विभिन्न कालसर्प योगों के प्रतिफल दाती राजेश्वर महाराज अनंत कालसर्प योग के कारण व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, विराग, अपनों से तना-तनी असहयोग, गृहस्थ जीवन में नीरसता छा जाती है। कुलिक कालसर्प योग आर्थिक स्थिति को डांवाडोल करके स्वभाव को चिड़चिड़ा बना देता है और स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव के साथ वैचारिक मतभेद आदि पैदा करता है। वासुकि कालसर्प योग पारिवारिक कलह, संघर्ष, रिश्तेदारों व मित्रों से धोखा तथा भाई-बहन से अनबन का कारण बनता है।
शंखपाल कालसर्प योग के कारण विद्या प्राप्ति में बाधा, मानसिक व घरेलू कठिनाइयों तथा विश्वासघात का सामना होता है। पद्म कालसर्प योग संतान प्राप्ति में बाधा या विलंब करता है, पढ़ाई में रुकावट, दाम्पत्य जीवन में तनाव, संघर्ष व शत्रुओं से हानि होती है। महापद्म कालसर्प योग यात्राएं, चिंता, स्वप्न में सांप व शत्रुओं के षडयंत्र के रूप में प्रकट होता है। तक्षक कालसर्प योग से वैवाहिक जीवन में तनाव, संबंध-विच्छेद की नौवत आ जाती है, असफल प्रेम संबंध तथा मानसिक कष्ट होता है।
कर्कोटक कालसर्प योग से अल्पायु का भय, वाणी में दोष, गाली गलौच, शत्रुओं का जन्म, धन का अभाव हमेशा बना रहता है। शंखचूड़ कालसर्प योग सर्विस सेवा में अवरोध, अवनति, मामा, नाना व संबंधियों के प्रति चिंता बनी रहती है, व्यापार में घाटा होता है। घातक कालसर्प योग जन्म से ही परिवार से अलग कर देता है, शत्रुओं की अधिकता के साथ मानसिक क्लेश देता है परंतु अंत में वह व्यक्ति प्रसिद्धि प्राप्त कर लेता है।
विषधर कालसर्प योग उच्च शिक्षा में बाधा, स्मरण शक्ति में कमी, संतान की बीमारी, नाना-नानी व दादा-दादी से विशेष लाभ व हानि के रूप में फलित होता है। शेष नाग कालसर्प योग वाले व्यक्ति को जन्म स्थान से दूर इज्जत, मान व प्रसिद्धि मिलती है, नेत्र पीड़ा, इच्छा पूर्ति में रुकावटों के साथ गुप्त शत्रु पैदा हो जाते हैं, जीवन को रहस्यमय बनाकर काम का ढंग निराला बनाता है और अंत में खयाति दिलाता है।