कुछ उपयोगी टोटके संत फतह सिंह शनि: शनि को लेकर लोगों में भ्रांति रहती है, जो अनुचित है। यदि शनि के उपाय निष्ठापूर्वक किए जाएं तो वह शुभ फल भी दे सकता है। शनि शुभद हो तो घर में लोहे के समान का प्रयोग करें। भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें। आंखों में काला अंजन और काला सुरमा लगाएं। ये सारे उपाय करें, लाभ होगा। यदि शनि अशुभ फलदायी हो और जातक पर साढ़ेसाती प्रभावी हो तो अपने भोजन का कुछ भाग कौओं को खिलाएं, स्थिति अनुकूल होगी। यदि शनि संतान के लिए बाधक हो तो अपने भोजन का कुछ भाग काले कुŸो को खिलाएं, बाधा से मुक्ति मिलेगी। शनिवार को सरसों या काले तिल के तेल का दान करें, शनि के अशुभ प्रभाव से रक्षा होगी। यदि जातक का जन्म शनि लग्न में हुआ हो और उसके घर का दरवाजा पश्चिम दिशा की ओर हो तो उसका जीवन संघर्षमय होता है। उसका मन पढ़ने में नहीं लगता और धन का अपव्यय होता है। इसके अतिरिक्त वह अक्सर उदर रोग से ग्रस्त रहता है। ऐसे लोग काले सुरमे और बड़ की जड़ को दूध में घिसकर तिलक करें, उक्त सारे कुप्रभाव दूर होंगे। यदि जातक के चैथे भाव में शनि का फल अशुभ हो तो काले सर्प को दूध पिलाना चाहिए या भैंस को चारा खिलाना चाहिए अथवा कच्चा दूध प्रातः कुएं में डालना चाहिए। यदि अशुभ शनि पांचवें भाव में हो और दशम भाव खाली हो, तो जातक के संतान की प्राप्ति में बाधा आती है। यदि जातक 48 वर्ष की आयु में नया मकान खरीदे और तब उसे पुत्र हो तो उसके दीर्घायु होने की संभावना कम रहती है। इस अशुभ फल से रक्षा के लिए घर की पश्चिम दिशा गुड़, तांबा, शहद और लाल वस्तुएं चावल तथा शक्कर के बोरे में रखनी चाहिए। यदि छठे भाव में शनि और बृहस्पति दोनों हों, तो पानी वाला नारियल नदी में बहाना चाहिए। उक्त ग्रह स्थिति से प्रभावित जातकों को 28 वर्ष से पहले विवाह नहीं करना चाहिए और 48 वर्ष की आयु के पहले मकान नहीं बनाना चाहिए। घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए सांप को दूध पिलाते रहना चाहिए। यदि जातक के छठे भाव में शनि हो और दूसरा भाव खाली हो और जातक व्यवसाय करना चाहे तो मिट्टी के घड़े में सरसों का तेल भर कर तालाव या नदी के तल में गाड़ना चाहिए। ध्यान रहे, ऊपर पानी अवश्य रहे। यह क्रिया कृष्ण पक्ष की किसी रात्रि में शुरू करे, घर में अनायास संपŸिा आएगी। सप्तम भाव में शनि पापी हो तो जातक को कोई भी कार्य करने से पहले मिट्टी का घड़ा पानी से भरकर दान करना चाहिए, लाभ होगा।