शीघ्र विवाहार्थ व क्रोध शमन हेतु शावर मंत्र
शीघ्र विवाहार्थ व क्रोध शमन हेतु शावर मंत्र

शीघ्र विवाहार्थ व क्रोध शमन हेतु शावर मंत्र  

ब्रजकिशोर शर्मा ‘ब्रजवासी’
व्यूस : 18180 | अकतूबर 2014

वर-कन्या विवाह हेतु

(अ) मिट्टी का एक नया कलश लें। कलश (घड़ा) के अंदर भाग में ‘‘अल बलीयां’’ मंत्र को ‘लाल चंदन या गेरु’ से लिखकर मंत्र के नीचे ही ‘‘शादी के लिए’’ ऐसा लिखें। इसके नीचे ‘‘कन्या का नाम’’ और कन्या के नाम के आगे ही ‘कन्या की मां का नाम’ लिखें। लिखने का कार्य पूर्ण कर कलश में ऊपर तक पानी भर दें। पानी भरने के बाद उस कलश को दोनों हाथों से उठाकर दीवाल पर जोर से मारें (जमीन पर न मारंे), जिससे घड़ा टूट जाये। टूटे हुए कलश के टुकड़ों को इकट्ठा कर धरती में गहरा गड्ढा खोदकर दबा दें। यह कार्य शुक्ल पक्ष में शुभ वार से प्रारंभ कर सात दिन तक लगातार करें। ईश्वर की कृपा से कुछ दिनों में ही विवाह निश्चित हो जायेगा। श्रद्धा से करें अनुभूत प्रयोग है।

(ब) जिस कन्या के विवाह के बारे में माता-पिता चिंतित हों या जिस कन्या को सद्गुण संपन्न पति की कामना हो, उसे ‘‘या आलीयां’’ मंत्र का जप अगण् िात संख्या में करना चाहिए या दूसरे शब्दों में कहा जाय तो सदा सर्वदा कार्य होने तक जप कन्या करती रहे। प्रभु कृपा से शीघ्र ही मनोनुकूल वर प्राप्त होगा।

(स) यदि किसी कन्या की आयु अधिक हो गयी हो और किसी कारणवश विवाह न हो पाया हो, तो उसका विवाह शीघ्र कराने हेतु इस मंत्र का जप करें। मंत्र: करवनो हाथी जर्द अम्बारी। उस पर बैठी कमाल खां की सवारी। कमाल खां, कमाल खां, मुगल पठान। बैठे चबूतरे, पढ़े कुरान। हजार काम दुनिया का करे। जा एक काम मेरा कर। ना करे, तो तीन लाख तैंतीस हजार पैगम्बरों की दुहाई। विधि: उपरोक्त मंत्र का जप शुक्लपक्ष के प्रथम बृहस्पतिवार से कमलगट्टे की माला से दस माला प्रतिदिन पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके 21 दिन तक लगातार गुलाब की अगरबत्ती जलाकर सूती आसन पर बैठकर एकांत कमरे में दिन या रात्रि में किसी भी समय वही कन्या करे, जिसकी शादी होनी है। मंत्र जप प्रारंभ होने के बाद कन्या के पिता को वर ढूंढ़ने (खोजने) के लिए प्रयत्न करते रहना चाहिए। शीघ्र ही विवाह संपन्न हो जायेगा। यह अघोर गौरी मंत्र सिद्धिप्रद मंत्र है।

(द) मंत्र: ऊँ गौरी आवे। शिवजी ब्यावे। अमुकी अमुक (----) को विवाह तुरंत सिद्ध करें। देर न करें। जो देर होए, तो शिव को त्रिशूल पड़े। गुरु गोरखनाथ की दुहाई फिरै। विधि: शुभ दिन देखकर मिट्टी की एक नई हंडिया (कलश) लाकर उसके अंदर साबुत नमक की डेली नित्य प्रयोग वाली रखकर हंडिया का मुंह नये वस्त्र से बांध दें। फिर हंडिया के बाहरी ओर कुंकुम की सात बिंदी लगाकर उपरोक्त मंत्र में अमुकी अमुक (----) के स्थान पर लड़का है तो लड़के का नाम, कन्या है तो कन्या का नाम लगाकर पांच माला का जप माता-पिता या विवाह की इच्छा वाला वर या कन्या करे। जप के बाद ही हंडिया चैराहे पर विवाह की कामना से रखवा दे। इससे विवाह की समस्त रूकावट दूर हो जाती है और उत्तम विवाह होता है। यदि एक बार में कार्य सिद्ध न हो तो यह प्रक्रिया तीन बार करें। खान-पान कहिए या संस्कारों का ध्वस्तीकरण या फिर अहंकार का प्रादुर्भाव, जिनके कारण मनुष्य का स्वभाव क्रोधी हो जाता है, क्रोध का दमन नहीं कर पाता है। क्रोधने ज्ञाननाशनम्’’ क्रोध से ज्ञान नष्ट हो जाता है, भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है फिर वे चाहे अपना क्रोध हो या सामने वाले का।

क्रोध शमनार्थ कुछ प्रयोग दिए जा रहे हैं: क्रोध नाशक मंत्र

(क) मंत्र - शूल-शूल कि तोला-मूकी, उठ मेलकी पातास कूण्डे लाग भेल की सभा जूडे भेल की चले आगे। आमि जारे सलाम करि भेलकी लोग तारे बेड आजरे पांजरे लाग, चके-मुके लाग, होक सिद्धि गरूरपा दोहाई। काटर कानि-आरमा, हाडिर झिर आज्ञा चण्डिरपा। विधि: सिद्ध किए मंत्र से क्रोधी व्यक्ति की ओर देखकर उक्त मंत्र को तीन बार पढ़ें और फूंक मारें, तो शीघ्र ही उसका क्रोध शांत हो जाता है। यह मंत्र लड़ाई-झगड़े में बड़ा ही लाभकारी है।

(ख) मंत्र: ऊँ शान्ते प्रशान्ते सर्व-क्रोधोपशमनि स्वाहा। विधि: नियमानुसार इस मंत्र को ग्रहणकाल, दीपावली, होली में जपकर सिद्ध कर लें। तब प्रयोग के समय जिस व्यक्ति को अधिक क्रोध आती है किसी भी प्रकार शांत न हो तो इक्कीस बार मंत्र को पढ़कर जल में फूंक लगाके उस जल से मुंह को धो लेने से क्रोध शांत हो जाता है।

(ग) मंत्र - ह्रीं ह्रीं ह्रौं क्रोध प्रशमन ह्रीं ह्रौं हां क्लीं सः सः स्वाहा। विधि: उपरोक्त मंत्र को भी समयानुसार सिद्ध कर लें। जब प्रयोग में लाना हो तो मंत्र को सात बार पढ़कर अपने पहने वस्त्र में एक कोने में एक गांठ लगाकर क्रोधित व्यक्ति के पास जायें, तो देखते ही उसका क्रोध शांत हो जाता है।

(घ) मंत्र - ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः (तांत्रिक प्रयोग) विधि: इस मंत्र का पूर्णमासी की रात्रि में 21 माला जप कर व 1 माला का हवन कर सिद्ध कर लें तथा शुक्लपक्ष के सोमवार व पूर्णमासी को चांदी के गिलास से कच्चा दूध व कच्चा चावल का अघ्र्य रात्रि के समय चंद्रमा को देते रहने से स्वयं के क्रोध पर नियंत्रण हो जाता है। परिवार के सदस्यों पर प्रयोग करें। लाभ होगा।



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