तक्षक तीर्थ संपूर्ण सर्प जाति के स्वामी का स्थान होने के कारण काल सर्प योग, राहु की महादशा, नाग दोष से मुक्ति दायक तीर्थ कहलाता है। इस स्थान पर काल सर्प योग निवारण हेतु किए जाने वाले अनुष्ठान दोष निवारक होते हैं। एक पौराणिक आख्यान में तक्षक तीर्थ के माहात्म्य का वर्णन करते कहा गया है
कि इस चराचर जगत में यह पंचमुखों में से पंच तत्व की सत्यता को प्रमाणित कर रहा है। नाग तीर्थ जो जाता है, पृथ्वी पर ख्याति अर्जित करता है। संपूर्ण सर्प जाति के स्वामी का स्थान होने के कारण इसे नाग तीर्थ भी कहा जाता है।
काल सर्प योग की शांति वैसे तो अनेक स्थानों पर होती है जैसे आंध्र प्रदेश में काल हस्ती, इलाहाबाद में तक्षक तीर्थ आदि। मगर इन सब स्थानों में तक्षक तीर्थ पर पूजा अर्चना व इसकी शंाति का अति विशेष महत्व है। अवतरित प्रयाग माहात्मय के 82 वें अध्याय में कहा गया है;
सर्वेस्यां शुक्ल पंचम्यां मार्गशीर्ष श्रावण्यों परं या स्नात्वा तक्षके कुण्डें विषवाधानः तत्कुले। तत्कुर्तीत स्नानदान् अपादिक तक्षकेश्वर पूजायं धनवान्स भवेत्सदा।। अर्थात सभी मासों की शुक्ल पक्ष की पंचमी, विशेषकर मार्ग शीर्ष और श्रावण मास की पंचमी, को तक्षक कुंड में स्नान कर तक्षकेश्वर के पूजन, दान, जपादि करने से कुल विष बाधा से तो मुक्त होता ही है, साथ ही धनवान और सांसारिक सुखों को भी प्राप्त करता है।
काल सर्प योग, राहु की महादशा, नागदोष से मुक्तिप्रदाता अतः काल सर्प योग की विशेष शांति के लिये तक्षक तीर्थ प्रयागराज (इलाहाबाद) में इसकी पूजा अर्चना करनी चाहिए ताकि इस प्रकार के शापित योग वाला जातक इस योग के दुष्परिणाम से बचकर जीवन में उन्नति और लाभ पाकर जीवन यापन कर सके। काल सर्प योग शांति तक्षक तीर्थ में ही क्यों?
- यह स्थान संपूर्ण सर्पजाति के स्वामी तक्षक का स्थान है।
- पौराणिक आख्यान इसकी पुष्टि करते हैं।
- तक्षक कलियुग के प्रमुख देवता हैं।
- तक्षक सांसारिक मोहमाया के प्रदाता हैं।
- सतयुग में शेषनाग, त्रेता में अनंतनाग, द्वापर में वासुकि और कलियुग में तक्षक प्रमुख हैं।
- तक्षक तीर्थ दर्शन मात्र से कुल विष बाधा से मुक्त होता है।