मनुष्य के केष भी बहुत कुछ ब¨लते हैं। पं. आषेष समर पाठक हाथों की तरह ही केष भी जातक के अतीत, भविष्य और वर्तमान के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। शरीर के अलग-अलग अंगों पर स्थित केषों के विष्लेषण से उसके भाग्य की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जातक के किस स्थान के केषों का उसे क्या फल मिलेगा इसका एक विष्लेषण यहां प्रस्तुत है। सर्वप्रथम स्त्री के केषों पर विचार करते हैं। स्त्रियों में असामान्य रूप से केषों का ह¨ना शुभ नहीं माना जाता है। सामान्य रूप से उगे केष सुंदर होने के साथ-साथ शुभ फलप्रदाता भी होते हंै। किसी स्त्री के हाथ¨ं और पैर¨ं पर, या फिर पीठ पर उगे केष उसके दाम्पत्य सुख में कमी या वैधव्य य¨ग के सूचक होते हैं। गले पर असामान्य रूप से केष या र¨म ह¨ं, त¨ 45 वर्ष की उम्र के बाद पति का साथ छूटने या पति विछोह की प्रबल संभावना रहती है। यदि चेहरा र¨म से भरा ह¨, त¨ जीवन संघर्षमय ह¨ता है और आर्थिक स्थिति दयनीय रहती है। पैर¨ं में र¨म या केष का ह¨ना पुत्र-सुख या संतान-सुख से वंचित रहने का य¨ग बनाता है। सिर के बाल कमर से नीचे तक ह¨ं, त¨ आर्थिक स्थिति कमज¨र ह¨ने के साथ-साथ पारिवारिक कलह की संभावना रहती है। ठुड्डी पर केष ह¨ त¨ जीवन निराषामय रहता है और परिवार से उपेक्षा मिालती है। नाक के नीचे अ©र ह¨ठ के ऊपर कोई बड़ा र¨म ह¨, त¨ पति की उपेक्षा मिलती है। कान¨ं पर एवं पीठ पर केष का ह¨ना विधवा का य¨ग बनाता है। कमर पर र¨म या केष भी वैधव्य-य¨ग का सूचक है। भुजाअ¨ं पर केष या र¨म ह¨ त¨ स्त्री पति सुख से वंचित रह जाती है या स©तन का दंष सहना पड़ता है। शरीर पर र¨म की पंक्तियां एक सीध में न ह¨ कर टेढ़ी-मेढ़ी ह¨ं त¨ पति का साथ कम उम्र में ही छूट जाता है। पसलिय¨ं पर केष ह¨ त¨ स्वभाव में कटुता के साथ-साथ ईष्र्या की भावना प्रबल रहती है। ऐसी स्त्रियां दूसर¨ं का भला कम ही स¨चती हैं। स्त्रियों में केषजन्य उक्त सारे द¨ष प्रकृतिप्रदत्त हैं किंततु किसी केष विषेषज्ञ से परमार्ष लेकर उसके अनुरूप उपाय कर इनसे मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। जिस स्त्री की पलकें छ¨टी अ©र घनी होती हैं वह भाग्यषाली होती है। वह अपने भाग्य से जीवन का हर सुख प्राप्त करती है। उसका विवाह धनी व्यक्ति से ह¨ता है। भ©ंहें कमानीदार ह¨ं अ©र सिर के बाल काले अ©र बिना मुड़े नीचे की अ¨र जाएं त¨ स्त्री सब के लिए शुभ ह¨ती है। जिस घर में उसका विवाह होता है, उसकी उन्नति निष्चित रूप से होती है। सिर के केष मुलायम, हल्के घने एवं हल्के लाल ह¨ं, त¨ वह सरल, दयावती एवं निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वाली ह¨ती है। सिर के केष काले, घने एवं घुंघराले ह¨ं त¨ वह किसी पर जल्द विष्वास नहीं करती और अपने मन की बात किसी क¨ नहीं बताती। उसे क्र¨ध जल्द आता है। सिर के बाल काले ह¨ं अ©र ललाट का बहुत भाग बाल¨ं से घिरा ह¨ या र¨मयुक्त ह¨, त¨ वह स्वाभिमानी एवं तर्क करने वाली ह¨ती है और सर्वत्र अपनी बात मनवाने का प्रयास करती है। जिन स्त्रियों के केष चित्र 2 के अनुरूप होते हैं, वे आर्थिक समस्या से ग्रस्त रहती हैं। उन्हें कभी-कभी दाम्पत्य सुख में कमी का सामना करना पड़ता है, किंतु अपने धैर्य और साहस से वे प्रतिकूल परिस्थिति क¨ भी अपने अनुकूल बना लेती हैं। जिन स्त्रियों के केष चित्र 3 के अनुरूप हों, वे अपने परिश्रम, लगन एवं समझदारी के सहारे आगे बढती हैं। शारीरिक रूप से कमजोर होने के बावजूद वे शारीरिक परश्रिम करने से पीछे नहीं हटतीं। जिनके केष चित्र 4 के अनुरूप हों, वे कर्मठ, मितव्ययी एवं लगनषील ह¨ती हैं। वे स्वयं न©करी करती हैं या उनके नाम से व्यवसाय ह¨ता है। वे अपने परिश्रम एवं अपने भाग्य के बल पर उन्नत्ति करती हैं। उनका स¨च आषावादी होता है और वे दूसर¨ं के आगे बढ़ने में उनकी सहायता करती हैं। चित्र 1 के अनुरूप जिनकी भ©ंहें अंदर की अ¨र हल्की म¨टी एवं बाहर की अ¨र पतली ह¨ं, वे किसी भी कार्य के प्रति गंभीर नहीं होतीं और इसीलिए अक्सर असफल रहती हैं। वैसे प्रतिकूल परिस्थितिय¨ं में भी उनके ह¨ठ¨ं पर हंसी ह¨ती है। उनका स्वभाव मिलनसार ह¨ता है। उन्हें उनकी 40 वर्ष की उम्र के बाद कार्यों में सफलता मिलती है। जिन स्त्रियों की भौंहें चित्र 2 के अनुरूप अंदर की अ¨र म¨टी एवं बाहर की अ¨र पतली ह¨ं तथा बाहर से कमानी की तरह मुड़ी ह¨ं, जल्द निराष ह¨ जाती हैं। दूसर¨ं के प्रभाव में भी जल्द आ जाती हैं। कठिन परिश्रम के बावजूद उन्हें सफलताा नहीं मिल पाती। उनमें निर्णय क्षमता का अभाव होता है। चित्र 3 के अनुसार जिनकी भ©ंहें अंदर अ©र बाहर की अ¨र कम म¨टी, पतली एवं ग¨लाकार मुड़ी ह¨ं, वे समझदार एवं स¨च समझकर निर्णय लेने वाली ह¨ती हैं। स्वयं समाज में अपने व्यक्तित्व क¨ स्थापित करती हैं। उनका जीवन सफल होता है। जिनकी भौंहें चित्र 4 के अनुरूप एक समान बराबर, घनी, टेढ़ी अ©र सामान्य ह¨ं, केवल बाहर की अ¨र थ¨डी पतली ह¨ं वे भावुक एवं छ¨टी-छ¨टी बातों से जल्द प्रभावित ह¨ती हैं। वे क्र¨ध् ा में दूसर¨ं के बदले अपना नुकसान कर बैठती हैं। आइए, अब पुरुष¨ं के केषों और रोमों का विष्लेषण करें। जिन पुरुष¨ं की छाती पर अधिक बाल ह¨ं, वे अत्यंत भाग्यषाली होते हैं, किंतु निडर नहीं ह¨ते। समस्याअ¨ं का सामना करना उनके वष में नहीं ह¨ता। जिनकी पीठ पर घने केष रोम ह¨ं, वे निडर अ©र समस्याअ¨ं से लड़ने वाले ह¨ते हैं। जिनकी द¨न¨ं भुजाअ¨ं पर केष घने अ©र घुंघराले ह¨ं, वे समयानुसार लाभ उठाने में अग्रसर रहते हैं। यदि कान¨ं पर केष या रोम ह¨ं, कर्मठ ह¨ते हैं अ©र अपने भविष्य के प्रति गंभीर होते हैं। उनका स्वभाव भी समयानुसार बदलता रहता है। इसलिए उनके स्वभाव का पता लगाना कठिन ह¨ता है। जिनके सर के केष घुंघराले, ़घने एवं हल्के लाल ह¨ं, वे स्वार्थ क¨ महत्त्व देते हैं और स्वार्थ की पूर्ति के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जिनके सिर के बाल काले अ©र घुंघराले ह¨ं, वे अपने काम से मतलब रखते हैं। वे दूसर¨ं के काम में क¨ई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। जिनके सिर के मध्य भाग के केष उड़े होते हैं, उनकी आय अच्छी होती है। आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव के बावजूद वे सफलता की राह में अग्रसर रहते हैं। जिस व्यक्ति की भ©ंहें घनी अ©र एक दूसरे से जुड़ी ह¨ं, वह झगड़ालू, हर बात पर तर्क करने वाला और संदेही होता है। उसे किसी पर जल्द विष्वास नहीं ह¨ता। निष्कर्ष यह कि हाथ की रेखाओं की तरह ही किसी व्यक्ति के केषों और रोमों का विष्लेषण कर उसके व्यक्तित्व और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है। यदि ये केष उसके प्रतिकूल हों, तो उसे उसके भविष्य के प्रति सतर्क किया जा सकता है।