- मनोरोग: जिन व्यक्तियों को तनाव, अनिद्रा, अवसाद, मूच्र्छा, मिर्गी, पागलपन के दौरे, माइग्रेन आदि कोई भी मनोरोग हो वे गणेश रुद्राक्ष धारण कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। यह रुद्राक्ष चमत्कारी से कम नहीं, दुर्लभ है। शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार, त्रयोदशी, श्रावण, शिवरात्रि, सिद्ध योग में धारण कर सकते हैं। गंगा जल से स्वच्छ कर, चांदी की कटोरी या प्लेट में पूजा में रख कर, सिंदूर का टीका लगा कर, धूप-दीप-नैवेद्य, दूर्वा चढ़ा कर, मूंगे की माला से ¬ गं गणपतये नमः मंत्र का 1 माला जप कर, प्रणाम कर सोने की चेन में या काले धागे में धारण करें। श्रद्धा परम आवश्यक है। गणेश चतुर्थी पर भी धारण कर सकते हैं।
- भवन पर विपत्ति: यदि किसी भवन की छत का प्लास्टर अचानक गिर पड़े तो निश्चय ही उस भवन में कोई विपत्ति आने वाली होती है। अतः ऐसे में संयम बरतें। प्रतिदिन सुंदर कांड का पाठ शाम को करें। प्रतिदिन संभव नहीं हो तो मंगल और शनि को पाठ करें। सत्यनारायण कथा कराएं, अनिष्ट टल जाएगा।
- कांच टूटना: कभी अचानक यदि शीशा अकारण तड़क जाए, चीनी मिट्टी या कांच टूट जाए, समझिए वहां का संकट टल गया है। इस प्रकार की टूटी हुई वस्तु या शीशे को तुरंत फेंक देना चाहिए। भगवान के मंदिर में घी का दीप एक लौंग डाल कर जलाएं। नैवेद्य रखें, गुलाब या चंदन की अगरबत्ती जलाएं और सब मिलकर आरती गाएं।
- आग लगना: यदि घर में किसी उत्सव के दिन अचानक आग लग जाए तो उस घर के निवासियों के लिए आने वाला वर्ष कष्टों से भरा होने की सूचना है। ऐसे समय में घर में सुंदर कांड या रामायण पाठ रखें, मित्रों, संबंधियों के साथ मिल कर पाठ करें, मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं। अपनी रोटी के हिस्से में से पक्षी, कुत्ते और गाय को भी दें। हर पूर्णमासी सत्यनारायण व्रत करें, कथा करें। कष्ट टल जाएंगे।
- कौओं का अस्थि गिराना: घर के आंगन में कौआ यदि कोई अस्थि का टुकड़ा गिराता है तो वहां चोरी होती है या अन्य किसी प्रकार के अमंगल होने की सूचना प्राप्त होती है। ऐसे में प्रतिदिन कौओं को बूंदी का लड्डू तोड़कर खाने को डालें। तुलसी का पौधा हो तो शाम को उसके सम्मुख घी का दीपक जलाएं, ‘मंगल ही मंगल हो’ की कामना करें।
- गधों का जमाव: जिस भवन के निर्माण के समय गधे वहां घूमें या लोट लगावें, वहां पर रहने वाले फलते-फूलते नहीं, क्लेश, अशांति का ही राज्य रहता है। यह सब अशुभ है। ऐसे में ध्यान रखना चाहिए कि वे नजर न आएं। पहले उन्हें भगाने का प्रयत्न रहना चाहिए। देव दर्शन करके आएं, पीपल पर जल चढ़ा कर आएं, रविवार को छोड़ कर, फूल माला देव को चढ़ा कर आएं, तब भवन निर्माण स्थल पर जाएं। कार्य सिद्ध होगा।
- बिच्छुओं का निकलना: जिस घर में होकर बिच्छू कतार बना कर बाहर की ओर जाते दिखाई दें, ऐसा माना जाता है कि वहां से लक्ष्मी जाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में अष्टमी के दिन कन्याओं को हलवा-पूरी खिलाएं, पूजन करें। शुक्रवार को महालक्ष्मी पूजन करें। चावल की ढेरी बना कर उस पर रख कर दीपक जलाएं, अगले दिन चावल पक्षियों को चुगा दें। चावल साबुत होने चाहिए।
- वास्तु दोष: यदि कोई नंगे पांव अपने घर की तीन या सात परिक्रमा नित्य करे तो उस घर के समस्त वास्तु दोषों का शमन हो जाता है। वह घर घर न होकर एक मंदिर हो जाता है। उसमें रहने वालों को शांति, उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य के साथ-साथ समृद्धि भी प्राप्त होती है। परिक्रमा करते वक्त मौन रहना चाहिए। परिक्रमा घड़ी की तरह करनी चाहिए। यह परिक्रमा नित्य प्रातः करनी चाहिए। शुक्ल पक्ष के रविवार से शुरु करें।
- पति द्वारा पैसा न देना: कई बार ऐसा होता है कि अच्छा समृद्ध पति होते हुए भी पत्नी अर्थ से तंग रहती है। खर्चे इतने होते हैं पर पति पत्नी को पैसा नहीं देता। ऐसे में धैर्य न खोएं, श्रद्धा रखें। घर में कुबेर यंत्र स्थापित करें, पूजा करें। श्रीयंत्र की चांदी की शुद्ध प्राण प्रतिष्ठित अंगूठी, बाएं हाथ में पहनें या अपने बटुए में रखें। कभी आपको पैसे से तंग नहीं होना पडे़गा। आपका पर्स कभी पैसे से खाली नहीं होगा।