श्री बजरंग बाण
हनुमान चालीसा की तरह ही श्री
बजरंग बाण भी एक सिद्ध स्तोत्र है।
इस सिद्ध शक्तिशाली बाण को विधि
पूर्वक प्रयोग करने से साधक के समस्त
कष्टों का निवारण हो जाता है। इस
बाण की सिद्धि करने से साधक के
शरीर में हनुमान जी की शक्ति प्रवेश
कर जाती है।
क्रिया एक ही है कि अपने सामने
हनुमान जी का चित्र रखकर श्रद्धा और
विश्वास के साथ उनका ध्यान करना
चाहिए। मन की एकाग्रता का अभ्यास
करते हुए मन स्वतः ही काबू में हो
जाता है। हनुमान जी के चित्र की भली
भांति पूजा अर्चना करके श्रद्धायुक्त
प्रणाम कर यह स्तुति करनी चाहिए।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभ देहं
दनुजवन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्,
सकल गुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि।
यह स्तुति करके साधक को चाहिए कि
वह पास ही दाहिनी ओर एक आसन
और बिछा दे जैसे कि शास्त्र में इसका
वर्णन आता है कि जब भी बजरंग बाण
का पाठ किया जाय तो स्वयं हनुमान
जी आसन पर आकर विराजते हैं।
बजरंग बाण का जब भी पाठ करें, ऊनी
वस्त्र के आसन पर ही बैठकर करें।
जिसे हनुमान जी वरण कर लेते हैं।
समझने लगता है, निर्भीक व निर्भय हो
जाता है तथा समस्त प्रेत बाधाएं तथा
आसुरी शक्तियां ऐसे भजन को देखते
ही भाग खड़ी होती हंै। यह हजारों-
हजारों का अनुभव है उन्होंने कहा है
कि बजरंग बाण का नियमित पाठ
बाधाओं और आने वाली कठिनाईयों से
रक्षा करता है।
बड़े-बड़े योगी, संत महात्मा, तांत्रिक,
यांत्रिक भी सदा इस बाण को जपते
रहते हैं। इसे कंठस्थ कर लेना चाहिए।
यह स्वयं ही मंत्रमय है। इसका नित्य
पाठ अपने आप में आश्चर्यजनक
सफलता देने वाला है।
रोग-व्याधि-
तंत्र, मंत्र से जो हानि पहुंचाते हैं उसका
प्रभाव स्वतः ही निष्क्रिय हो जाता है।
जिस घर में प्रतिदिन बजरंग बाण का
पाठ होता है, वहां स्वयं हनुमान जी
विराजमान रहते हैं और सभी प्रकार की
बाधाओं से घर मुक्त रहता है। मैं यह
अपने अनुभव से कह रहा हूं कि जो
भक्त रामलीलाओं में धन आदि देकर
भगवान राम के चरित्र का वर्णन आम
जन तक पहुंचाने का कार्य करते हैं
वे आर्थिक दृष्टि से संपन्न तो हो ही
जाते हैं अपितु धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की
सिद्धि भी उन्हें मिल जाती है। रामायण
का अखंड पाठ व सुंदर कांड का पाठ
जन-जन में एक नवीन चेतना का इस
कलिकाल में संचार कर रहा है। उन
घरों में उन्नति व विकास की धारा सदा
बहती है।