचालय को छोटा (लगभग आधा) करके जिससे कोना खाली हो सके, आप देखेंगे की तुरंत आश्र्चजनक लाभ होगा।

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