कुछ दिन पूर्व पंडित जी एक प्रतिष्ठित व्यापारी के बुलाने पर फरीदाबाद गये। वहां उन्होंने आर्किटेक्ट द्वारा बना अपने घर का प्रस्तावित नक्षा उन्हें दिखाया, जो कि वह अपने नए खरीदे प्लाॅट पर बनाना चाहते थे। नक्षा देखने के बाद पंडित जी नेे निम्नलिखित सुझाव दिए।
मुख्य दोष:
1. बिल्डिंग अनियमित आकार की बनाई हुई थी जिसका दक्षिण-पष्चिम भाग बढ़ा हुआ था जो कि घर के मालिक के स्वास्थय व आर्थिक समस्याओं का मुख्य कारण होता है।
2. प्लाॅट के दक्षिण-पूर्व के कोने में आॅफिस बनाया था जिससे वह कोना बंद हो गया। यह अग्नि से हानि, चोरी व मतभेद का कारण होता है।
3. प्लाॅट के उत्तर-पष्चिम, उत्तर में द्वार था जो कि मानसिक तनाव व धन हानि का कारण होता है।
4. उत्तर-पूर्व व उत्तर-पष्चिम के कोने कटे थे। यह वास्तु दोष सुखों में अभाव, विकास में बाधक तथा अपयष के कारण होते हैं। व्यावहारिक सुझाव
5. दक्षिण पूर्व के कोने को खोलने को कहा गया तथा वहां बने आॅफिस को बिना दीवार से जोड़े पूर्व में, जरुरत हो तो, दो मंजिला बनाने को कहा गया।
6. उत्तर-पूर्व व उत्तर में बने द्वारों को इस्तेमाल करने को कहा तथा उत्तर-पष्चिम का द्वार दीवार से बंद करने की सलाह दी।
7. दक्षिण-पष्चिम में बने स्टोर को बेडरुम की तरफ से दरवाजा बंद करने को तथा स्टोर का दरवाजा बाहर की तरफ से बनाने को कहा।
8. उत्तर-पूर्व तथा उत्तर-पष्चिम के कोनों को मेटल का परगोला बनाकर ठीक करने को कहा गया जिससे बिल्डिंग आयताकार हो सके। कुछ और सुझाव पंडित जी ने उपरोलिखित उपायों के अलावा उन्हें घर में सुख समृद्धि बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कुछ और सुझाव दिए।
9. उत्तर, उत्तर-पूर्व, पूर्व में बने खुले उद्यान में फव्वारे लगाने को कहा गया।
10. उत्तर, उत्तर-पूर्व तथा पूर्व में हल्के व छोटे पौधे क्यारियां आदि बनाकर तथा पीछे दक्षिण की ओर भारी गमले व बडे़ पौधे लगाने को कहा गया।
11. घर में षीषे व घडियां उत्तर-पूर्व, उत्तर या पूर्व की ओर लगाने की सलाह दी गई।
12. सभी कमरों में पलंग दक्षिण, पष्चिम या पूर्व में रखने को तथा पलंग के पीछे खिड़की/षीषा न हो इसका ध्यान रखने को कहा गया।
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