रामचरित मानस द्वारा मंत्रोपचार करने हेतु निम्न चैपाइयों का पाठ करें।
- जीविका प्राप्ति के लिये विस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।
- दरिद्रता दूर करने के लिये अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद द्वारिके।
- लक्ष्मी प्राप्ति करने के लिये जिमि सरिता सागद महुं नाहीं। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।। तिमि सुख सम्पति विनहिं बोलाएं। धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं।।
- पुत्र प्राप्ति के लिए प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
- सम्पत्ति प्राप्ति के लिये। जे सकाम न सुनहिं जे गावहिं। सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं।।
- ऋद्धि सिद्धि प्राप्त करने के लिये साधक नाम जपहिं लय लाएं। होंहि सिद्ध अनि मादक पाएं।।
- परीक्षा में पास होने के लिये जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कवि उर अजिर नवावहिं बानी।। मोरि सुधारिहि सो सब भांती। जासुकृपा नहिं कृपा अघाती।।
- आकर्षण के लिये जेहि के जेहिं पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु सन्देहू।।
- स्नान से पुण्य लाभ के लिये राम कृपा अवरेव सुधारी। बिबुध धारि भइ गुनद गोहारी।।
- खोई हुई वस्तु पुनः प्राप्त करने के लिये। गई बहोर गरीब नेबाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
- सर्वसुख प्राप्त करने के लिए सुनहिं बिमुक्त विरत अरू विषई। चहहिं भगति गति संपत्ति नई।।
- मनोरथ सिद्धि के लिये भव भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर और नारि। तिन कर सकल मनोरथ सिद्ध करहिं त्रिसिरारि।।
- कुशल क्षेम के लिये भुवन चारिदस भरा उछाहू। जनकसुता रघुवीर विग्प्राहू - मुकदमा जीतने के लिये पवन तनय बल पवन समाना। बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।।
- शत्रु के सामने जाना हो उस समय के लिये कर सारंग साजि कटि माथा। अरि दल दलन चले रघुनाथा - शत्रुता नाश के लिये बयरू न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।
- शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिये तेहि अवसर सुनि सिव धनु भंगा। आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।।
- विवाह के लिये तब जनक पाइ बसिष्ठ आयसु व्याह साज सवांरिके। मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुंअरि लई हवनाति के ।।