कुछ उपयोगी टोटके छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है। ब्रजवासी संत बाबा फतह सिंह हनुमान भक्त बाबा फतह सिंह (गुरु जी) घरेलू टोटकों के विषेषज्ञ हैं। इनके बताए टोटके अत्यंत फलदायी और अचूक होते हैं जिन्हें अपनाकर अनेकानेक श्रद्धालुओं ने लाभ प्राप्त किया है। बाबा में ऊपरी प्रभावों को दूर करन े व बध्ं ाना ंे आदि को खोलने की भी शक्ति है। श्रद्धालुजन सहायतार्थ यथासंभव 251/-, 1100/- रुपये की राशि श्री फतह सिंह के नाम कैनरा बैंक ;।ध्ब् . 0268101028287द्ध दिल्ली में प्रेषित कर उनसे अपनी समस्याओं के समाधान के उपाय की जानकारी फोन नं.: 9810813240 पर प्राप्त कर सकते हैं। रामचरित मानस द्वारा मंत्रोपचार करने हेतु निम्न चैपाइयों का पाठ करें। सहज स्वरूप दर्शन के लिए भगत बछल प्रभु कृपा निधाना। विस्ववास प्रगटे भगवाना।। ज्ञान प्राप्ति के लिए छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा।। भक्ति प्राप्त करने के लिए भगत कल्पतरू प्रनत हित कृपासिंध सुख धाम। सोई निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम।। श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये। सुमिरि पवन सुत पावन नामू। अपने वश करि राखे रामू।। मोक्ष प्राप्ति के लिए सत्यसन्ध छोड़े सर लच्छा। कालसर्प जनु चले सपच्छा। सीताराम जी के दर्शन के लिये नील सरोरूह नील मनि, नील नीरधर स्याम। लाजहिं तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम।। श्री रामचंद्र जी को वश में करने के लिए केहरि कटि पट पीतधर सुषमा सील निधान। देखि भानु कुल भूषनहि विसरा सखिन्ह अपान।। ईश्वर से अपराध क्षमा करने के थ्ल अनुचित बहुत कहेंउं अग्याता। छमहु क्षमा मंदिर दोउ माता।। विरक्ति के लिये भरत चरत करि नेमु तुलसी जे सादर सुनहिं। सीय राम पद प्रेमु अवसि होई भव रस विरति।। भगत्स्मरणा करते हुए आराम से मरने के लिए। रामचरन प्रद प्रीति करि बालि कीन्ह तनु त्याग। सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग।। प्रेम बढ़ाने के लिये। सव नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।। काल की रक्षा के लिये। मोरे हित हरि सम नहिं कोऊ। एहिं अवसर सहाय सोई होऊ निंदा से निवृत्ति के लिये। राम कृपा अबरेव सुधारी। बिबुध धरि भइ गुनद गोहारी।। विद्या प्राप्ति के लिये गुरु गृह पढन गये रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।। उत्सव होने के लिये सिय रघुवीर विवाहु जे सप्रेम गावहिं सुनहिं। तिन्ह कहुं सदा उछाहु मंगलायतम राम जसु।। कन्या को मनोवांछित वर के लिये जै जै जै गिरिराज किशोरी। जय महेश मुख चंद्र चकोरी।। यात्रा की सफलता के लिये प्रविसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कौसल पुर राजा।।