छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है।
सभी विघ्नों से छुटकारा पाने हेतु
मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर उनकी प्रतिभा को चमेली के तेल से मालिस करें तथा हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। बाएं पैर पर एक मुट्ठी सावुत काली उड़द एक नारियल जटावाला लाल कपड़े में लपेटकर एक लाल लंगोटे, व ग्यारह रूपये की भेंट हनुमान जी के चरणों में अर्पण करते हुए 11 बार यह बोलें कि-
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
यह क्रम 11 मंगलवार तक करें। बड़े से बड़े संकट से छुटकारा मिल जाता है।
टिप्पणी: चोला हर मंगलवार न चढ़ाएं। केवल मंदिर में आकर बूंदी का प्रसाद चढ़ावें तथा 12 बार उपरोक्त चैपाई बोलकर प्रार्थना करें।
यदि जुआरी हस्त नक्षत्र में इतवार के दिन (पवार) की जड़ जिसको चकवंड भी कहते हैं यदि इसे हाथ में धारण करके जुआ खेले तो कभी हारेगा नहीं, सदा विजय मिलती रहेगी।
पुराने बुजुर्गों का मानना है कि मरे हुए बंदर की नौ अंगुल की हड्डी लेकर उसको धूप दीप से पूजन करके गांव की सीमा में गाड़ दिया जाय तो गांव पर कभी विपत्ति नहीं आती है। यह बजरंग बली का आशीर्वाद है।
कुष्ठ रोग का उपाय:
देवदारू का तेल सिंदूर में मिलाकर जहां पर रोग का प्रभाव है, उस स्थान पर लेप कर दें, धीरे-धीरे इससे लाभ होने लगेगा। यह औषधि चर्म रोग व क्षय रोग में भी लाभ करती है।
पुत्र प्राप्ति हेतु बूटी:
यह बूटी अंधाहुली और ब्राह्मी बूटी है। यह दोनों अलग-अलग हैं। इन दोनों को छाया में सुखाकर एवं कूट-पीस कर इसका बारीक पाउडर बना लें और जो मात्रा इनकी है उससे दुगनी चीनी पीसकर इस में मिला दें। इसका सेवन प्रातः सायं 3-3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध से करें। यह तभी सेवन करना चाहिए जब मासिक धर्म से निवत्त हो जाएं। केवल तीन दिन तक ही इसका सेवन करें पूर्ण रूपेण यह प्रयोग करकेे देखा गया है। इससे अवश्य संतान उत्पन्न हो जाती हैं। यदि पहली वार में सफलता नहीं मिलती है तो निराश न हों, फिर दूसरे महीने में यही विधि अपनाकर उसी तरह से लें जिस प्रकार पहले प्रयोग किया था। अवश्य संतान का योग बनता है। इसमें सफलता न मिलने पर पुनः-पुनः यह क्रिया करें।
जिनको उपरी बाधा होती है, उन्हें अचानक भय सा प्रतीत होने लगता है। वह अशोक वृक्ष के 5 पत्ते सदैव अपने पास में रखने से भय लगना बंद हो जाता है। पत्ते बदल-बदल कर जिन्हें यह बाधा है रखते हैं।
शत्रु पर विजय हेतु उपाय:
पुष्य नक्षत्र में लाई गई चमेली की जड़ को किसी यंत्र में भरकर धारण करने से शत्रु उनका बाल भी बांका नहीं कर सकेगा।