तंत्र के लगभग 501 ग्रंथों में तंत्र शास्त्र की कुल 18 सिद्ध विद्याओं का वर्णन दिया गया है जिनमें 10 महाविद्याएं बताई गई हैं। कौन सा जातक किस महाविद्या की साधना करे, यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है। आज के इस भौतिकतावादी युग में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम समय में हर कार्य करना चाहता है चाहे वह साधन जैसा दुष्कर एवं महान कार्य ही क्यो ना हो। यहां यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि महाविद्या उपासना के अनुसार आप जिस महाविद्या की साधना-उपासना करें, नवदुर्गा क्रम में उसी से संबंधित देवी की भी आप पूजा उपासना कर सकते हैं। इसमें भ्रम ना हो, इसीलिए यहां तालिका में महाविद्या तथा उनके साथ पूजा के लिये नवदुर्गा के अभीष्ट रूप दोनों का विवरण है। जहां तक व्रत का प्रश्न है, मेष, वृषभ, कर्क, कन्या, कुंभ व मीन राशिवालों को नवमी का तथा मिथुन, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु एवं मकर राशि वालों को अष्टमी का व्रत करना चाहिए।
राशि महाविद्या नवदुर्गा
1. मेष तारा शैलपुत्री
2. वृषभ त्रिपुर सुंदरी ब्रह्मचारिणी
3. मिथुन भुवनेश्वरी चंद्रघंटा
4. कर्क कमला सिद्धिदात्री
5. सिंह बगलामुखी कालरात्रि
6. कन्या भुवनेश्वरी चंद्रघंटा
7. तुला त्रिपुर सुंदरी ब्रह्मचारिणी
8. वृश्चिक तारा शैलपुत्री
9. धनु कमला सिद्धिदात्री
10. मकर काली सिद्धिदात्री
11. कुंभ काली सिद्धिदात्री
12. मीन कमला सिद्धिदात्री