किसी रोग से ग्रसित होने पर - सोते समय सिरहाना पूर्व की ओर रखें। शयन कक्ष में एक मध्य आकार के कटोरे में सेंधा नमक के टुकड़े रखें। साथ ही चार रŸाी का सुनैला चांदी की अंगूठी में जड़वाकर गुरुवार को शुक्ल पक्ष में दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली में धारण करें। व्यापार वृद्धि हेतु - इस प्रयोग को शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार को प्रारंभ करें। सबसे पहले साधक ब्रह्म मुहूर्त में शय्या त्यागकर दैनिक नित्य कार्यों से निवृŸा हो घर पर व्यापार स्थल के उŸारी कोण में गंगा जल से धोकर पवित्र करें। उस पर शुद्ध पिसी हल्दी जिसमें मिर्चादि का अंश न हो, लेकर एक सुंदर स्वस्तिक बनाएं। स्वस्तिक में चार बिदियां अवश्य हों, स्वस्तिक के मध्य भाग में चने की दाल 50 ग्राम तथा 50 ग्राम गुड़ रखकर आवश्यक हो तो एक नई टोकरी से ढंक दें या ऐसे ही खुला छोड़ दें।
इसे बार-बार न देखें। प्रत्येक गुरुवार को इस क्रिया को करें तथा अशुद्ध स्त्री की छाया से इसको बचाए रखें। - जिस वृक्ष पर चमगादड़ रहते हों, उस वृक्ष की एक टहनी रवि-पुष्य या गुरु-पुष्य योग में लाकर गद्दी के नीचे दबा दें। विधि यह है कि टहनी लाने के एक दिन पूर्व, संध्या के समय उस वृक्ष की पूजा प्रदक्षिणा कर जिस टहनी को लाना हो, उस पर रक्षा सूत्र (मौली) बांध दें तथा चावलों से उसे निमंत्रण देते हुए यह कहें कि ‘हे वनस्पति देवी, मैं कल प्रातः आपको लेने आऊंगा।
आप अपने संपूर्ण बल से युक्त रहें तथा आपका तेज आपसे पृथक न हो,’ ऐसा कहकर वापस आ जाएं तथा पुनः दूसरे दिन सूर्योदय के समय जब पुष्य नक्षत्र हो, नहा धोकर वह टहनी ले आयें तथा धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा कर व्यापार स्थल में गद्दी के नीचे रखें। गद्दी के नीचे रखते समय ‘मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा।।’ मंत्र का 21 बार उच्चारण करना पर्याप्त रहता है। आराम से सोने के लिए - कभी-कभी ऐसा देखा गया है कि बच्चा हो या स्त्री पुरुष, सोते समय वह अचानक चैंक जाते हैं अथवा डर जाते हैं।
इससे छुटकारा पाने के लिए अपने सिरहाने में एक फिटकरी का टुकड़ा रख दें, तो इस समस्या से छुटकारा मिल जायेगा। तांत्रिक अभिचार से बचने हेतु - हजारदाना नामक एकदम छोटा-सा लहसुन के आकार का कंद होता है। यह एक दुर्लभ वनस्पति है। इसकी एक कली ही तोड़ने पर सैकड़ों की तादाद में अत्यंत सूक्ष्म सफेद बीज निकलते हैं।
यह प्रायः तालाब में कहीं-कहीं पाया जाता है। इसका संपूर्ण कंद या कली जो भी उपलब्ध हो, लाकर किसी भी शुभ मुहूर्त में ताबीज में डालकर गले या भुजा में धारण करें। तांत्रिक द्वारा अभिचार किये जाने पर एक बार में इसका मात्र एक दाना चटक जाता है और लोग स्वरक्षित रह जाते हैं जबकि एक कली में सैकड़ों की संख्या में बीज पाये जाते हैं।