धनपति योग और हस्तरेखाएं भारती आनंद ढींगरा कभी-कभी कुछ लोगों का भाग्य ऐसी करवट बदलता है कि उन पर एकाएक लक्ष्मी की बरसात होने लगती है। ऐसा लगता है मानो छप्पड़ फाड़ कर दौलत चली आ रही है।
ऐसा किन लोगों के साथ और कैसे घटित हो सकता है, इसके लिए हाथ की रेखाएं भी इशारा करती हैं। जैसे - हाथ भारी, गुदगुदा, अंगुलियां सीधी, जीवन रेखा गोल, भाग्य रेखा मोटी से पतली या इसका अंत सीधे शनि ग्रह पर हो और हाथ में सभी ग्रह उन्नत हों तो यह धनपति योग या करोड़पति व्यक्ति का हाथ कहलाता है। पर कई बार ऐसा देखा गया है ऐसा योग होने पर भी लक्ष्मी रूठ जाती है। इसके लिए दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश का पूजन विधिवत करने से मनुष्य को इस योग (धनपति) का फल मिलने लगता है।
जीवन रेखा के साथ पूरी मंगल रेखा, भाग्य रेखाओं की संख्या एक से अधिक, अंगूठा पीछे की तरफ, गुरु ग्रह, शनि ग्रह, बुध ग्रह या अन्य ग्रहों का प्रबल होना, हाथ मुलायम होने से भी धनपति योग बनता है। इस फल में और अधिक बरकत लाने के लिए नित्य लक्ष्मी मंत्र का हवन और गायत्री मंत्र का पाठ करना चाहिये। मस्तिष्क रेखा जितनी ही निर्दोष और सीधी होती है, व्यक्ति उतना ही स्वतंत्र मस्तिष्क का होता है तथा जीवन बिना किसी संकट के आगे बढ़ता है। ऐसे व्यक्ति धनवान होते हैं।
यदि इस लक्षण के साथ शुक्र ग्रह उठा हुआ हो, तो कार्य में बाधाएं बहुत अधिक आती हैं। धनपति योग को भी पूरी तरह से सफल करने में रुकावट आती है। इसकी शांति के लिए यंत्र स्थापना विधिवत करवानी चाहिए। भाग्य रेखा का जीवन रेखा से दूर होना बहुत ही उत्तम लक्षण माना जाता है। ये व्यक्ति सदैव कार्य करने वाले होते हैं। इनका रहन-सहन बड़े व्यक्तियों जैसा होता है और खर्चे भी इसी के अनुरूप होते हैं। यह एक धनपति योग का लक्षण माना जाता है।
किंतु कई बार देखा जाता है कि भाग्य रेखा हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा पर रुक जाने से धनपति योग में बहुत रुकावट आती है। इस दोष को दूर करने के लिए कुबेर पूजन करवाना चाहिए जिससे व्यक्ति के धनवान बनने के बीच की रुकावटें दूर हों। भारी हाथ होने पर रेखाएं जितनी ही पतली, सुडौल और दोषरहित होती हैं, व्यक्ति सुखी, धनवान, स्वस्थ तथा गु णसं पन्न हो ते है ं।इनकी गिनती गिने चुने धनिको में होती है पर जीवन भर मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दोष की मुक्ति विपासना साधना द्वारा संभव है।
मुख्य भाग्य रेखा का अंत बृहस्पति ग्रह पर बहुत देखने को मिलता है। या तो यह भाग्य रेखा जीवन रेखा से निकल कर बृहस्पति पर जाती है या भाग्य रेखा ही शाखान्वित होकर बृहस्पति पर पहुंचती है। 2 रेखाएं जीवन रेखा से निकल कर गुरु पर जाएं तो व्यक्ति भाग्यशाली होता है और 22 वर्ष की आयु से ही धनी होना शुरू हो जाता है। यदि इस रेखा पर क्राॅस बन जाए तो यह धनवान बनने के योग को कम कर देता है। इसके लिए बृहस्पति पूजन, बृहस्पति यंत्र और बृहस्पति साधना करनी आवश्यक है।
जीवन रेखा के अंत में कोई रेखा यदि चंद्र पर्वत की तरफ आती हो तो ऐसे व्यक्ति वृद्धावस्था में धनी होते हैं। इस योग का फल कुछ समय पहले भी मिल सकता है। यदि लक्ष्मी पूजन करें और 42 दिन तक लक्ष्मी मंत्र का जाप करें तो धन आयु सीमा से पहले ही आने लगता है।
हाथ में जीवन रेखा के साथ एक दूसरी समानांतर जीवन रेखा भी देखने में आती है। कई बार यह रेखा पूरी जीवन रेखा के साथ चलती है। यह दोहरी जीवन रेखा कहलाती है। दोहरी जीवन रेखा निर्दोष होने पर व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति, धन और प्रतिष्ठा देती है। इस दशा में यदि हाथ का आकार चैड़ा, भारी और मांसल हो तो विपुल धन-संपत्ति प्राप्त होती है।
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