सर्वजन मोहिनी वशीकरण साधना
सर्वजन मोहिनी वशीकरण साधना

सर्वजन मोहिनी वशीकरण साधना  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 10250 | अकतूबर 2006

मंत्र: ¬ नमो भगवते कामदेवाय सर्वजन प्रियाय सर्वजन सम्मोहनाय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल हन हन वद वद तप तप सम्मोहय सम्मोहाय सर्वजन मे वशं कुरू कुरू स्वाहा।

मंत्र जप संख्या: इक्कीस हजार दिशा: उत्तर स्थान: घर का एकांत कक्ष समय: मध्य रात्रि दिन: शुक्रवार/मोहिनी एकादशी आसन: सफेद रंग वस्त्र: सफेद धोती हवन: (दशांश) देशी घी, पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, पिस्ता, मखाना) साधना सामग्री: सम्मोहन सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित यंत्र, सिद्ध वशीकरण माला, सम्मोहिनी कवच वशीभूत गुटिका, सम्मोहिनी सिद्ध तंत्र फल एवं अन्य उपयोगी आवश्यक पूजन सामग्री।

विधि: मोहिनी एकादशी या किसी शुक्रवार को स्नान आदि से निवृत्त होकर कांसे की थाली में समस्त तांत्रिक पूजन सामग्री स्थापित करके पंचोपचार पूजन करना चाहिए। व्यक्ति विशेष को वश में करने का अथवा सिद्धि का संकल्प लेते हुए विधि-विधान पूर्वक गुरु-गणेश वंदना करके मूल मंत्र का जप करें। जप की पूर्णता पर दशांश हवन करके ब्राह्मण एवं पांच कंुआरी कन्याओं को भोजन सहित उपयुक्त दान दक्षिणा देकर साधना को पूरा करें। इस महत्वपूर्ण सम्मोहिनी साधना से साधक का व्यक्तित्व अत्यंत सम्मोहक और आकर्षक हो जाता है। उसके संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति प्रभावित हुए बगैर नहीं रहता। यदि कोई साधना करने में असमर्थ हो, तो योग्य विद्वान द्वारा यह साधना संपन्न करवाकर सम्मोहिनी कवच धारण करके उक्त लाभ प्राप्त कर सकता है।

प्रचंड भगवती धूमावती साधना: प्रचंड भगवती धूमावती तंत्र की सातवीं महाविद्या के रूप में जगत प्रसिद्ध हैं। दतिया (म. प्र.) के बगलामुखी सिद्ध पीठ महादेवी के समीप ही भगवती धूमावती का भी सिद्ध स्थान है। .मां भगवती धूमावती की साधना विधि इस प्रकार है।

मंत्रा: ¬ धूं धूं धूं धूमावती स्वाहा ध्यान मंत्र: श्यामांगी रक्तनयनां श्याम वस्त्रोत्तरीयकां । वामहस्ते शोधनं च दक्षिणहस्ते च सूर्पकम्।। धृत्वा विकीर्ण केशांश्च धूलि धूसर विग्रहा। लम्बोष्ठी शुभ्र-दशनां लंबमान पयोधराम्।। संलग्न- भू्र-युग-युतां कटु दंष्ट्रोष्ठ वल्लभां। कृसरस्तु कुलल्थोत्थं भग्न भांड तले स्थितिम्।। तिल पिष्ट समायुक्तं मुहुर्मुहुश्च भक्षितं। महिषी शंृग ताटकी लंब कर्णाति भीषणाम्।।

मंत्र जप संख्या: सवा लाख दिशा: दक्षिण स्थान: श्मशान, शिवालय, सिद्धदेवी पीठ या निर्जन स्थान समय: रात्रि दिन: शनिवार अथवा धूम्रावती जयंती के दिन आसन: काले रंग का वस्त्र: काली धोती और काला कंबल हवन: दशांश यज्ञ हवन सामग्री: नमक, राई, सरसों, जौ साधना सामग्री: सिद्ध अधेर मंत्रों से अभिषिक्त धूमावती यंत्र, काले अकीक की या रुद्राक्ष की माला, गुड़हल के फूल, तेल का दीपक, नैवेद्य, कपूर एवं पूजन की अन्य आवश्यक सामग्री।

विधि भय रहित हृदय से नदी या तालाब में स्नान आदि से निवृत्त होकर पूर्ण विधि-विधान से एकाग्र भाव से साधना करें। मंत्र जप की समाप्ति पर दशांश यज्ञ हवन करना चाहिए। किसी विशेष प्रयोजन हेतु यदि आप यह धूमावती साधना अनुष्ठान करने के इच्छुक हैं तो अपनी मनोकामना का स्पष्ट शब्दों में संकल्प करें। यह देवी साधक के सभी शत्रुओं को समाप्त कर देती है। इस देवी का सिद्ध साधक निर्भय हो जाता है। वह हर प्रकार की बाधा, ग्रह संकट, संपत्ति विवाद या रोग पीड़ा से मुक्त रहता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.