दीपावली पर करें धन प्राप्ति के उपाय
दीपावली पर करें धन प्राप्ति के उपाय

दीपावली पर करें धन प्राप्ति के उपाय  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 12209 | अकतूबर 2008

दीपावली पर करें धन प्राप्ति के उपाय डाॅ. महेश मोहन झा धन प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी पूजन हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को किया जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई करके लक्ष्मी जी का आवाहन तथा अपने घर में स्थायी वास करने के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं। लक्ष्मी चंचल होती हंै। एक स्थान पर रुकतीं नहीं।

फिर भी हम चाहते हैं कि वह हमेशा हमारे घर में बनी रहें। इसीलिए हम उनका स्वागत व पूजन स्थिर लग्न में करने का प्रयास करते हैं। चर लग्न में पूजन करने से लक्ष्मी शीघ्र चलायमान होती हैं। द्विस्वभाव लग्न में पूजन करने से उनका घर में आना-जाना लगा रहता है, जबकि स्थिर लग्न में पूजा करके हम लक्ष्मी जी के स्थायित्व की आशा करते हैं। आज के इस भौतिक युग में लोग जी तोड़ परिश्रम, भाग-दौड़ करते हैं तथा अधिकांश समय नौकरी या व्यापार में जुटे रहते हंै।

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हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए धन की अधिक आवश्यकता होती है। सुख-साधनों की प्राप्ति के लिए धन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता। इसके अभाव में मनुष्य एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकता। छोटे से छोटे कामों के लिए भी धन की आवश्यकता पड़ती है। निर्धन और धनी दोनों किसी न किसी तरह से धन पाना चाहते हैं।

ऐसे में दोनों के लिए श्री महालक्ष्मी की उपासना आवश्यक है। श्री लक्ष्मी की नियमित पूजा एवं मंत्र स्थापना से उनकी अनुकंपा अवश्य प्राप्त होती है। लक्ष्मी पूजन के बिना यश, भौतिक सुख या मान-सम्मान कुछ भी नहीं मिलता। श्रद्धा भाव से श्री लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से धन, सुख-समृद्धि, शांति, बल-बुद्धि, विद्या, पराक्रम आदि प्राप्त होते हंै। साधक ऋण के बोझ और दरिद्रता से मुक्त हो जाता है।

अगर उचित कर्म करते हुए निम्न उपाय श्रद्धापूर्वक किए जाएं तो जीवन सुखमय हो सकता है।

मंत्र: ¬ ऐं ह्रीं श्रीं ज्येष्ठा लक्ष्मी स्वयंभुवे ह्रीं ज्येष्ठायै नमः।

विधि- यह ज्येष्ठा लक्ष्मी का मंत्र है। इसका सवा लाख जप करने से यह सिद्ध हो जाता है, तत्पश्चात अपार धन की प्राप्ति होती है।

मंत्र- ¬ नमो धनदायै स्वाहा।

विधि - दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन के उपरांत कमलगट्टे की माला पर इस मंत्र का 1008 बार जप करें। यह क्रम अगली दीपावली तक बनाए रखंे।

ऐसा करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाती है। मंत्र- ¬ पùावती पù नेत्रे पùासन लक्ष्मी दायिनी वांक्षा भूत-प्रेत निग्रहणी सर्व शत्रु संहरिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि-वृद्धिं कुरु कुरु स्वाहा। ¬ ह्रीं श्रीं पùावत्यै नमः।

विधि: उपर्युक्त मंत्र को सिद्ध करने के लिए सबसे पहले गुलाल, गेरु, चंदन, कपूर और छबीला ये सब चीजें बाजार से लाकर उनका चूर्ण या पाउडर बनाएं। फिर इसमें गंगाजल मिलाकर 108 गोलियां बनाएं। नीले या हरे रंग के वस्त्र पहनंे।

हरे या हरे रंग के सूत की माला भी रखें। माला पर लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। पुष्प चढ़ाने के बाद उक्त माला से 108 बार उपर्युक्त मंत्र का जप करें। प्रत्येक जप के अंत में गोली से होम करें ऐसा एक मास तक करें। माला को नीले रंग की ही गोमुखी में रखें। ऐसा करके हर प्रकार के कष्ट, शत्रु, बाधा आदि से छुटकारा पा सकते हैं। यह मंत्र धनदायक भी है।

मंत्र- ¬ ¬ श्रीं ह्रीं स्वाहा। डाॅ. महेश मोहन झा विधि- उक्त मंत्र एक लाख बार लिखने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।90 हजार बार लिखने से नवनाथ की सिद्धि, 70 हजार बार लिखने से लक्ष्मी की प्राप्ति, 50 हजार बार लिखने से मन चाहे कार्य की सिद्धि और 30 हजार बार लिखने से खोई संपŸिा पुनः प्राप्ति होती है। ताम्र पत्र पर चंदन या केसर से उक्त मंत्र लिख कर धूप-दीप दिखाने तथा उसे जल से स्नान कराने से मनचाहा कार्य पूर्ण होता है।

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दूसरे मत के अनुसार इस मंत्र को 1 से 10 बार लिखकर जल में बहाएं तो संसार के सभी सुख मिलते हैं। एक हजार बार लिखकर जल में बहाएं तो पूर्वजों को सद्गति मिलती है। साठ हजार बार लिखकर बहाएं तो मान-सम्मान मिलता है। एक लाख बार लिखकर बहाएं तो मनोकामना तो पूर्ण होती ही है, साथ ही घर में लक्ष्मी का प्रत्यक्ष वास होता है।

मंत्र- ऐं ह्रीं श्रीं श्रीयै नमो भगवति मम समृद्धौ ज्वल-ज्वल मां सर्व सम्पदां देहि-देहि मम अलक्ष्मीं हंु फट् स्वाहा।

विधि- दीपावली के दिन से लक्ष्मी पूजन के उपरांत इस मंत्र का 1008 बार जप करें और आगे भी नियमित रूप से करते रहें। इससे धनागमन होता है।

मंत्र- ¬ ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै श्री पùावत्यै नमः महालक्ष्मी महाकाली महादेवी महेश्वरी महापूर्णि महामाया महाधर्मेश्वरी अहीं। मुक्ता माता धरा माया महा मेधा महोदरी महाजननी जगन्माता महामुधोतिनी अहीं।

विधि- 16 दिनों तक उक्त मंत्र का नियमित रूप से 108 बार जप करें, महालक्ष्मी प्रसन्न होंगी और धन एवं पुत्रादि की प्राप्ति होगी।

मंत्र- ¬ श्रीं ह्रीं मायाते प्रत्यक्ष मेघतं स्वाहा।

विधि- शुक्रवार को निराहार रहकर एक हजार बार उक्त मंत्र का जप कर विधिवत् होम करें, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। जब तक वांछित फल न मिले, तब तक हर शुक्रवार को यह प्रयोग करते रहें। धन प्राप्ति के उपाय मिलेंगे और भाग्य के अनुसार लक्ष्मी देवी की कृपा अवश्य होगी।

ऊपर वर्णित मंत्र साधना के अलावा निम्न उपाय करने से भी धनागमन होता है। अपने निवास स्थान के मुख्य द्वार पर अंदर एवं बाहर श्रीयंत्र, कनकधारा यंत्र तथा दक्षिणावर्ती गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर नित्य धूप-अगरबŸाी दिखाएं।

पूजा स्थान पर ईशान या उŸार दिशा में स्फटिक श्री यंत्र स्थापित कर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करके लक्ष्मी पूजन करें। घर में धन वृद्धि के लिए श्रद्धा व विश्वास के साथ चतुर्दशी के दिन लाल चंदन, लाल गुलाब के पांच फूल और रोली की लाल कपड़े में बांधकर पूजा करें और पोटली को अपनी तिजोरी में रखें। इस दिन ऐसा करने से घर में धन रुकने लगता है।

दीपावली के दिन तिजोरी में प्राण-प्रतिष्ठित कुबेर यंत्र रखें। ऐसा करने से धनागमन होता रहता है। दीपावली के दिन चांदी की एक डिब्बी में कीमिया सिंदूर भर लें पता- नारायणपुर, दौलतपुर (रोसड़ा) बेगूसराय (बिहार) मो. 09934914957 और उसमें पीली कौड़ी, श्री यंत्र और कमल फूल का टुकड़ा डालकर बंद कर दें।

लक्ष्मी पूजा के बाद अगले दिन डिब्बी को अपने घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान या दुकान में रखें, समृद्धि होगी। धन तेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश द्वार पर ‘¬’ अंकित करें। दीपावली के दिन काली हल्दी, पांच साबुत सुपारियां, 11 कौड़ियां और 11 गोमती चक्रों को हल्दी से रंग कर पीले कपड़े में पोटली बनाकर धन स्थान मंे रखें।

दीपावली की रात्रि लक्ष्मी पूजा के साथ एकाक्षी नारियल की पूजा करें और अगले दिन उसे पीले कपड़े में लपेटकर पूजा स्थान या धन स्थान में रखें। दीपावली की रात्रि अभिमंत्रित व्यापारवर्धक यंत्र को पंचामृत एवं शुद्ध नागकेसर अर्पित करें व मूंगे की माला से निम्न मंत्र का 21 माला जप करें- ¬ श्रीं सर्वविघ्न हरस्तस्मै गणाधिपतये नमः।

हत्था-जोड़ी एवं सियार सिंगी को दीपावली या नवरात्र में सिंदूर और लौंग के साथ चांदी की डिब्बी में रखें। इससे धन एवं शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। दीपावली के दिन स्फटिक श्री यंत्र स्थापित करके 16 ऋचाओं वाले श्री सूक्त श्लोक का नियमित रूप से पाठ करें, समृद्धि मिलेगी।

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