लग्नस्थ शनि: एक ज्योतिषीय विश्लेषण डा. भुवन मोहन, हुत से लोग शनि के लग्न में होने मात्र से घबराते हैं, हर जन्मांग में शनि की स्थिति दूसरे जन्मांग से भिन्न होगी, तो वह अलग-अलग राशि और अंश पर होगी, और साथ ही, लग्न में राशि भी भिन्न होगी, या कभी-कभी राशि एक होने पर भी शनि की राशि और अंश भिन्न होने से फल अलग-अलग होगा। उदाहरण के लिए, सौरभ गांगुली के जन्मांग पर गौर करते हैं, जिनके लग्न में शनि है, परंतु उनका शनि बहुत ही शुभ और योग कारक है, इसलिए उन्हें जबर्दस्त सफलता प्रदान करेगा। अब तक जो सफलता उन्होंने प्राप्त की वह शुक्र की स्थिति के कारण खेल जगत में प्राप्त की है, लेकिन शनि उन्हें आने वाले समय में पद-प्रतिष्ठा दिलाएगा। वर्ष 2009 के आते-आते इन्हें सफलता मिलनी शुरू हो जाएगी और निःसंदेह यह सफलता राजनीति से जुड़ी होगी। आडवाणी के जन्मांग में भी शनि लग्न में स्थित है जो अशुभ है, लेकिन अशुभ होते हुए भी पार्टी संगठन एवं संबंधित कार्यक्षेत्र में उसने सफलता दिलाई है। शनि की यह स्थिति उन्हें पार्टी के अंदर आगे भी सफलता दिलाएगी, किंतु सŸाा के शीर्ष तक नहीं पहंुचा सकती, क्योंकि समेकित रूप से उनके जन्मांग से स्पष्ट है कि उनके जीवन का सर्वोŸाम काल समाप्त हो चुका है। उन्हें पार्टी में जो भी स्थान मिल जाए, सŸाा का शीर्ष स्थान नहीं मिल पाएगा, क्योंकि लग्न का शनि अब पूर्णतया उन्हें उनकी संतान के प्रभाव में रखेगा। दूसरी ओर वह लाभ की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें हानि होना निश्चित है। उन्हें परेशानियो,ं निराशाओं, लोगों के विरोध शत्रुता आदि का भी सामना करना पड़ेगा और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। इसलिए उन्हें हर तरह से सावधान हो जाना चाहिए और हर कदम फंूक-फंूक कर रखना चाहिए। अभिनेत्री मल्लिका शेरावत के जन्मांग में भी शनि लग्न में ही स्थित है। उनके जन्मांग पर विचार करें तो पाएंगे कि शनि व अन्य योगों की मदद ने उन्हें फिल्मों में कला के क्षेत्र में पहुंचा दिया और सफलता दिलाई, लेकिन यहां शनि बहुत शुभ नहीं है जिसके कारण उन्हें परेशानियों के दौर से फिलहाल गुजरना पड़ रहा है, और आनेवाले समय में भी गुजरना पड़ेगा तथा स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। श्रीमती सोनिया गांधी का जन्म कर्क लग्न में हुआ है, और लग्नाधिपति चंद्र द्वादश भाव में है। तृतीयेश व द्वादशेश बुध, द्वितीयेश सूर्य व केतु के साथ पंचम भाव में तथा पंचमेश व दशमेश मंगल षष्ठ भाव में है। षष्ठेश व नवमेश गुरु चतुर्थ भाव में और सप्तमेश व अष्टमेश शनि लग्न में है। शनि की इस स्थिति ने ही उन्हें स्वर्गीय राजीव गांधी जैसा पति दिलवाया और राजनीति में सफलता दिलाई। यद्यपि मंगल की स्थिति ने उन्हें कुछ सुखों से वंचित कर दिया। आने वाले दिनों में शनि धीरे-धीरे उन्हें आगे बढ़ाता रहेगा। एक ओर शनि की इस स्थिति के कारण श्रीमती सोनिया गांधी को विरोध व शत्रुता का सामना करते रहना पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर वह उच्च से उच्च पद पर विराजमान होती रहेंगी। लाल कृष्ण आडवाणी को पार्टी में जो भी स्थान मिल जाए, सŸाा का शीर्ष स्थान नहीं मिल पाएगा, क्योंकि लग्न का शनि अब पूर्णतया उन्हें उनकी संतान के प्रभाव में रखेगा। दूसरी ओर वह लाभ की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें हानि होना निश्चित है। उन्हें परेशानियो,ं निराशाओं, लोगों के विरोध शत्रुता आदि का भी सामना करना पड़ेगा और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। इसलिए उन्हें हर तरह से सावधान हो जाना चाहिए और हर कदम फंूक-फंूक कर रखना चाहिए।