न्यूयार्क में रहने वाले एक व्यवसायी के कहने पर अभी कुछ समय पहले पंडित जी गुडगांव की उनकी एक गारमेन्ट फैक्ट्री को देखने गये। व्यवसायी की और भी कई कंपनियां हैं जो बढ़िया चल रही हैं परन्तु इस नई फैक्ट्री में मनचाही ग्रोथ नहीं हो पा रही है। इसके बनने के बाद उनका भारत आना भी कम हो गया है।
फैक्ट्री के पिछले हिस्से में बहुत दिनों से वे आई0 टी0 पार्क बनाना चाह रहे थे लेकिन कोई न कोई अड़चन, पैसे की कमी, लाइसेंस इत्यादि के कारण यह प्रोजेक्ट टलता ही जा रहा था। पं. जी के पूछने पर उनके जनरल मैनेजर ने बताया कि दक्षिणी दिशा में बने कैन्टीन के शेड डालने के बाद से काम बहुत कम हो गया है तथा समस्याएं ज्यादा बढ़ गई हैं।
वास्तु निरीक्षण के समय पाये गये दोष :
- मंदिर के कारण ईशान कोण बन्द हो गया था जो धन के प्रवाह को रोकने तथा मानसिक तनाव को बढ़ाने का कार्य करता है। इसके साथ ही भारी स्टोर भी पेमेन्ट के टूट-टूट कर आने का कारण बनता है।
- वायव्य कोण का बन्द होना भी आपसी सामंजस्य की कमी व धन हानि का कारण होता है।
- प्लाॅट के पूर्व व दक्षिण में सड़कंे थीं। एक गेट दक्षिण-पश्चिम में था तथा एक उत्तर-पूर्व में। पं. जी ने बताया कि दक्षिण में खुला स्थान भारी खर्च, हर काम में विघ्न बाधा व आय में कमी देता है। नैर्ऋत्य में गेट का होना भी अनचाहे खर्चे, कानूनी समस्याओं तथा मालिक को बाहर रखने का कार्य करता है।
सुझाव :
- उत्तर-पूर्व के कमरे को गिरा देना चाहिए। अधिकतम धन प्रवाह व चहुंमुखी विकास के लिये वहां फव्वारे बनाने चाहिए।
- ईशान कोण के कमरे में रखी मूर्तियों को बगल वाले कमरे में पूर्व की दीवार पर हल्के लकड़ी का स्लैब डालकर पुनः स्थापित कर देना चाहिए।
- दक्षिण में कैन्टीन की ऊंचाई कम होने से फैक्ट्री पूर्णतया काम नहीं कर पाती है उसे मुख्य बिल्डिंग से अलग कर देना चाहिए। फैक्ट्री के दक्षिण में चार फुट उंची दीवार बनाकर पिछले हिस्से को अलग कर देना चाहिए। इससे उसमें भी जल्द काम शुरु होगा तथा चलती फैक्ट्री ज्यादा चलेगी।
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