दक्षिण में भूमिगत जल स्रोत महिलाओं के स्वास्थ्य हानि एवं अनचाहे खर्चों का कारण होता है:- कुछ दिन पूर्व पंडित जी, इलाहबाद (उत्तर प्रदेश) के एक व्यापारी के यहाँ वास्तु निरीक्षण करने गए। उनके घर में बातचीत के दौरान उनकी पत्नी ने बताया कि काफी समय से उनका स्वास्थ्य खराब है, मुख्यतः रीढ़ की हड्डी में बहुत दर्द रहता है, तथा उनकी बहु का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है।
उनके बेटे की शादी को भी काफी वर्ष हो गये हैं परन्तु उनके कोई संतान नहीं है। कुछ समय से व्यापार में भी भारी नुकसान हो रहा है जिसके कारण उनके पति व्यापारिक समस्याओं की वजह से बहुत व्यस्त रहते हैं तथा परिवार को समय नहीं दे पाते। घर में अनचाहे खर्चे लगातार बने रहते हैं। परिवार में वंशवृद्धि न होने के कारण एवं गंभीर आर्थिक समस्याओं की वजह से हर समय घर में मानसिक तनाव बना रहता है।
वास्तु निरीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोषः
1. दक्षिण-पश्चिम में मुख्यद्वार था जो कि घर के मालिक के लिए समस्याओं का कारण होता है। इससे आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं एवं मालिक घर से दूर रहता है।
2. दक्षिण में बोरिंग (भूमिगत जल स्त्रोत) एक गंभीर वास्तुदोष है जो कि महिलाओं के स्वास्थ्य हानि एवं अनचाहे खर्चों का कारण होता है।
3. रसोईघर में दक्षिण की तरफ मुख करके खाना बनाने से स्त्रियों को स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी विशेषतया सरवाईकल व हड्डियों में दर्द, कमर में दर्द आदि होता है। खाना बनाने वाले की पीठ की तरफ द्वार होने से भी कमर दर्द व कन्धों में दर्द आदि होता है।
4. उत्तर-पूर्व में शौचालय था और उत्तर पूर्व में ही स्टोर बना था जो कि वंश वृद्धि में बाधक होता है और घर में मानसिक तनाव बना रहता है।
5. उनके पुत्र का शयनकक्ष भी उत्तर-पूर्व में था जो कि संतान उत्पति में बाधक होता है।
6. दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम खुला होना एवं उत्तर, उत्तर-पूर्व का कोना बंद होना भी भारी खर्च एवं बीमारी का कारण होता है।
सुझाव :
1. दक्षिण-पश्चिम में बने मुख्यद्वार को दक्षिण की ओर स्थानांतरित करवाया गया।
2. दक्षिण में बनी बोरिंग को बंद करके गड्ढे को अच्छी तरह से बंद करवाया गया और पश्चिम में बनाने की सलाह दी गई क्योंकि उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व में जगह नहीं थी।
3. दक्षिण में रखी गैस को दक्षिण-पूर्व में करवाया एवं पूर्व में मुख करके खाना बनाने के लिये कहा। गैस के सामने पूर्व की तरफ शीशा लगवाया जिससे दरवाजा दिख सके और बार-बार पीछे मुड़ना न पडे।
4. उत्तर-पूर्व में बने शौचालय को पश्चिम में बैठक के साथ बनाने के लिये कहा। उत्तर-पूर्व के शौचालय की जगह हल्के सामान का स्टोर बनाने के लिये कहा एवं स्टोर की जगह मंदिर बनाने की सलाह दी गई।
5. उनके पुत्र के शयन कक्ष को उनके स्वयं के शयन कक्ष जो कि उत्तर, उत्तर-पश्चिम में था आपस में बदलने के लिये कहा गया।
6. दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम में आगे की तरफ शौचालय की सीध में कुछ हिस्सा प्लास्टिक शीट से कवर करने को कहा। पं. जी ने उन्हें ढाढ़स बंधाते हुये आश्वासन दिया कि सभी सुझावों के कार्यान्वित करने पर उनको अवश्य लाभ मिलेगा। -----------------------------
प्र0: पिछले कुछ सालों से मुझे व्यापार में काफी हानि हुई है। अब तो यह बंद होने के कगार पर है। पैसों की तंगी की वजह से मानसिक तनाव बहुत बढ़ गया है। कृप्या मेरे घर का नक्शा देखकर, वास्तु परामर्श दें। संजय अग्रवाल (लखनऊ)
उत्तर: आपके घर के उत्तर में सीढ़ियाँ एवं दक्षिण-पश्चिम में बोरिंग ही आपकी समस्याओं का मुख्य कारण है। उत्तर में सीढ़ियाँ धन का अवरोध करती हैं और पैसे टूट-टूट कर आते हैं। दक्षिण-पश्चिम में बोरिंग एक गंभीर वास्तु दोष है। दक्षिण-पश्चिम स्थिर लक्ष्मी का स्थान होता है। यहाँ बोरिंग के होने से धन का नाश एवं स्वास्थ्य हानि होती है।
कृप्या इसे बंद करवाएँ और गड्ढे को अच्छी तरह से भरवाएँ। बोरिंग घर के आगे के हिस्से में उत्तर-पूर्व, उत्तर या पूर्व में करवाना अति उत्तम होगा और घर में सुख-समृद्धि का वास रहेगा।
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