अभी मई में पंडित जी को माॅरीशस जाने का अवसर मिला। वहाँ एक महिला व्यवसायी ने वार्तालाप में बताया कि उसने एक नया कार्यालय लिया है जिसमें लकड़ी का काम, पार्टीशन आदि अन्तिम दौर में है। उसने पूछा कि क्या इस स्थिति में भी वास्तु/फेंगशुई की सलाह से कोई लाभ हो सकता है। पंडित जी ने बताया कि नियमिताकार निर्माण के अतिरिक्त वास्तु में आंतरिक साज-सज्जा जैसे घड़ी, पानी, आग, पौधे व विभिन्न चित्र आदि को उचित स्थान पर लगाने का भी विशेष महत्व है। कौन व्यक्ति कहाँ, किस दिशा में बैठ कर काम कर रहा है यह भी महत्वपूर्ण है। जो भी वहाँ बताया गया उसे तर्क सहित फ्यूचर समाचार के प्रबुद्ध पाठकों के लिए यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। दिशा निर्देंश
1) स्वागत कक्ष में बड़ी कुर्सियों की अपेक्षा एक एल शेप में सैटी आगन्तुकों के लिये रखें ताकि वहाँ अधिक लोगों को बैठने की सुविधा मिल सके। वहीं पर उत्तर-पश्चिम में पश्चिम के कोने में प्रोडक्ट्स ब्रोशर्स लगायें तथा उत्तर की दीवार पर कंपनी को मिला लाईसेंस लगायें और रिसेप्शनिस्ट की सीट के पीछे वाली दक्षिण दीवार पर कंपनी का लोगो लगायें। ऐसा करने से आगंतुक लोगों को कंपनी की जानकारी मिलेगी, कंपनी का लोगो आगन्तुकों के मनोमस्तिष्क पर लंबे समय तक छाया रहेगा जिससे इसी कंपनी की चीजे़ं खरीदना पसंद करेंगे। साथ ही वायव्य कोण में लगाये गये प्रोडक्ट्स ब्रोशर्स व लाईसंेस आदि से कंपनी का प्रचार-प्रसार तेजी से होगा।
2) प्रबंधक कक्ष में प्रबंधक की सीट के पीछे पश्चिमी दीवार पर पहाड़ का बिना पानी का चित्र लगाने से प्रबंधक वहाँ स्थिरता से बैठकर सुचारू रूप से कार्य कर सकेगा और उसकी कार्य क्षमता भी बढ़ जाएगी।
3) मीटिंग कक्ष का द्वार ईशान में स्लाइडिंग रखना चाहिए ताकि मीटिंग सकारात्मक रूप से पूरी हो सके।
4) निदेशक कक्ष में ईशान के द्वार को हटा कर थोड़ा सा पूर्व दिशा में करें ताकि आगन्तुक, विचलित नहीं हों और सोफों की जगह गोल मेज रखें ताकि वह कम स्थान घेरे।
- इसी कक्ष में निदेशक की सीट दक्षिण में रखें ताकि उत्तर दिशा की तरफ उसका मुंह रहे, और उनकी सीट के पीछे बिना पानी के पहाड़ का चित्र लगायें ताकि वह स्थिरता पूर्वक समझकर निर्णय ले सके जो उन्नतिदायक सिद्ध हो। गोल मेज के पास उत्तरी दीवार पर नियाग्राफाॅल का सुंदर चित्र लगायें, जो असीम ध् ानदायक सिद्ध होगा। कंपनी की उन्नति होगी।
- साथ ही जो फाईल कैबिनेट है वह दक्षिण की अपेक्षा पश्चिम की दीवार पर लगायें या बनायें और निदेशक के आग्नेय कोण में सीधे हाथ पर पौधा लगायें ताकि कंपनी का विकास होता रहे तथा ईशान कोण मंे पानी का फव्वारा या हल्का एक्वेरियम रखें।
5) दोनों वाॅश रूम में दिखाये स्थान पर द्वार स्लाइडिंग रखें तथा उत्तरी दीवार पर शीशा लगायें।
6) पैन्ट्री में आग पानी यानि सिंक व गैस बर्नर एक लाईन में हैं जो कि ठीक नहीं होता क्योंकि इससे मालिक व कर्मचारियों में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं जो एक कंपनी या उद्योग के विकास में बाधक हो सकते हैं, अतः सिंक गैस के पास से हटाकर उत्तर की दीवार पर करें और गैस का चूल्हा दो बर्नर वाला रखने से रसोई में ज्यादा जगह मिल जायेगी।
7) विक्रय विभाग में पूर्व की दीवार पर हरियाली का चित्र लगायें जो विकास का प्रतीक है और विक्रय विभाग के अधिकारी की सीट के पीछे दक्षिणी दीवार पर किसी बड़ी बिल्डिंग का चित्र जिसमें जल न हो यह उचित निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होगा, आगंतुकों के पीछे की दीवार पर उत्तर दिशा में स्वर्ण मन्दिर की जल वाली फोटो लगायें जिससे धनागमन उचित समय पर होता रहे।
8) इसी प्रकार लेखाकार के कक्ष में उसी दीवार पर घड़ी को लगाना भी धन की वृद्धि में लाभकारी सिद्ध होगा।
9) प्रतीक्षा कक्ष में ईशान कोण में फव्वारा लगायें जो चलता रहे और अग्नि कोण में पौधा लगायें, इसी प्रकार प्रतीक्षारत लोगों की सीट के पीछे घड़ी भी लगायें ऐसा करने से चहुँमुखी विकास होगा।
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