नेहरु परिवार की अब तक की परंपरा में कुल मिलाकर दाम्पत्य संबंधी श्रेष्ठ परिणाम दूर ही रहे हैं। हाल ही में एक लंबे अरसे के बाद 6 मार्च 2011 को वरुण-यामिनी का दाम्पत्य संबंध भविष्य में किस प्रकार व क्या क्या परिवर्तनों का आगाज करेगा, इसका एक सटीक ज्योतिषीय विश्लेषण प्रस्तुत है- नेहरु परिवार में आखिर एक लंबे अरसे बाद शहनाईयां बज ही गयीं। 6 मार्च 2011 को प्रातःकाल 7.30 बजे काशी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ इंदिरा गांधी के पौत्र एवं संजय व मेनका के पुत्र वरुण गांधी का कोलकाता की ब्राह्मण पुत्री यामिनी राय चैधरी के साथ विवाह हुआ।
विवाह जैसे पवित्र एवं महत्वपूर्ण संस्कार के विषय पर यदि इस परिवार का विवेचन किया जाय तो बड़े ही कष्टप्रद तथ्य प्राप्त होते हैं। इस परंपरागत दोष को समाप्त करने का कोई ज्योतिषीय उपाय करना चाहिए। पं. जवाहर लाल नेहरु का विवाह कमला नेहरु के साथ सन 1916 में हुआ। इनकी एक मात्र संतान रहीं इंदिरा गांधी। नेहरु जी एक धनी, प्रतिष्ठित परिवार से थे, किंतु गांधी जी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अनुगामी होकर घर-परिवार से दूर होते गए। पं. नेहरु एवं कमला जी को दाम्पत्य सुख का भी अभाव रहा और संतान सुख का भी।
इंन्दिरा जी ने 1942 में फिरोज से शादी की। इन्दिरा जी को दो संतानें प्राप्त हुई संजय एवं राजीव। किंतु दाम्पत्य सुख का अभाव रहा। कम आयु में फिरोज गांधी का स्वर्गवास हो गया। राजीव ने सोनिया के साथ 1968 में विवाह किया। इनके प्रियंका एवं राहुल दो संतानें हुई। कम आयु में ही ये आतंकवाद की भेंट चढ़ गये। 1974 में संजय ने मेनका के साथ शादी की। वरुण संतान के रूप में मिले किंतु विवाह के 5-6 वर्ष बाद ही ये दुर्घटनावश मृत्यु को प्राप्त हुए। 1997 में राजीव की बेटी प्रियंका ने राॅबर्ट के साथ शादी की और वरुण ने 2011 में विवाह कर लिया, फिर भी राहुल अभी कुंवारे हैं। कुल मिलाकर इस परिवार में दाम्पत्य विषय पर श्रेष्ठ परिणाम अब तक तो दूर ही रहे हैं।
वरुण गांधी की शादी के आगामी भविष्य पर ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं। 13 मार्च 1980 को तुला लग्न में जन्में वरुण गांधी की ग्रह स्थिति काफी कुछ स्थितियां स्पष्ट करती है। लग्नेश लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है। जो उन्हें सुंदर एवं आकर्षक रंग रूप प्रदान करता है। पंचम में बुधादित्य योग दिमागी योग्यता, प्रखरता प्रदान करता है। जहां तक दाम्पत्य विषयक बात है तो सप्तमेश मंगल पर गुरु एवं राहु का प्रभाव है। लग्नेश सप्तमस्थ है। लग्नेश-सप्तमेश एक दूसरे से नवम पंचम है। केवल राहु इनके सुख में बाधाकारक है किंतु सप्तमेश मित्र भाव में है। अतः मुझे नहीं लगता कि कोई बड़ा दुष्प्रभाव छोड़ पाएगा। एक महत्वपूर्ण बात और है कि इन्हें संतान सुख में कष्ट की स्थिति है। प्रथम गर्भ का अपरिपक्व अवस्था में नष्ट होने का ग्रह योग भी है।
अतः विवाह के उपरांत इस विषय पर पूर्ण एकाग्र रहें। विवाहकालिक लग्न पर विचार करें तो इस विषय पर हमें और अधिक सटीक विश्लेषणात्मक परिणाम प्राप्त होगें। वरुण गांधी एवं यामिनी राय चैधरी का पाणिग्रहण 06 मार्च 2011 को प्रातः 7.25 से 8.30 के मध्य काशी में संपन्न हुआ। इस दिन फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया, दिन रविवार था। एक सर्वश्रेष्ठ विवाह मुहूर्त। विवाह संस्कार के समय मीन लग्न उदित हो रहा था। लग्नेश पंचमेश, हंस एवं गजकेसरी योग निर्मित कर लग्न में ही विद्यमान है। पंचम भाव पर शुक्र की कृपा दृष्टि है। शनि देव वक्री होकर सप्तमस्थ है।
राहु दशम एवं केतु चतुर्थ में है। इस स्थिति के आधार ज्योतिषीय निष्कर्ष इन्हें शुभता की ओर ले जा रहा है। वक्री शनि के कुटिल प्रभावों को गुरु अपनी दृष्टि से न्यूनतम स्थिति में ले जा रहे हैं। लग्न का स्वभाव भी प्रेममय है। लग्नेश एवं पंचमेश भी ज्ञान, विवेक, धैर्य के प्रतीक हैं। विवाह के उपरांत इनका राजनैतिक जीवन निःसंदेह आगे बढ़ेगा। ज्योतिषीय विवेचन तो इन्हें वैवाहिक सुख में 90ः तक सफलता प्रदान करता है। हां संतान सुख के लिए उपाय परमावश्यक है।