शौचालय
शौचालय

शौचालय  

व्यूस : 40552 | नवेम्बर 2013
प्रश्न: टोयलेट कहां एवं किस दिशा में होना चाहिए अथवा नहीं होना चाहिए? गलत स्थानों एवं दिशाओं में टोयलेट होने से कैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं? गलत स्थानों एवं दिशाओं में टोयलेट के वास्तु दोष का निवारण कैसे किया जा सकता है? शौचालय बनाने का सबसे उत्तम स्थान उत्तर-पश्चिम (वायव्य) है। विकल्प के तौर पर पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) और दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) में भी शौचालय बनाए जा सकते हैं। किंतु इन स्थानों पर जमीन में गड्ढा नहीं खुदवाना चाहिए। इन दिशाओं मे टायलेट बनवाते समय दो फुट ऊंचा चबूतरा बनवाकर भारतीय शैली के अनुसार ही उसे बनवाना चाहिए। टायलेट में बैठने वाले के मुख की दिशा दक्षिण है। पूर्व, उ. को शुभ नहीं माना है क्योंकि पूर्व सूर्योदय, उ. धन (कुबेर) की दिशा होती है तथा पश्चिम भी सूर्यास्त की दिशा होती है। आजकल आधुनिक जीवनशैली के अनुसार हर कक्ष के साथ टायलेट्स को जोड़ने की परम्परा चल रही है जो कि गलत है क्योंकि विभिन्न दिशाओं में इससे नुकसान भी होते हैं। उसके साथ ही शौचालय के साथ स्नानगृह बनवाना ठीक नहीं माना गया है क्योंकि स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है तथा टायलेट्स में राहु का निवास होता है। इन दोनों के साथ में आ जाने से चंद्रमा में दोष आ जाता है तथा रहने वाले में दुष्प्रभाव आ जाता है। यदि जगह की कमी के कारण इन्हें साथ में बनवाना पड़े, तो इनमें नैर्ऋत्य और दक्षिण के बीच टायलेट्स सीट, पूर्व में नल की टोंटी, ईशान में शावर, बाथ टब, आग्नेय में गीजर, हीटर, उ. में वाश बेसिन तथा ईशान में ही रोशन दान बनाएं। इससे राहु व चंद्रमा की स्थिति दोष रहित रहेगी। चंद्रमा, राहु से पीड़ित नहीं होगा। इसके अलावा, शौचालय की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें ताकि राहु की स्थिति व्यक्ति के अनुकूल बनी रहे, फर्श का ढलान पूर्व, ईशान, उ. की ओर रहे। विभिन्न दिशाओं में टायलेट्स के रहने के शुभ, अशुभ प्रभाव व उपाय: - उ. दिशा में इसके रहने से धन का नाश होता है, लक्ष्मी कुपित हो जाती है, आर्थिक तंगी होने से अन्न व स्वास्थ्य प्रभावित रहता है। दरिद्रता रहती है परिश्रम का लाभ नहीं मिलता। उपाय: इस दिशा में एक छोटा सा गड्ढा बना लें और एक कृत्रिम फव्वारा भी लगा लेना चाहिए जिसमें पानी का प्रवाह निरंतर होता रहे। - ईशान कोण में वास्तु पुरुष का सिर है, यहां पर शौचालय बनवाने या होने से व्यक्ति का जीवन तबाह हो जाता है, परिवार की वृद्धि, बोली और भोजन (अन्न) नष्ट हो जाते हैं। सारे देव भी कुपित हो जाते हैं। मुसीबतें लगातार बढ़ती रहती हैं। अतः यहां शौचालय नहीं होना चाहिए। यदि हो तो तुड़वाकर अन्य शुभ जगह बना लें या निम्न उपाय करें। - इस कोण में दर्पण लगाना शुभ रहता है। - इस कोण में एक छोटा सा छेद कर दोनों कोणों को अलग कर दें। - ईशान कोण मे एक्वेरियम का उपयोग शुभ रहता है। यह उ. और पूर्व के दोष को दूर करता है। - ईशान में पानी भरकर कोई बर्तन रखें। - पूर्वी दिशा मे इसके होने से उन्नति में बाधा पहुंचती है, मानसिक तनाव व अस्वास्थ्यता, रोग-पीड़ा होती है। उपाय: - एक्वेरियम रखें। - शौचालय के अंदर की तरफ (बाहर नहीं) शिकार करते हुए या दौड़ते शेर की फोटो लगा दें। - आग्नेय आग्नेय में पूर्व दिशा की दीवार सही किये बिना इसे बना सकते हैं। इस कोण का शौचालय ज्यादा शुभ नहीं रहता है, मध्यम ही रहता है। जगह की कमी के कारण बना सकते हैं। स्वास्थ्य, पेट की तकलीफ हो सकती है। उपाय: लाल रंग का बल्ब जलाएं। - दक्षिण इस दिशा मे शौचालय बनाना ठीक है। कोई नुकसान नहीं होता है। अतः उपाय भी आवश्यक नहीं होते। - नैर्ऋत्य (द.-प.) इस कोण पर वास्तु पुरुष के पैर रहते हैं तथा ईशान व नैर्ऋत्य कोण को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा भी होती है। अतः शौचालय, नैर्ऋत्य में न बनवाकर काल्पनिक रेखा के पश्चिम या दक्षिण में बनाना ठीक रहता है। उपाय: इस कोण पर कार्बन आर्क लगाएं। - पश्चिम इस दिशा में शौचालय बनाना ठीक रहता है। - वायव्य इस दिशा में भी शौचालय बनाना ठीक रहता है। - ब्रह्मस्थान यहां पर इसके होने से वास्तु पुरुष को प्राण वायु नहीं मिलने से, यहां रहने वालों की उन्नति रुक जाती है। लंबी बीमारी से ग्रसित होकर जातक मर जाता है। उपाय: - कांच के बड़े बर्तन में डली वाला नमक डालकर शौचालय में रखें। रविवार को वहां से फ्लश कर पुनः नया नमक डालकर शौचालय में रखें। नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। व्यक्ति स्वस्थ रहेगा। - शौचालय का द्वार हमेशा बंद रखें ताकि नकारात्मक ऊर्जा न निकले। - शौचालय में एक्झास्ट फैन लगाएं। सुगंधित ओडोनिल भी लगाएं। - एक्वेरियम को शौचालय में कदापि न रखें। - शौचालय के द्वार के नीचे तीन तार - लोहे, तांबे व चांदी के एक साथ दबा दें। - शौचालय के सामने रसोई घर नहीं होनी चाहिए। - इसे सीढ़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। - टायलेट के दरवाजे के ऊपर, बाहर की तरफ एक छोटा सा गोल शीशा लगाने से भी वास्तु दोष दूर होता है। - यदि शौचालय का दरवाजा घर में प्रवेश होते ही दिखाई देता है तो उसके ऊपर दर्पण लगाना उचित रहता है। इसके अप्राणिक ऊर्जा दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखकर वापिस मुड़ जाते हं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.