शनि तुला प्रवेश राशिफल विचार सूर्य पुत्र शनि 15 नवंबर 2011 को लगभग 10ः11 बजे प्रातः तुला में प्रवेश करेंगे। इस दिन शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही सिंह राशि जातकों को साढ़ेसाती से राहत महसूस होगी तथा वृश्चिक राशि जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरू होगा व तुला राशि पर साढ़ेसाती का मध्यम चरण रहेगा।
12 राशियों के लिए शनि का अपनी उच्च राशि में जाना कैसा प्रभाव देगा। आईये जानते हैं-
मेष: मेष राशि से शनि सप्तम भाव पर गोचर करेंगे। शनि का व्यापार-साझेदारी भाव पर भ्रमण आपके व्यापार को विदेशों से जोड़ने के अवसर प्रदान करेगा। क्योंकि शनि आपके कर्म और आय भाव के स्वामी हैं। अतः कार्यक्षेत्र की बाधाओं में कमी करने के लिए आपको पुरुषार्थ से काम लेना होगा। इस अवधि में शनि-गुरु का समसप्तक योग बना हुआ है। यह योग आपको मेहनत से धन-ज्ञान, पद प्राप्ति के संकेत दे रहा है। शनि का सप्तम भाव पर गोचर वैवाहिक जीवन के लिए प्रतिकूल हो सकता है। इस समय आपके मधुर संबंधों में कटुता बनी रहेगी। दाम्पत्य जीवन में अशांति परंतु संतान पक्ष की कामयाबी से हर्ष रहेगा। स्वास्थ्य से पूर्ण संतुष्टि नहीं रहेगी।
वृष: शनि आपकी राशि से छठे भाव पर गोचर करेंगे, जन्म राशि से छठे भाव पर शनि शुभ फलकारी होते हैं। यह शनि आपके रोग और ऋणों का नाश करेगा। आपके विरूद्ध किए जाने वाले प्रयत्न विफल होंगे। जिससे आपको निरंतर सफलता की प्राप्ति होगी।अतः शनि का तुला प्रवेश आपके प्रयासों को सार्थक करेगा। उद्य¨ग, व्यापार में लाभ के अवसर मिलेंगे। शिक्षा-परीक्षा में सफलता घरेलू सुख शांति में कुछ गतिरोध बना रहेगा। परंतु वाद विवाद में सफलता मिलेगी।
मिथुन: शनि आपकी राशि से पंचम भाव में प्रवेश कर, संतान सुख में वृद्धि करेंगे। जो शिक्षार्थी तकनीकी विषयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनके लिए इस अवधि में ज्ञान अर्जन करना सहज होगा। अध्ययन करने वालों को रिसर्च कार्य करने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी पेशा लोगों को प्रशिक्षण प्राप्ति के सुयोग बन सकते हैं। बीमा आदि के क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह अवधि विशेष रूप से शुभ रहेगी। साथ ही शनि प्रभाव से घरेलू सुखों में बढ़ोतरी, माता-पिता के कष्टों में कमी, आय प्राप्ति के गतिरोध दूर होंगे। अनुचित व्ययों पर नियंत्रण लगाने में सफलता मिलेगी।
कर्क: 15 नवंबर से शनि की स्थिति आपकी राशि से चतुर्थ भाव पर होगी। शनि का तुला राशि में जाने पर आपकी शनि ढैय्या प्रारंभ होगी। यह ढैय्या कंटक शनि के नाम से भी जानी जाती है। उच्च के शनि आपके गृह निर्माण की योजनाओं को पूरा करने में सहयोग करेंगे। भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होगी। शत्रुओं पर आपका नियंत्रण बना रहेगा। अल्पकाल के लिए चिंताएं हो सकती है। परंतु शीघ्र ही समस्याओं का समाधान होगा। रूके हुए कार्य बनेंगे। भूमि संबंधी मामले जो कोर्ट-कचहरी में चल रहे हों, उनमें सफलता प्राप्त होगी। कार्य की अधिकता आपको थकान का अनुभव करा सकती है। खान-पान में नियमितता बनाये रखे।
सिंह: आपके लिए शनि आपके पराक्रम भाव पर गोचर करेंगे। जन्म राशि से तीसरे भाव पर शनि का गोचर शुभ फलकारी होता है। आपकी राशि से साढ़ेसाती का प्रभाव समाप्त होगा, और आप स्वयं को दबाव मुक्त महसूस करेंगे। पिछले साढेसात साल से चली आ रही दुविधा और कष्ट की स्थिति समाप्त होगी। राशि से तीसरे होने के कारण शनि आपसे साहस के कार्य करायेगा। रूके हुए कार्य बनेंगे। भाई-बहनों से स्नेह-सहयोग की प्राप्ति होगी। शनि के सहयोग से आपकी कोशिशें कामयाब होंगी। यात्राओं से लाभ वृद्धि के योग बनेंगे। पारिवारिक सुख संपन्नता तथा इच्छित कार्य सिद्धि हो सकती है।
कन्या: आपकी जन्म राशि से शनि दूसरे भाव पर संचार कर, आपके पारिवारिक सुखों में वृद्धि करेंगे। साढ़ेसाती का तीसरा भाग यानि पैरों पर पनौती शुरू होगी। आपको व्यापार, नौकरी या खेती के क्षेत्रों से आय अधिक होगी, बशर्ते की आप भाग-दौड़ में किसी प्रकार की कमी न करें। वक्ता और वाणी से संबंधित कार्य करने वालों को अपनी योग्यता सिद्ध करने के अवसर देंगे। बौद्धिक कार्यों में कुशलता बढ़ेगी। धन-संचय तीव्र गति से होगा। दाम्पत्य जीवन में अनुराग तथा ऐच्छिक कार्य पूरे होंगे। शनि और कन्या राशि स्वामी बुध दोनों मित्र संबंध रखते हैं। इसलिए कन्या राशि के लिए शनि तुला गोचर उत्तम रहेगा।
तुला: शनि की स्थिति आपकी जन्म राशि पर होगी। तुला राशि शनि की उच्च राशि है। अपनी उच्च राशि में ग्रह अपने सभी शुभ फल देने की क्षमता रखता है। अतः शनि इस अवधि में आपको आपकी मेहनत का पूर्ण फल देंगे। तुला राशि न्याय प्रधान राशि है। शनि के शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए आप सदैव न्याय का साथ दें। तुला राशि के जातक जो न्याय, कोर्ट, कचहरी, जज, वकील आदि हों, उनके लिए शनि के ढाई साल उत्तम रहेंगे। इससे पूर्व आपने जिन भी योजनाओं पर कार्य शुरू किया था, उन सभी से आपको लाभ प्राप्त होने शुरू हो जायेंगे। आने वाले ढाई वर्ष मंे नौकरी व्यापार में किया गया प्रयास सार्थक होगा। कोई महत्वपूर्ण पद की प्राप्ति हो सकती है। समाज में मान-सम्मान व महत्वपूर्ण अधिकार की प्राप्ति हो सकती है।
वृश्चिक: आपकी शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ होगी। ऐसे में आप स्वयं पर मानसिक दबाव महसूस करेंगे। परंतु स्थिति कष्टकारी नहीं होगी। इस ढाई साल में आपकी चल-अचल संपत्ति में बढ़ोतरी हो सकती है। परिवार में वृद्धि के योग हैं। मित्रों, रिश्तेदारों के साथ मेल-मिलाप के अवसर अधिक बनेंगे। विदेश यात्राएं होंगी तथा लंबी अवधि के लिए धन-विनियोजन करने के लिए इस अवधि का प्रयोग किया जा सकता है। भूमि क्रय-विक्रय के कार्यों से धनार्जन किया जा सकता है। भाग्य से अधिक स्वयं पर भरोसा करने से इस मध्य अवधि में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
धनु: आपकी जन्म राशि से शनि एकादश भाव अर्थात प्राप्ति भाव पर गोचर कर, आपकी आय और लाभ के नए मार्ग खोलेंगे। शास्त्रों के अनुसार लाभ भाव का शनि अरिष्टों का नाश कर शुभ करने वाला होता है। बिगड़ें काम बनेंगे। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक सुधार होगा। आरोग्य की प्राप्ति होगी। नवीन कार्य बनने के आसार बनेंगे। कार्य क्षेत्र में अपनी ओर से सहयोग में किसी प्रकार की कोई कमी न करें। समय आपको अपनी योग्यता सिद्ध करने का अवसर देगा। आप पीछे न हटे। इस समय में आप व्यावसायिक समस्याओं का समाधान दूरदर्शिता से करने में सफल रहेंगे।
मकर: शनि गोचर आपके लिए शुभ फल लेकर आएगा। आर्थिक दृष्टि से धन की आवक होगी। पारिवारिक क्लेश आपकी चिंताएं बढ़ा सकते हैं। परंतु स्वभाव को मृदु बनाये रखने से अनेक अन्य कार्य भी बन सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से समय अनुकूल रहेगा। यह गोचर आपके बौद्धिक विकास, नौकरी व्यापार में स्थान परिवर्तन, अभीष्ट कार्यसिद्धि से प्रसन्नता, पुराने विवाद से निवृति, संतान का सुख सहयोग देगा।
कुंभ: शनि फल आपके लिए शुभ रहेंगे। व्यापार में लाभ, महत्वपूर्ण पद अधिकार की प्राप्ति, बौद्धिक कौशल से बाधाओं की निवृति होगी। ज्ञान, धर्म, धन, पुत्र सुख वृद्धि से मानसिक सुख बना रहेगा। धन सुख की प्राप्ति होगी। कुंभ राशि शनि की मूल त्रिकोण राशि है। इससे पूर्व जीवन में चल रहे उतार-चढ़ावों से मुक्ति मिलेगी। राशि स्वामी शनि का आपके भाग्य भाव पर गोचर होने पर आपके बनते कार्यों में भाग्य का सहयोग भी रहेगा। विदेश स्थानों के संबंध आपके काम आ सकते हैं। प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होते समय मेहनत में किसी प्रकार की कमी न करें।
मीन: आपकी राशि पर आने वाली शनि ढैय्या कार्यों में विलंब का कारण बन सकती है। परंतु प्रयास को मध्य में न छोड़े, अंततः सफलता आपको ही मिलेगी। इस अवधि में आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना होगा। उच्चाधिकारियों से संबंधों को मधुर बनाये रखने के लिए, उनके द्वारा दिए गये दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें। अधीनस्थों से स्नेह से काम लेना शनि ढैय्या के दोषों का निवारण करेगा। समय-समय पर अधिनस्थों की सहायता करते रहें। कार्यक्षेत्र में बदलाव के कार्य इस अवधि में सरलता से किए जा सकते हैं। शनि दोष निवारण
उपाय: शनि के अनिष्ट फलों का निवारण करने के लिए शनि वस्तु दान, शनि मंत्र जप, दशांश हवन, श्री हनुमानजी की पूजा, शनि अभिषेक, तेलयुक्त सिंदूर समर्पण कर भक्तिपूर्वक शनिवार का व्रत, सप्तधान्य दान, प्रातः; शनिवार को पीपल का पूजन करने से शनि का अनिष्ट फल दूर होता है। कन्या, तुला, वृश्चिक और मीन राशि के जातकों पर शनि साढ़ेसाती, शनि ढैय्या का प्रभाव अधिक रहेगा। इसलिए इन राशि के जातकों को शनि दोष निवारण उपाय अवश्य करने चाहिए।
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