-आयात-निर्यात से संबंधित व्यापारी लाभ के लिए, सोमवार के दिन प्रातः शुद्ध चांदी की अंगूठी, जिस पर ‘श्री’ अंकित हो, दायें हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें व अंगूठी पहले शुद्ध और प्राण प्रतिष्ठित अवश्य करवा लें। उक्त मंत्र से ग्यारह बार प्रातः/सांय खड़े होकर लक्ष्मी के ‘ऊँ धनाय नमः’ मंत्र का जप करें। चमत्कारी लाभ होगा।
- शिक्षा में रुकावटें दूर करने के लिए क्रिस्टल से बने कछुए का उपयोग प्रमुख होता है ेइस कछुए को सामने रखकर पढ़ना चाहिए। इससे बुद्धि तीव्र व मन की एकाग्रता होती है। पढ़ाई की टेबल उŸार-पूर्व दिशा में रखें। सभी विघ्न-बाधाएं दूर हो जायेंगी। प्रतिदिन प्रातः/सांय ‘ऊँ प्रभवे नमः’ मंत्र का ग्यारह बार जप करें।
- धन की वृद्धि हेतु पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क की जड़ लाएं तथा विधिपूर्वक उसका पूजन करें। ‘ऊँ लक्ष्मी नमो नमः’ मंत्र का ग्यारह बार जप करें। इस जड़ को दाहिने हाथ की कलाई में धारण करें। यह क्रिया करने से चमत्कारी लाभ होने लगेगा।
- रवि-पुष्य के दिन बहेड़ा की जड़ और पŸाों को लाकर धूप के साथ ‘‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः’’ मंत्र का 11 बार जप करंे। फिर इन्हें लाल कपड़े में रखकर धूप देकर तिजोरी की उक्त मंत्र से पूजा करें। विशेष लाभ होगा।
- दुकान में बिक्री वृद्धि हेतु शनिवार के दिन सांयकाल अपने हाथ में एक सुपारी तथा तांबे का सिक्का ले जाकर पीपल वृक्ष के नीचे रख आयें और रविवार को उसी वृक्ष का एक पŸाा लाकर अपनी गद्दी के नीचे रखें। इस तरह ऊँ लक्ष्मी नारायण नमो नमः मंत्र को ग्यारह बार पढ़कर लक्ष्मी को धूप दें व पŸो को भी यही मंत्र जप करके गंगाजल छिड़ककर गद्दी पर बैठ जायें। ग्राहकों की संख्या में अपार वृद्धि हो जायेगी।
- तनाव दूर करने के लिए रात्रि में सोते समय पूर्व की ओर सिरहाना रखें। सवा पांच रŸाी का पन्ना चांदी की अंगूठी में जड़वा कर शुभ मुहूर्त में अनामिका उंगली में धारण करें तथा अपने काम काज की जगह पर दो किलो फिटकरी किसी चीनी मिट्टी की प्लेट में खुली रखें। विशेष उपाय के तौर पर तीन किलो नमक एक लाल मटकी में अच्छी तरह सहेज कर अपने बैड रूम में रखें। घर की सभी बाधाएं व जीवन का सारा तनाव समाप्त हो जायेगा। विशेष मंत्र ऊँ रामदूताय नमः का ग्यारह बार जप करें।
- यदि घर से बाहर दरिया पार जाना हो व संतान व गृहस्थी भी साथ हो तथा दो चार महीने घर से बाहर रहना हो तो जाते समय दरिया में तांबे के पैसे डालते जायें। इससे आपकी सभी संकटों से तथा बुरी आत्माओं से रक्षा होगी। प्रातः/सांय ‘ऊँ शाकिनी डाकिनी यक्ष रक्षो भूत प्रभंजकाय नमः’ मंत्र का जप करते जायें।